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विकाश yadav
नवरात्रि और धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं ग्राम सभा लक्ष्मीपुर के सभी ग्रामवासियों को दशहरा एवं धनतेरस और छठ पूजा की नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाए। ।
ग्राम सभा लक्ष्मीपुर के सभी ग्रामवासियों को दशहरा एवं धनतेरस और छठ पूजा की नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाए। ।
read moreThe Sarvajeet Krishna
Happy Friendship "Life" 'मेरा आज का अनुभव' (Caption) "घरघरघररररऽऽघऽघररर".... स्कूटी के बंद होने की आवाज़ के साथ हीं एक चीखती आवाज़ "रे"... आवाज़ मोटू की थी और उसके अंदाज़ का भी पता था मुझे, रे
"घरघरघररररऽऽघऽघररर".... स्कूटी के बंद होने की आवाज़ के साथ हीं एक चीखती आवाज़ "रे"... आवाज़ मोटू की थी और उसके अंदाज़ का भी पता था मुझे, रे #Friendship #lifelessons #lifequotes #mylife #happyfriendshipday #HappyFriendshipLife
read moreKaushal Bandhna punjabi
अंतिम क्षण। लघुकथा,, मान्यता सितार बजा रही थी जब सिद्धार्थ सो गया, कभी न उठने के लिए ! बीमारी से लड़ रहे सिद्धार्थ की अंतिम इच्छा पूर्ण करने के लिए एक लंबे समय के बाद सितार उठाया,मान्यता ने और बजाना शुरू कर दिया।ना जाने फिर कब खो गई अतीत की यादों के ताने बाने में। कैसे कालेज में म्यूजिक क्लास का पहला दिन और सिद्धार्थ से उसकी मुलाकात। क्लास में एंट्री करते ही नज़र सामने बैठे सिद्धार्थ पर पड़ी जो एकटक मान्यता को देख रहा था। दोनों जैसे सुध-बुध खो से बैठे थे। म्यूज़िक टीचर की आवाज़ सुनते ही टूट गया था ध्यान जैसे। धीरे धीरे दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया सिद्धार्थ ने।रोज म्यूज़िक कक्षा का इंतज़ार जैसे दोनों के लिए घंटे नहीं महीने या साल हों। जब मान्यता सितार बजाती खो जाता सिद्धार्थ उसके संगीत में,,,,ना जाने मान्यता को साथ लेकर किन आसमानों में उड़ जाता कल्पना के। समय बीतता गया और कालेज का अंतिम साल भी खत्म हुआ।घर जाने से पहले सिद्धार्थ ने मान्यता के आगे शादी का प्रस्ताव रखते हुए कहा ,,,, बहुत जल्दी नौकरी देखकर तुम्हरा हाथ मांगने आऊंगा,,,,,क्या तुम इंतज़ार करोगी मेरा। यह सुनकर मान्यता की आंखें भर आईं थीं।शब्द जुबान पर नहीं आ रहे थे,गला भर आया था उसका।वह यह जानकर इतनी खुश थी कि कुछ समझ नहीं आ रहा कैसे वह अपनी खुशी का इजहार करे।पर सिद्धार्थ समझ चुका था वह कुछ कहती इससे पहले सिद्धार्थ ने उसको गले से लगा लिया। आज फिर ध्यान टूटा मगर म्यूज़िक कक्षा में नहीं,घर के एक कमरे में यहां सिद्धार्थ सामने सदा के लिए मंत्रमुग्ध हो चुका था।वह कभी ना जगने वाली नींद में था और मान्यता गुमसुम एकटक उसको देख रही थी कि शायद आज फिर उठकर उसको गले से लगा लेगा,इसी इंतज़ार में शायद आंसू भी रूक गये थे आंख की कोर पर। कौशल बंधना पंजाबी। पंजाब। 19 जनवरी 2020 अंतिम क्षण। लघुकथा मान्यता सितार बजा रही थी जब सिद्धार्थ सो गया, कभी न उठने के लिए ! बीमारी से लड़ रहे सिद्धार्थ की अंतिम इच्छा पूर्ण करने
अंतिम क्षण। लघुकथा मान्यता सितार बजा रही थी जब सिद्धार्थ सो गया, कभी न उठने के लिए ! बीमारी से लड़ रहे सिद्धार्थ की अंतिम इच्छा पूर्ण करने
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