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vandana,s hobby & crafts

#श्री हरि विट्ठल #आषाढ़ी एकादशी #nojoto# #

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Guri

मिट्टी  में  धबे  एक  बीज  सा  हूं, 
आसमान देखना हसरत है मेरी, 
किसी की उम्मीद पर नहीं जीता,
 अपनी   मेहनत   पर  जीता  हूं,

GURI #बीज

-Kumar Kishan Krishan Kr. Gautam

❤️हृदय के मरुस्थल मे
ये कैसा बीज बोया है
कुछ तो उमड़ रहा,
इस जलती तपती रेत में
कुछ तो कल्प रहा,
भवरें इसपे आ रहे
पुष्प कोई तो खिल रहा
हृदय के मरुस्थल में
ये कैसा बीज बोया है।
माली बन रहे हो तो
तोड़ बेच आना मत,
तेज़ चलती धूप में
मुझको मुरझाना मत,
तोड़ना गर कभी तो
तोड़ निज रख लेना,
लेकर गर जाना तो
छोड़ के न आना मत,
हृदय के मरुस्थल में
ये कैसा बीज बोया है।

#कुमार किशन #बीज

मलंग

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Avinash Jha

बीज #कविता

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हम तो ख़ुश है, अक़्सर लोगों को,                                                       सपने सुहाने सजोए थे हमने
एक दुसरे का क़त्ल करते देखा है,                                                      संव जीने के कसमें हमने भी थे खाए,
कोई किसी के जीवन का कत्ल करता,                                                सपनें अभी थे कच्चे, मैंनें कहाँ अभी जाना था,  
तो फ़िर कोई किसी के विश्वास का,                                                     बीच मँझदार, रौंद कर मेरे ख़्वाबों को,
क़त्ले-ऐ-आम रोज है होता                                                                रोने- कहराने को छोड़ गया वो मुझकों

क़त्ल करके मेरे विश्वास का,                                                              डर था मुझको ये बड़ा,
एक बीज दिया, मुझमें दिया बो,                                                          जमाना क्या कहेगा सारा,
खुश हूं कि मैं आज,                                                                             सोच के मन ही मन,
क़त्ल जहां रोज़ सरे आम होते,                                                             सिहर सी गए थी मैं
मैं एक जीवन दे रही                                                                           मंजर काल की जब ख़ुद देख पाई

है दुख तो बस एक बात का,                                                                  कर के यत्न, मनन में दृढ़ निश्चल
गुनहगारों के सभा में,                                                                         क़त्ल जो हुआ सो हुआ,
मैं भी निर्लज सी खड़ी हुँ,                                                                     अब जीवन मुझको है देना
हाँ ये एक सच भी है,                                                                            बीज जो अंदर अपने,
क़त्ल करके आज मैं आई हुँ                                                                   बस सृष्टि सृजन उसका है करना।

एक विश्वास, एक भरोशे का क़त्ल,
जो मुझपर ज़माने ने किया,
भरोसा जो मेरे परिवार,
मुझपर था किया,
घोंट कर गला निर्लज सी खड़ी हूँ


                   

                                                                                ©avinashjha बीज

Babli Gurjar

बीज #शायरी

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Jitendra Kumar Som

#Colors बीज #प्रेरक

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Parasram Arora

वो बीज.......

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वो  बीज
अपनी किस्मत  को सराहने  लगा
ज़ब एक संजीदा   माली  क़े 
सुरक्षित  हाथों मे वो  पहुंचा था.
उसे अब पूरा  भरोसा  हो चला था क़ि.
एक दिन वो भी  एक विशाल  वृक्ष  बन कर
राहगीरों को   बारिश और  धूप  से 
बचाने  मे  समर्थ  होगा
और  उन परिंदों को अपनीटहनियों पर अपने
घोंसले  बना कर  उनके  परिवारों को
 बसने  का  अवसर  देकर  अपने को
कृतार्थ भी  करेगा

©Parasram Arora वो बीज.......

Rajendrakumar Shelke

तुकाराम बीज

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*तीर्थ देहू!तीर्थ तुकाराम*
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

तीर्थ तुकाराम, क्षेत्र तुकाराम !
देहू विठ्ठल,इंद्रायणी विठ्ठल !!१!!

भाव विठ्ठल, भक्ती विठ्ठल !
कुळ विठ्ठल, गोत्र विठ्ठल !!२!!

अभंग विठ्ठल, प्रवचन विठ्ठल  !
कळस विठ्ठल,पायाही विठ्ठल!!३!!

तुका म्हणे देहू,विठ्ठल सापडला!
इंद्रायणी तिरी, गाथा पांडुरंगा!!४!!

 येता गरुड पक्षी माझ्या तुका साठी!
करी वैकुंठगमन सदेह घेऊनी !!५!!

झाली इंद्रायणी आज पुण्यभूमी!
करी भजन आता ज्ञानदेव तुकाराम!!६!!

आठवांची लय तुकाराम बिजेला!
भक्त जाई रंगून नाम जयघोषात!!७!!

तीर्थ तुकाराम, क्षेत्र तुकाराम !
देहू विठ्ठल,इंद्रायणी विठ्ठल !!१!!
-----------------
✍️ राजेंद्रकुमार शेळके.
  -- नारायणगाव, पुणे.

©Rajendrakumar Shelke तुकाराम बीज

CK JOHNY

कर्म-बीज

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कर्म-बीज बुरे नहीं बोने होते हैं 
नहीं तो अतीत के रोने होते है। 
अच्छाई बीजो अच्छा काटो
फिर सुनिश्चित उज्जवल भविष्य 
और अतीत के सपने भी
प्यारे सुंदर सलौने होते हैं।
रिश्तों के पौधों को सींचते नफरत से जो
अक्सर उन्हीं के निंदा चुगली 
गिले शिकवों के रोने धोने होते हैं। 
प्रेम अमृत से सींचते संबंधों की खेती जो
उनके घर आँगन सुख समृद्धि 
आनंद वैभव से भरे सब कोने कोने होते हैं। 

कर्म-बीज बुरे नहीं बोने होते हैं 
नहीं तो अतीत के रोने होते है। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 
 कर्म-बीज
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