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New आंखों में काजल है Quotes, Status, Photo, Video

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Nurul Shabd

Ruhi

मेरे बहते आंखों के अश्क कह रहे हैं तुमने मजबूरियां देखी है और लोगों ने तुम्हें मजबूर किया है।

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Unsplash   एक दिन मैं सब कुछ छोड़ जाऊंगी 
तुमसे दूर और अपनों से मु मोड़ जाऊंगी 
ज़माने भर से क्या मतलब....
मैं जहां से आई थी फ़िर उन्हीं राहों से लौट जाऊंगी ।
एक दिन मैं यूं ही किसी मिट्टी में हवा बन उड़ जाऊंगी,,
एक दिन तुम सब देखोगे और मैं सबके आंखों 
से धार बन कर बह जाऊंगी,,
एक दिन मैं इस दुनियां को अपनी से पराई कर जाऊंगी।
एक दिन तुम देखोगे लाश मेरी 
और मैं कब्र में आंखे मूंद सो जाऊंगी।

©Ruhi मेरे बहते आंखों के अश्क कह रहे हैं 
तुमने मजबूरियां देखी है 
और लोगों ने तुम्हें मजबूर किया है।

Shashi Bhushan Mishra

#दीप जलता है सदन में#

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दीप जलता है सदन में,
अंधेरा है व्याप्त मन में,

चलाता है श्वास सबका,
वही रक्षक  है  भुवन में,

प्रेम और विश्वास से ही,
प्रकट होते  ईश क्षण में,

कर रहे  गुणगान  सारे,
धरा से लेकर  गगन में,

सिंधु से जलश्रोत लेता,
वही भरता नीर घन में,

जागता है साथ हरपल,
साथ रहता है  सयन में,

हृदय में है व्याप्त गुंजन,
बसा ले उसको नयन में,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #दीप जलता है सदन में#

Rajesh Kumar

तेरी आंखों का नशा

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यह न पूछो कि मैं कैसे जिया करता हूं
अपने जख्मों को मैं कैसे सिया करता हूं
असहनीय दर्द को मिटाने के लिए
तेरी आंखों का जाम पिया करता हूं

©Rajesh Kumar तेरी आंखों का नशा

Praveen Jain "पल्लव"

#Likho रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है

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पल्लव की डायरी
रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है
व्यवस्था सब कराहती है
रोजगार व्यापार सब ठप्प
महँगाई सुरसा जैसी बढ़ती जाती है
चुनाव जीतना ही कामयाबी लोकतंत्र की
पाप सियासतों के सब छिपाती है
पौधे सब मुरझा रही,युवा बनकर
भविष्य अपना तय नही कर पा रही है
दखल राजनीतिक चहुँ और बढ़ गया
आमजनों का जीवन दुष्वार हो रहा है

©Praveen Jain "पल्लव" #Likho रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है

Vinod Mishra

"समझदार शीघ्र ही मुतमइन कर लेता है कि आदमी आकार में छोटा पर सोच में बड़ा है या आकार में बड़ा पर सोच में छोटा है." #विनोद #मिश्र #

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नवनीत ठाकुर

ना क्या जादू है बेगाने में

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वो शौक, वो जोश, वो किस्से पुराने,
सब दब गए हैं वक्त के तहखाने में।
अब तो जाम भी लगता है बेअसर सा,
ना वो तासीर है, ना वो दीवाने में।

मस्ती थी कभी खुद को भुलाने में,
अब ग़म छुपते हैं हंसने के बहाने में।
खुशबू थी कभी हर बहार के तराने में,
अब वो यादें भी उलझीं हैं अफसाने में।

जिंदगी के रंग अब स्याह लगने लगे,
जैसे खुशियां कहीं खो गईं इस ज़माने में।
सवाल हजारों हैं दिल के आईने में,
बस धुंधली तस्वीर सी फसाने में।

गुज़री हुई बातों की सदा आती है,
जैसे कोई पुकार हो वीराने में।
जो मिल ना सके, वो याद बहुत आते हैं,
ना जाने क्या जादू है बेगाने में।

©नवनीत ठाकुर ना क्या जादू है बेगाने में

Rahul Varsatiy Parmar

#सफर में है जिंदगीजिन्दगी #love_shayari

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White 

सफर में है जिंदगी

हवाओ से तेज बह रही है जिंदगी
वक्त बे वक्त गुजर रही है जिंदगी
किसी पता कहा जा रही है जिंदगी
वसंत छोड़ पतझड़ हो रही है जिंदगी
न दिशा न रास्ता बस अपने ही रास्ते 
चली जा रही है जिंदगी
बेखौफ होकर हम चल पड़े है सफर में
न जाने किस राह मंजिल में मोड़ दे सफर जिंदगी
नदियों को किनारा नही मिलता 
हम अपना ठिकाना नहीं मिलता 
छूटता नही मोह तृष्णा का
बस इसी माया में उलझ रही है जिंदगी

©Rahul Varsatiy Parmar #सफर में है जिंदगी#जिन्दगी  #love_shayari

नवनीत ठाकुर

#हर दिल में बसता हिंदुस्तान है

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हिमालय की ऊँचाई से, गंगा की पावन धार,
थार के रेगिस्तान में, रेत का अद्भुत संसार।
केदारनाथ-बद्रीनाथ की भूमि का आशीर्वाद,
अमरनाथ के मेले में उमड़ी श्रद्धा की याद।
काशी की दीयों वाली दिवाली, प्रेम की सौगात,
अमृतसर के लंगर में, भक्ति की होती बात।
ब्रज की होली में रंगों का मस्ती भरा शोर,
दुर्गा पूजा की रौनक से सजा कोलकाता का हर छोर।
पुष्कर का मेला और कुंभ का स्नान,
बैसाखी, लोहड़ी, पोंगल, बसा सबका सम्मान।
हर पर्व में झलके संस्कृति का एक ताज,
इस विविधता पर हर दिल को है नाज़।
तमिल में मिठास, संस्कारों का मान,
बंगाली की पूजा, भक्ति का वरदान।
मराठी की जय-जयकार, बाप्पा का सजीला रूप,
पंजाबी लोहड़ी की धुन, संग खुशियों की धूप।
भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, सबका सुंदर संगम,
बिहू की थाप पे थिरके असमिया मन का रंगम।
गरबा, घूमर, लावणी से सजी ये धरती महान,
इस विविधता में एकता, यही है हिंदुस्तान।
त्योहार, मेला, भाषा-नृत्य, सब है भारत की शान,
संस्कृति के हर रंग में बसता ये हिंदुस्तान।

©नवनीत ठाकुर #हर दिल में बसता हिंदुस्तान है

Harshit Rajasthani Official

समझ में आ रहा है

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