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Dark Shadow
Unsplash where nice photo ©Dark Shadow #snow urdu poetry love poetry for her poetry on love
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read moreMurali
Nature is Not A Place To Visit.It is Home ©Murali #vacation love poetry for her poetry quotes poetry poetry on love
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read moreRitesh Saraiya
White "પાનખર એવી આવી છે જીંદગીના આ પડાવમાં, વિસરાતી નથી વસંતની વેદના કંઇ કેટલાય વરસોની...." R. M.'S. ©Ritesh Saraiya love poetry for her
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read moreᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ
अंधेरी रात के लम्हे तमाम होने तक, तुझे ही सोचता हूं सुबह से शाम होने तक,, मैं ऐसा जिस्म हूं जिसकी रूह भी तू है, अधूरी ज़ात हूं मैं तेरे नाम होने तक,, तेरी आवाज सुन न लू तो दिल नहीं लगता, तड़पता रहता हूं तुझसे बात होने तक,, तेरी नज़र की कीमत पे बिक रहा हूँ, मुझे खरीद ले तू महंगे दाम होने तक,, इश्क़ की आग जो सीने में लगा बैठे हैं, सताती रहती है ये नींदे हराम होने तक..! ©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ #तड़पता_रहता_हूं_तुझसे_बात_होने_तक... poetry in hindi poetry on love love poetry for her
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read morePoet.sonam
Tera Didar❤️loveNote #poetsonam #Love #nojotohindi nojoto poetry shayari #romance shayari in hindi shayari status love shayari shayari o
read moreKk_upadhyay
जो उड़ गए परिंदे उनका अफसोस क्या करूं यहां तो पाले हुए भी गैरों के छतों पे उतरते हैं। ©Kk_upadhyay love for her sad
love for her sad
read moreIshita Verma
पूरी दुनियां मेरी बदलने वाली है कुछ दिनों में सब नया सा होने वाला है। अपना घर होते हुए भी मेहमान बनकर आना पड़ेगा दूसरे के घर उसकी सजनी बनकर वो घर भी संभालना पड़ेगा। अपने मम्मी पापा भाई बहन को दूर छोड़ कर मुझे अब कुछ दिनों में जाना पड़ेगा चंद दिनों में मुझे सब कुछ अपना पुराना छोड़ कर कुछ लम्हे एक सूटकेस में संजोकर साथ लेजाना पड़ेगा। अभी तो बड़ी हुई थी मैं जो शादी के बंधन में बांध दिया कुछ पल अपने पापा मम्मी के संग बिताना है मुझे यह सोच सोच कर शादी का दिन आगया। बड़े होते ही हम बेटियों को छोड़ कर अपना घर परिवार सब जाना पड़ता है, कुछ दिन परिवार के साथ बैठने का बहाना फिर ढूंढना पड़ता है। कैसे इतनी जल्दी मैं बड़ी हो गई पता ही नहीं चला। कल तक जो पढ़ रही थी मैं आज लाल जोड़ें में मुझे दुल्हन बना दिया बेटी से बहु बनने जा रही हूं सौ घबराहट के सवालों को मन्न में ला रही हूं। काश कुछ दिन और मिल जाते इतनी जल्दी हम काश नहीं बड़े हो जाते कल तक पापा के साथ खिलौने लाया करती थी जो, मम्मी से अपनी चोटी बनवाया करती थी जो, बहन के कपड़े पहन कर अपने आप को बड़ा बोलती थी, भाई के साथ लड़ाई कर पापा से उसकी दात लगवाया करती थी। ना जाने कब आगया वो दिन जो डोली उठने का समय आगया है यह नन्हीं सी गुड़िया इस आंगन की अब लाल जोड़ें में दुल्हनियां बनकर अब उसका दुल्हा लेने उसे आ रहा है।। अब उसका दुल्हा लेने उसे आ रहा हैं।। -ईशिता वर्मा @poetrysoul_999 ©Ishita Verma hindi poetry on life love poetry for her
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