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Ghumnam Gautam
White अमीना के जलेंगे हाथ जाने और कितने दिन! मोबाइल मिलता है, मेले में अब चिमटा नहीं मिलता ©Ghumnam Gautam #love_shayari #MOBILE #मेला #चिमटा #ghumnamgautam
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read moreRohan Roy
White दुनिया तमाशो का मेला है। और हम इसके खिलाड़ी। किंतु खेलना रोज है, जीतना रोज है, हारना रोज है। फिर भी हार और जीत के परिणाम से डरते हैं। जबकि इसे झेलना रोज है। एक पल में निराशा है, एक पल में जिंदगी। क्यों हताश होते हो। पल-पल में जीवन की शुरुआत है, हर एक पल में जीना रोज है। ©Rohan Roy दुनिया तमाशो का मेला है। और हम इसके खिलाड़ी। | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation |
दुनिया तमाशो का मेला है। और हम इसके खिलाड़ी। | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | #Motivational
read moreRanjit Kumar
# 77वां वार्षिक मेला माता भद्रकाली जी Mili Saha Bhardwaj Only Budana Brijesha Vishwas Ritu Tyagi Ravi Ranjan Kumar Kausik PФФJД ЦDΞSHI #Bhakti
read moreRavendra
शान्तिपूर्ण मतदान के लिए निरन्तर भ्रमणशील रहीं डीएम व एसपी बहराइच जनपद की समाविष्ट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 287-पयागपुर एवं 288-कैसरगंज के #चुनाव
read moreAnkur tiwari
White कुछ बात पुरानी लिखनी थी मुझे एक कहानी लिखनी थी यूं ही अच्छा बनने में जो बीत गईं मुझे वो एक जवानी लिखनी थी ज्यादा खोया कम ही पाया वो यादें धुंधली धुंधली सी बाकी हैं बेकार जो ऐसे ही बीत गईं वो एक जवानी बाकी हैं सबका सोचा सबका जाना मन की अपने ना किया कभी फिर भी लांक्षन ही मिला उसे वो भले रहा कितना भी सही वो समय गया वो दिन गुजरे पर आज तलक वो अकेला है जीवन का बसंत हैं बीत गया पर अब भी एकांत का मेला हैं सब दोस्त यार भी हंसते हैं देते ताना हर बार उसे चाहें भीड़ में हो या मेले में मिलती अक्सर दुत्कार उसे अब तो खुद पर पछताता हैं पर कुछ भी कर ना पाता है हसता दिखता हैं बाहर से अंदर से घुटता जाता हैं फिर भी दुनियां में जी हैं रहा आंसू घुट घुट कर पी है रहा जीवन की जंग से हारा है वो लड़का एक बेचारा हैं ©Ankur tiwari #Moon कुछ बात पुरानी लिखनी थी मुझे एक कहानी लिखनी थी यूं ही अच्छा बनने में जो बीत गईं मुझे वो एक जवानी लिखनी थी ज्यादा खोया कम ही पाया वो
Bharat Bhushan pathak
मन साफ सदा रखें, कभी किसी को न ठगें, वैर भाव पाले नहीं, प्रेम अपनाइए। बिखरे असंख्य रंग, दया बिन बदरंग, विश्वास सभी पे करें, अब समझाइए। दुनिया का लगा मेला, खूब भागे यहाँ रैला, भलाई जो कर रहे, उसे ना सताइए। पाप-पुण्य,मोह-माया, काम-क्रोध यहाँ आया, ईर्ष्या का घना कुहरा, खुद को बचाइए। ©Bharat Bhushan pathak #सँभल मन साफ सदा रखें, कभी किसी को न ठगें, वैर भाव पाले नहीं, प्रेम अपनाइए। बिखरे असंख्य रंग, दया बिन बदरंग,