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Mishra Kaushal
कालेज की किताबें अब धूल फांक रही... टापर था जो हमेशा इस साल फेल हो गया.. इश्क़ में क्या वो लड़का लफंगा हो गया? #इश्क #कालेज कालेज की किताबें अब धूल फांक रही... टापर था जो हमेशा इस साल फेल हो गया.. इश्क़ में क्या वो लड़का लफंगा हो गया? ©Mishra creat
Pnkj Dixit
🌷 अब कमल खिलना चाहिए... सत्ता के गलियारों में हर नेता हैं परेशान। कुर्सी का मोह न छूटे, लेते जनता की जान।। अफरातफरी सेंधमारी का चला रहे गोरखधंधा। आज राजनीति कर बैठा लुच्चा बेईमान लफंगा।। राजनीति हमाम बन गई, यहाँ नेता ज़ुबां से नंगे। राशन मुफ्त खिलाय के, हरामखोरी के डाले फंदे।। अब देश का क्या होगा ? सूझता नहीं कोई उपाय। बागडोर सम्भालों साधुओं, यही वैदिक धर्म सुझाय।। पिता ब्रह्मदेव और माँ सरस्वती!आप धरा उतरना चाहिए। भारत भू पर भगवा ध्वज संग अब कमल खिलना चाहिए।। ०६/०२/२०२२ 🌷👰💓💝 ...✍️कमल शर्मा‘बेधड़क’ ©Pnkj Dixit 🌷 अब कमल खिलना चाहिए... सत्ता के गलियारों में हर नेता हैं परेशान। कुर्सी का मोह न छूटे, लेते जनता की जान।। अफरातफरी सेंधमारी का चल
Azhar Waquar
जिसे क़िस्मत ने दिया मौका उसने क़दर ही कहा किया था। हमे समझ सके खुदा ने उसे दिमाग ही कहा दिया था। जिसे मौका न मिला उसने मेरी शराफत पर ऊंगली उठा गया। सीधे साधे इंसान को लुचा लफंगा बना गया। ©M A Waquar सीधे साधे इंसान को लूचा लफंगा बना दिया
Rahul Red
धार्मिक झण्डो के आगे कूड़े में पड़ा तिरंगा आज राजनीति में खूब धड़ाधड़ कब्ज़ा करते लफंगा आज अपने अपने आकाओं की बातों में आकर ये लोग करते रहते हैं भारत में जगह जगह पर दंगा आज लोकतंत्र के हत्यारों के आगे बेबस खड़ी पुलिस हत्यारा पिस्तौल पकड़कर घूम रहा है चंगा आज भारत में विज्ञान की हालात ना ही पूँछो कैसी है वैज्ञानिक को मूर्ख बताकर नाचे साधू नंगा आज गंगा की सफाई को अभियान चलाया था लोगों ने लेकिन उसके बाद भी कितनी साफ़ हुई है गंगा आज बात बात पर हम लोगों को देते रहते हैं ये धकमी ना जाने अब कौन यहाँ पर लेगा इनसे पंगा आज © राहुल रेड ग़ज़ल धार्मिक झण्डो के आगे कूड़े में पड़ा तिरंगा आज राजनीति में खूब धड़ाधड़ कब्ज़ा करते लफंगा आज अपने अपने आकाओं की बातों में आकर ये लोग करते रहत
Pnkj Dixit
#OpenPoetry 🌷 बचपन 🌷 चील उड़ी , कौआ उड़ा उड़ रहा मासूम बचपन । खेल और खिलौने सब छूट गए भारी किताबों से दबा बचपन।। अब माँ का दूध मिलता नहीं ना ही मिलती पिता की डाँट । भोले-भाले बचपन को मोबाइल रहा है चाट ।। मॉम व्यस्त किटी पार्टी में पॉप पटियाला ज़ाम में । नौनिहालों में संस्कार कौन भरे सब ढल रहे एकल परिवारों में ।। आज़ समय बन रहा बेढंगा बचपन बन रहा लफंगा । हर गांव - शहर हर चौराहों पर लुटी जा रही इज्ज़त , होता दंगा ।। ओ नवयुग की क्रांति का बिगुल बजाने वालो अरे ! संभल जाओ , अभी भी समय तुम्हारा है । नशा , उन्माद , एकाकीपन से बचपन को बचा लो वरना , तुम्हारे वंशवाद का अंत निश्चित होने वाला है ।। २१/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ... ✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 बचपन 🌷 चील उड़ी , कौआ उड़ा उड़ रहा मासूम बचपन । खेल और खिलौने सब छूट गए भारी किताबों से दबा बचपन।। अब माँ का दूध मिलता नहीं