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Ritik prajapati
😜😜कहते है शराब शरीर को ख़तम करती, शराब सोच समझ को ख़तम करती है, आओ आज इस शराब को ख़तम करते है, एक वोतल तुम ख़तम करो एक हम ख़तम करते है!😜😜 मस्त टॉपिक
Naveen Jain
माहौल कुछ बिगड़ सा राह है। आदमी -आदमी पर जुल्म कर रहा है। कभी मंदिर तो कभी मस्जिद के बहाने। बस अब तो हर दिन ही ये ही मुद्दा है(१) बंधे है हाथ कानून के । नेतागिरी ही असली धंधा । किसी को कुछ समझ नही आए कैसा ये गोरख धंधा है।(२) मासूम,गरीब और लाचारी पर। कैसा ये आफत का कहर है। खाने को कुछ नही है। 'नवीन 'फिर वो मजबूरी में जिंदा है। जैन नवीन ©Naveen Jain टॉपिक - हालात #holdinghands
Naveen Jain
दिया था गुलाब जिसने ,किताब में रखने को। वो ही हाथों में दे गया ,कलम लिखने को।(१) वफा बेवफा सब ,सीखा गया। मोहबब्त में आगे से ,होशियार रहने को।(२) मेरी नज़्म भी ,पूरी हो गई। मेरे टूटे हुए दिल को, बहलाने को।(३).... जैन नवीन... ©Naveen Jain शायरी टॉपिक- कलम
Naveen Jain
पेट्रोल बॉम्ब और पत्थरों की जांच होनी चाहिए। वो कहां से आए ? कैसे आए? क्यू आए? अकेले आए या कोई साथ लाया। उनका मकसद क्या था? इनकी पीछे कोई विदेशी ताकतें तो नही! कहीं ये अमेरिका की तो हरकत नही है! ये पाकिस्तान के भी हो सकते है! पर पत्थर तो बेजुबान है बोलेंगे कैसे। पेट्रोल बॉम्ब फटने के बाद ही बोलता है। उनसे जिनको लगी। उनकी रिपोर्ट क्या कहती है। ये आत्म रक्षा के लिए था। या कोई साजिश के हुआ तहत था। जब देश की जांच एजेंसी और मीडिया ये पता ही नही लगा सकता । ये पेट्रोल बॉम्ब कहां से आए? किसके थे। उनको सारे दिन अपनी बक बक करने का अधिकार किसने दिया? कहीं ऐसा ही हादसा किसी बड़े नेता के साथ भी भविष्य में हो सकता है? फिर भी कुछ पार्टी और पूरा विपक्ष। ऐसे लोगों का साथ दे रह है। कमाल है ! देश में खुले आम पेट्रोल बॉम्ब बन रहे है और बिक रहे और हम कहते है देश सुरक्षित हाथों में ये तो वर्तमान सत्ता पर भी सवाल है? जैन नवीन ©Naveen Jain टॉपिक- पेट्रोल बॉम्ब
Naveen Jain
पसंद करोगे तो भी लिखेंगे हम। ना पसंद करोगे तब भी लिखेंगे हम। हमे किसी सत्ता के भय का खौफ नही। जनता की झूठी संबेदनाओ की जरूरत नही । सच लिखा करते है। सच ही लिखेंगे। किसी की झूठी और बेईमान मानसिकता की जरूरत नही।(१) किसी को हिंदू ,किसी को मुसलमान लिखती है कलम। जब माइक पर आ जाती है । दोनों का मजहब और धर्म, अलग- अलग बोलती है कलम। जो दंगे भड़काता है ,आग लगाता है । फिर उन कट्टरपंथियों और उग्रवादियों नेताओं को बहस में, टीवी चैनल पर क्यूं बुलाती है कलम।(२) जैन नवीन ©Naveen Jain कविता टॉपिक - कलम #hills
कवि नितेश उपाध्याय "अतिशीघ्र"
आदत यूँ नज़रें चुराकर उसका नज़रें मिलाना,, आदत है। सामने आते ही इतराकर मुड़ जाना,,आदत है। मैं नहीं मिलूंगी कल तुम्हें मेरा इंतज़ार मत करना फिर वक़्त से पहले अपनी छत पर उसका आना,, आदत है । कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जायेगी उसका आहें भर मेरे बदन से लिपट जाना,,आदत है जब छोड़ चला था उसे उसी बस्ती में मेरे लिए पौंछ आंसू अपने सिसकियों से मुस्कराना,,आदत है #अतिशीघ्र नितेश #आदत ,#अतिशीघ्र,#नोजोटो टॉपिक #