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V Gurjar
ये जीवन बड़ा रंगीन बताया । न जाने कहाँ गए वो रंग जो देखे ही नही।। अपनी जन्दगी के कुछ रंग उड़ गए । तो कुछ देखे ही नही ।। कैसा बेरंग है जीवन, फिर भी जिंदगी बड़ी रंगीन है ।। ©V Gurjar जीवनी की कलम ।। #standAlone
Vikas Sharma Shivaaya'
सावन महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जी जन्म हुआ था। तुलसीदास जी के बचपन का नाम रामबोला था। इनका विवाह रत्नावली नाम की अति सुंदर कन्या से हुआ, विवाह के बाद रामबोला गृहस्थ जीवन और पत्नी के प्रेम में ऐसे डूबे की उन्हें दुनिया-जहान और लोक मर्यादा का होश ही नहीं रहा। एक बार इनकी पत्नी मायके आईं तो कुछ समय बाद ही यह बेचैन हो उठे और पत्नी से मिलने चल पड़े,रास्ते में तेज बरसात होने लगी फिर भी इनके कदम नहीं रुके और लगातार चलते हुए नदी तट पर पहुंच गए। सामने उफनती हुई नदी थी लेकिन मिलन की ऐसी दीवानगी छाई हुई थी कि नदी में बहकर आती लाश को पकड़कर नदी पार कर गए, देर रात जब पत्नी के घर पहुंचे तो सभी लोग सो चुके थे- घर का दरवाजा भी बंद हो चुका था। तुलसी जी को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे पत्नी के कक्ष तक पहुंचा जाए,तभी सामने खिड़की से लटकती रस्सी जानकर सांप का पूंछ पकड़ लिया और इसी के सहारे पत्नी के कक्ष तक पहुंच गए। पत्नी ने जब रामबोला को विक्षिप्त हालात में अपने पास आया देखा तो अनादर करते हुए कहा कि- ‘अस्थि चर्म मय देह यह,ता सों ऐसी प्रीति नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।’ यानी इस हाड मांस की देह से इतना प्रेम, अगर इतना प्रेम राम से होता तो जीवन सुधर जाता,’ पत्नी का इतना कहना था कि रामबोला का अंतर्मन जग उठा और वह एक पल भी वहां रुके बिना राम की तलाश में चल दिए और राम से ऐसी प्रीत लगी कि जहां भी रामकथा होती है वहां राम के साथ तुलसीदास जी का भी नाम लिया जाता है। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' तुलसीदास
Sopiya_Uday
अर्ज़ किया है कि... FACEBOOK पे ना कीजिये तुम पिया मिलन की आस! चैट करोगे तुलसी से निकलेगा तुलसीदास!! #तुलसीदास!!
Nirankar Trivedi
मेरे संघर्ष की कहानी मेरे जीवन की भी संघर्ष कहानी भिन्न रही, जैसे पाषाणो पर पेड़ उगाना उससे भी कुछ भिन्न रही | मैं जल हूँ और बहना मेरा काम रहा, कुछ दूरी चलने पर ही जीवन में एक मोड़ रहा | इतना भटका इतना भूला चलना कितना भूल गया, सीधे पथ पर भी मैं सीधा चलना भूल गया | मंजिल भी मिल जाती थी पर रुकना उस पर भूल गया, मिला हमेशा पथ पर चलकर ये भी कहना छूट गया | जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ संघर्ष भी उतना बड़ा हुआ, जिद थी मेरी लड़ने की संघर्षों से मैं बड़ा हुआ | #मेरे संघर्ष की कहानी मेरी जीवनी
Deepak Kurai
गौतम बुद्ध यह एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए । वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए। कई ग्रंथों में यह मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है. ©Deepak Kurai #BuddhaPurnima2021 गौतम बुद्ध की जीवनी #जीवन