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Shayra

#life_quotes Life love #Family #poem #Poetry

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Jadee

Rishi Ranjan

#Animals #poem Life Love #Poetry

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White विषादों से घिरा मानव,
नाम चाहिए, पैसा चाहिये,
सब से ऊँचा जीवन चाहिये,
आधुनिकता के नाम पर,
नैतिक या अनैतिक ढंग से,
एक दूसरे को ठगकर।
हर तरफ लगी है एक दौड़,
ऊपर उठने की मची होड़,
धक्का मुक्की का नया दौर,
पनपी शहरों में भागदौड़।
निकल गया कोई आगे,
रह जाये जो पीछे,
विषादों में हार मान,
विकारों में परेशान।
नशे की लत पालते,
गुम हो जाती सुध,
निंद्रा में रहते बेसुध,
हो दुनिया से बेख़बर,
झूठी आत्म तृप्ति में,
काल मे खो जाते।
कौन उन्हें समझ पाया,
अच्छा खासा व्यक्ति,
मानसिक रोग से पीड़ित,
किस को भाया।
दुनिया कब देती है,
हारे हुए का साथ,
खो जाता आत्मविश्वास,
घेर लेती निराशा,
जीवन बन जाता अवसाद।

©Rishi Ranjan #Animals #poem #Life #Love

Nishchhal Neer

Love Life Poetry #poem #शायरी

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Renu Kavtya

फक्र है मुझे इस बात का 
की मेरे सपनो को दौलत से 
नई खरीदा जा सकता

©Renu Kavtya #renukavtya #Life #poem

Rishi Ranjan

#poem Life Love #Poetry

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Rishi Ranjan

#sadak Life #poem #Poetry

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खोए खोए सपनो में ढूंढता हूं अंधेरा
रात क्यों अधीर है आता नहीं सबेरा

महफिल की नई यात्रा में अब तो
शोर का नाम गूंज रहा है बखेरा

तपती दुपहरी में प्यास की पंचायत लगी
सेहरा में पानी क्यूं नहीं डालती है डेरा

आंगन की सोच से हम परे हैं कहां
पुरानी खिलौनों का नहीं है बसेरा

चहक उठती थी रगों में जो लहू
शांत शांत है अब किसका पहरा

डर की साया छांव में लेटी है क्यों
मन की तृष्णा सोई है शायद गहरा

दो बूंद साकी पिलादे शराब मुझे
जेहन को सुलगानी है गम जो ठहरा।

©Rishi Ranjan #sadak #Life #poem

मुसाफ़िर क़लम

कश्मकश! #flowers #poem Life #कविता

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मेरे पास तुम्हें देने के लिए 
बसन्त है। 

तुम्हारे शहर की गलियां 
पर बेहद तंग हैं।।

©मुसाफ़िर क़लम कश्मकश!

#flowers #poem #Life

Shayra

Rishi Ranjan

किंशुक फुले हैं लाल-लाल,सरसो पीली फूली है
नव बसन्त-मय फागुन लख कर,रसा प्रकृति संग झूली है
होली पर्व अर्चना प्रमुदित,पट केसरिया पहन करो
होवे यह ऋतुराज प्रफुल्लित,डाह-होलिका दहन करो

नए अन्न की पूजा कर लो,आई है यह मनहर होली
खाओ -खेलो,हंसो -हंसा लो,बोलो प्रिय अमृत बोली
सांसारिक प्रपंच को भूलो,राग-द्वेष का हनन करो
नव निर्माण देश का होवे ,डाह-होलिका दहन करो

विहारो लिए संग में अपने,प्रेम-गुलाल भरी झोली
उठे एकता लहार तरंगित,सुदृढ़ रहे मानव-टोली
चाहे कुछ भी हो जाए किन्तु तुम,साँच मार्ग को ग्रहण करो
मानवता दिखला दो जग को ,डाह-होलिका दहन करो

गाओ फाग उमंगित होकर,चले प्यार रंग पिचकारी
उड़े गुलाल-अबीर चतुर्दिक,महके सुख की फुलवारी
जीयो और जिलाओ सब को,नए वर्ष का नमन करो
भारत के उत्थान हेतु नित,डाह-होलिका दहन करो

सतयुग में प्रह्लाद इसी दिन,जा बैठा अंगारो पर
इससे पहले कई बार वह, चला शस्त्र की धारों पर
नरसिंह सा नेता पाने को,कष्ट अनेकों सहन करो
राम-राम रटते निशि-बासर,डाह-होलिका दहन करो।

©Rishi Ranjan #holikadahan #poem #Life #Poet #Holi
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