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Writer @143
Black हुस्न कहां हसीना के होता है।। बेवकूफ इंसान,,, जिसे से इश्क हो जाए। वो हसीन लगने लगता हैं।।। ©Writer @143 #Thinking हसीना
Chotu raikwar
मुंहतोड़ जवाब दिया महाराज जिसे को₹500 जरूरत होती है तो वह अपनी पत्नी से तलाक लेने में पैसे कैसे कमाएं अपने को₹500 जरूरत नहीं होगी और न कोई रास्ता नहीं बचा है कि यह एक बहुत ही अच्छा और क्या हो गया और ©Chotu #trafficcongestion में एक और हसीना है मेरे₹500
Rohan Rajasthani
वो हसीना वो जादुई लड़की ना जाने क्या जादू कर गयीं नैनो के तीर सीधे दिल के निशाने पर धर गयीं चैन चुरा कर दिल को पिघला कर करके इश्क का आँखों से इशारा ना जाने अब वो किधर गयीं ©Rohan Rajasthani वो हसीना #GingerTea AmitSinghRajput ASR Rakesh Srivastava Shahnaz sukhadeen maravi Hisamuddeen Khan 'hisam'
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- आपको दिल पुकारे चले आइए । राह पलके बुहारे चले आइए ।।१ क्या हँसी हैं नजारे चले आइए । चल पड़े नैन धारे चले आइए ।।२ यार छत पर कभी आप आये नज़र । तो करें हम इशारे चले आइए ।।३ पास बैठो कभी तो घड़ी दो घड़ी । आपको हम निहारे चले आइए ।।४ होश बाकी रहा आपको देखकर । जुल्फ़ फिर हम सँवारे चले आइए ।।५ चाह है आपको इक झलक देखना । प्राण से आप प्यारे चले आइए ।।६ लूट कर ले गई दिल हसीना वही । जो किया कल इशारे चले आइए ।।७ शाम तंहा यहां यार अपनी लगे । बाँह फिर हम पसारे चले आइए ।।८ दर्द का आज मारा प्रखर है पड़ा । आपके हैं सहारे चले आइए ।।९ २९/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आपको दिल पुकारे चले आइए । राह पलके बुहारे चले आइए ।।१ क्या हँसी हैं नजारे चले आइए । चल पड़े नैन धारे चले आइए ।।२
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- इश्क़ तुमको पुकारे चले आइए । राह तेरी बुहारे चले आइए ।।१ क्या हँसी हैं नजारे चले आइए । हम तुम्हीं को पुकारे चले आइए ।।२ यार छत पर कभी आप आये नज़र । तो करें हम इशारे चले आइए ।।३ पास बैठो कभी तो घड़ी दो घड़ी । जलवा तेरा निहारे चले आइए ।।४ होश बाकी रहा गर तुम्हें देखकर । जुल्फ़ तेरी सँवारे चले आइए ।।५ चाहता हूँ तुम्हें इक झलक देखना । प्राण से आप प्यारे चले आइए ।।६ लूट कर ले गई दिल हसीना वही । जो किया कल इशारे चले आइए ।।७ शाम तंहा यहां यार अपनी लगे । बाँह फिर हम पसारे चले आइए ।।८ दर्द का आज मारा प्रखर है पड़ा । आप ही है सहारे चले आइए ।।९ २९/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- इश्क़ तुमको पुकारे चले आइए । राह तेरी बुहारे चले आइए ।।१
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