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Himanshu G
कभी किसी पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये जरूरी नहीं आप जिसके बारे में सोच रहे हैं, उसमे वो माहिर हो l ©Himanshu G #ब्रह्म
Himanshu G
लोग अपने आप को समझदार और हमे बेवकूफ समझते हैं, पर हम ऐसे ही सही है, जियो तुम ब्रह्म में और हम वो करेंगे जो हमें करना है l ©Himanshu G #ब्रह्म
A J
Inspired from true event #1 तेरी इश्क़ में इबादत कुछ इस तरह की मैने बोर्ड की तैयारी को उठा ब्रह्म मुहूर्त और शायरी लिख दी मैने #ब्रह्म मुहूर्त=सुबह 4 बजे
विष्णुप्रिया
मैंने देखा है, पारिजात के पुष्पों को अन्तस की कोख में, पल्लवित होते इनकी सुमधुर सुगंध, ने सहसा ही रोक लिया है मुझे, और मैं रुक गई हूं... स्थिर सी, बंद नयनों से भीतर उतरती, आँचल पसार....पूर्ण रात्रि... सातवें पहर की प्रतीक्षा में, जब झरेंगे, ये ब्रह्म रुपी पुष्प मेरी गोद में... #yqdidi #पारिजात #आत्मबोध #आध्यात्मिक #ब्रह्म #ध्यान कभी कभी मन अस्थिर सा होता है, हाँ सब कुछ जानते हुए....कुछ ऐसी ही परिस्थिति के मध्य हूं आज कल, जैसे मध्य में फंस गई हूं, रह है भी और नही....अजीब सी ही परिस्थिति है, सोचा था अब नही आऊँगी yq पर लिखने और पढ़ने का कोई अर्थ भी नजर नही आ रहा अब , पर... नही जानती थी कि, आप सब का इतना अनंत प्रेम है मुझ पर...... जाने आनजने दोष मेरा ही है इस मोह का, मुक्ति की चाह बंधन कब बन गई पता ही नही चला...... आप सब का अपार स्नेह पा कृतार्थ हुई हूं..💐💐❤️❤️ को
शून्य(ब्राह्मण)
🙌ॐ नमः शिवाय 🙌 ईश्वर सब में बसते हैं बस नज़र किसी किसी को आते हैं...... इस ईश्वर को ही जानने में लोग संत फ़कीर वैरागी जानें क्या क्या बन जाते हैं। ©शून्य #सत्य #जीवन #ब्रह्म #ज्ञान #ईश्वर #धर्म
CalmKrishna
......vgvvhv ।।।।।।। ©CalmKrishna अपने पास आईए.. #दूरी #तुम #ब्रह्म #तत्त्वमसि
Alok Vishwakarma "आर्ष"
शीश काट कर ब्रह्म देव के चरणों में, अर्पण करने का प्रण लेता रावण भी तिरस्कार का भागी हो जन-गण-मन में, धू-धू करता जले ज्ञान का गागर भी #alokstates #रावण #जीवनगाथा #रामायण #ब्रह्म
Alok Vishwakarma "आर्ष"
जर से चिर चेतन शिविर, क्षय क्षर तिमिर हर दूर कर भाति पेख अलख़ों को लेख, दिव नाक देख हुज़ूर धर रश्मि के साये जहाँ काल गाये, रंजन मनाय ज़रा संभल सृष्टि लोम विकृत विलोम, बस मध्य ॐ अलल विकल तन मन अपर स्वः रूह पर, साधन समर लर बन विजय मनु बन्ध तोर बीते करोर, जन्मों को जोर विचर अभय मारग अगम भूमि सुगम, मरमी परम विज्ञान ध्येय मृत मय अभाव चितद्युति समाव, अमिनद्य स्त्राव विद् ब्रह्म ज्ञेय "ब्रह्म आह्वान" ऋषित्व का चिरन्तन परिचय देती एक विभवपूर्ण कविता इस कविता की प्रेरणा मुझे मिली है एक दिव्य अनुभूति के रूप में.. मेरी साँसे तेज हो गयी थीं, शरीर काँप रहा था, एक थर्राहट सी थी.. कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या होगा.. यह जो अनुभव आज हुआ उसी की परिणामिनी कविता आपके समक्ष ईश्वरीय सत्ता को समर्पित करने में अत्यंत हर्ष की अनुभूति होती है..
CalmKrishna
...................... ©CalmKrishna ये नशा काहे ख़त्म नहीं होता बे.... #नशा #माया #आदमी #आदी #आदत #ब्रह्म #philosophy
V PANDA
अच्छा मुहूर्त .. ब्रह्म मुहूर्त ... ©V PANDA #ब्रह्म मुहूर्त में बांधे रक्षा सूत्र.. #12अगस्त