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Vikrant Rajliwal

"अंदर का मैल उतारो" _ नई गजल I New Hindi Gazal Poetry लेखन और आवाज़: विक्रांत राजलीवाल "विक्रांत राजलीवाल की गजल 'मुझ को पढ़ना है, तो पह #poetrylovers #poetrycommunity #शायरी #lovepoetry #spiritualawakening #innerjourney #vikrantrajliwal #Heartfeltwords #InspiredWriting #SoulfulVerses #NewGhazal 

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । #कविता

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सीता छन्द
मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२
वर्ण :-  १५
राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।।
लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है ।
आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।।
१
भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं ।
दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।।
प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में ।
खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।।
२
प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो ।
प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।।
प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते ।
जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।।
३
प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये ।
प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।।
प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है ।
प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।।
०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सीता छन्द

मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२

वर्ण :-  १५

राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।

Pushpvritiya

#चौपाई अश्रु सुनियो धीरज धरना, प्रेम कठिन पर पार उतरना | पग-पग काँटें हैं यह माना, मेल विरह का ताना-बाना || #कविता

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Sethi Ji

💞💞 पैसों का खेल 💞💞 💞💞 पैसों का मेल 💞💞 ज़िन्दगी का अज़ीब खेल होता हैँ यहाँ हर कोई मोहब्बत की परीक्षा में फेल होता हैं ।। काश कोई समझ पाता हम

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KUNWA SAY

#MeriMatiMeraDesh किसी तीसरे का हुआ मेल और हम छूटते गए रिश्ते बना लिए उनने गैरो से हमारे रिश्ते तो टूटते गए।# #SAD

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Prashant Roy

#WoRasta#Poemofthedayयह जीवन शर्तो का मेल नहीं YahJivanShartonka Mel nhi gaTTubaba Suman Zaniyan Rakesh Srivastava Rahul Bhardwaj SHAHID #Poetry

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Sethi Ji

🩷💫 ज़िन्दगी का खेल 💫🩷 🩷💫 मोहब्बत का मेल 💫🩷 ज़िन्दगी में हर कोई खेलता मोहब्बत का खूबसूरत खेल हैं ।। वक़्त के आगे हर इंसान होता फेल हैं ।। जीव #Zindagi #Motivation #Trending #MyThoughts #NojotoFamily #nojotoapp #nojotoshayari #traintrack #hunarbaaz #Sethiji #4March

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर , दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।। राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे #कविता

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मनहरण घनाक्षरी :-

राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर ,
दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।।

राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे ,
दोनो की ये प्रीति भली , कभी न बिसारिये ।।

रूप  ये बदल आये , देख निधिवन आये ,
मिले कभी समय तो , उधर निहारिये ।।

कट जाये जीवन यूँ , राधे-राधे जपते यूँ ,
शरण बिहारी के यूँ , जीवन गुजारिये ।।१


पटरी की रेल है ये , जीवन का खेल है ये ,
तेरा मेरा मेल है ये ,  प्रीति ये बढ़ाइये ।

चाँद जैसी सूरत है , अजन्ता की मूरत है ,
सुन चुके आप हैं तो , घुंघट उठाइये ।।

नहीं हूर नूर देखो , पीछे हैं लंगूर देखो ,
जैसे भी हूँ अब मिली , जीवन गुजारिये ।।

आई हूँ तू ब्याह कर , नहीं ज्यादा चाह कर ,
मुझे और नखरे न , आप तो दिखाइये ।।२

२९/०२/२०२४        -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-

राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर ,
दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।।

राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे

bhim ka लाडला official

कोई पैदा हुआ खीर से तो कोई मेल से अच्छा हुआ इंटरनेट नहीं था उस दौर में नहीं तो बहुत से पैदा हो जाते फर्जी ईमेल से #प्रेरक

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मेरा इस संसार में , हो न किसी से मेल । अपने आज विचार ही , करते मुझको फेल ।। झूठ नही बर्दाश्त है , सुन लो तुम सब आज । मेरे जीवन का यही , #कविता

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मेरा इस संसार में , हो न किसी से मेल ।
अपने आज विचार ही , करते मुझको फेल ।।

झूठ नही बर्दाश्त है , सुन लो तुम सब आज ।
मेरे जीवन का यही , सबसे गहरा राज ।।

माना संगत ने किया ,  अक्सर मुझपे घात ।
अब भी लगता है मुझे , वह सब है साक्षात् ।।

सब ही गुरुवर है यहाँ , करता सबका ध्यान ।
भूल क्षमा करना सदा , मैं बालक नादान ।।

अच्छे दिन में है सुना , पीछा करे अतीत ।
कहकर अज्ञानी मुझे , बन जाना फिर मीत ।।

बच्चों जैसा स्वच्छ है , तन-मन अपना आज ।
अब मुझको भी स्थान दो , अपने आज समाज ।।

जीवन जीने की कला , सीख गया रघुनाथ ।
अब है विनती आपसे , रहना मेरे साथ ।।

२२/०२/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मेरा इस संसार में , हो न किसी से मेल ।

अपने आज विचार ही , करते मुझको फेल ।।


झूठ नही बर्दाश्त है , सुन लो तुम सब आज ।

मेरे जीवन का यही ,
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