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Nature Lover Asha Khanna
है ये सावन महीना, सज गए मंदिर शिवालय बज रहे हैं ढोल ताशे,शिवजी चले गौरा को व्याह ने डाले गले सर्पों की माला, देह पर भस्मी सजाए मृग छाला उनको पहनाकर,शिवजी को दुल्हा बनाए बज रहे हैं ढोल ताशे,शिवजी चले गौरा को व्याह ने सज गई बरात सारी,नंदी पर शिवजी विराजे है अनूठी बारात शिव की,देवता गण भी पधारे बज रहे हैं ढोल ताशे, शिवजी चले गौरा को व्याह ने हाथों में मेहंदी लगाकर, फूलों से करें श्रंगार उनका लाल चुनर उनको उड़ाकर,माता को दुल्हन बनाए बज रहे हैं ढोल ताशे,शिवजी चले गौरा को व्याह ने है ये सावन महीना, सज गए मंदिर शिवालय । ©Nature Lover Asha Khanna #mahashivratri शिव का विवाह
Bhagirath Singh
विवाह का पवित्र बन्धन जिन्दगी के माइने बदल देता है। जब दो किस्मत एक मंजिल की ओर चल देती हैं तो खुदा भी तकदीरे ए तस्वीर बदलने के लिए आइने बदल देता है। ©Bhagirath Singh #विवाह का पवित्र बन्धन
सत्यमेव जयते
शिव जी और पार्वती जी ने एक दिन विचार किया कि अब बच्चों का विवाह करना चाहिए। कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी से कहा कि जो इस पूरे संसार का चक्कर लगाकर पहले लौट आएगा, उसका विवाह पहले कराएंगे। कार्तिकेय स्वामी तो अपने वाहन मयूर यानी मोर पर बैठकर उड़ गए। गणेश जी का वाहन चूहा है तो उन्हें अपना दिमाग दौड़ाया। गणेश जी ने तुरंत ही माता-पिता यानी शिव-पार्वती की परिक्रमा कर ली और कहा कि मेरे तो आप दोनों ही पूरा संसार हैं। ये बात सुनकर शिव जी और पार्वती जी बहुत प्रसन्न हो गए। शिव जी ने गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दे दिया। कार्तिकेय स्वामी संसार की परिक्रमा करके आए तो उन्हें थोड़ा ज्यादा समय लग गया। वापस लौटकर कार्तिकेय स्वामी ने देखा कि गणेश का विवाह हो गया है। पूरी बात मालूम हुई तो कार्तिकेय स्वामी नाराज हो गए। नाराज होकर कार्तिकेय स्वामी क्रोंच पर्वत पर चले गए। ये क्रोंच पर्वत आज दक्षिण भारत में कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर है। इसे श्रीपर्वत भी कहते हैं। माता-पिता ने कार्तिकेय स्वामी को मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन कार्तिकेय का गुस्सा खत्म नहीं हुआ। जब बहुत कोशिशों के बाद भी शिव-पार्वती कार्तिकेय स्वामी को मना नहीं पाए तो उन्होंने तय किया कि अब से वे हर माह की अमावस्या पर शिव जी और पूर्णिमा पर पार्वती जी कार्तिकेय से मिलने क्रोंच पर्वत पर जाएंगी। इसलिए श्रीपर्वत के मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में शिव जी और पार्वती जी, इन दोनों की ज्योतियां हैं। मल्लिका यानी पार्वती और अर्जुन यानी शिव जी। इस कहानी का संदेश यह है कि माता-पिता अपनी नाराज संतान को मनाने के लिए पूरी कोशिश करते हैं। बच्चों को भी अपने माता-पिता की भावना का ध्यान रखना चाहिए। बच्चे अलग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते हैं तो माता-पिता को ही उन्हें थोड़ा प्रेम से समझाना चाहिए। ©Kumar Vinod गणेश का विवाह हो
पूर्वार्थ
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि" वे सारे लड़के, अर्जुन तो थे.......बस उनके हिस्से कृष्ण नहीं आये उनके हिस्से आया रोज का 2 जीबी इंटरनेट उन्होंने अपने कृष्ण को खूब तलाशा....कभी किसी youtuber की बातों में तो कभी सौ रुपये की जिंदगी बदल देने वाली किताबों में लेकिन, इन installment में मिली गीता ज्ञान ने उन्हें अध्यात्म कम, capitalism ज्यादा सिखाया...... कृष्ण के अभाव में ये अर्जुन नहीं कर पाये, सगे दुर्यधनों, दुःशासनों का वध, बल्की अपने ही दिमाग में इन्होंने किया कौरवों का पोषण किसी द्रोणाचार्य ने नहीं दिया इन्हें सर्वश्रेष्ठ बनाने का वचन.......ये निहारते रहे मछली का जिस्म द्रौपदियों ने किया आखिरी वक़्त में इन्हें इंकार.......जताया इनकी काबिलियत पर संदेह ये सारे अर्जुन, अलसाकर अनमने से फिलहाल निपटा रहे हैं Netflix,......... .कर रहे हैं सरकारी वेकैंसी का इंतजार, एकलव्यों का आगे निकलना इन्हें खलता है, ये कोसते हैं आरक्षण को लेकिन, मुझे है यकीन है एक रोज, ये उठेगें अचानक से इन्हें याद आयेगा, कि ये चला सकते हैं धनुष, रखकर Redmi और Oppo का फोन, उठा लेंगे गांडीव और तोड़ देंगे चक्रव्यूह और निकल आयेंगे बाहर क्योंकि, चक्रव्यूह से बाहर निकलना अर्जुन को आता था ऐसा महाभारत हमें बताती है...!! आपको क्या लगता है........ ये अर्जुन उठा पायेगा गांडिव और तोड पायेगा चक्रव्यूह अपने अन्त:करण का................क्या भेद पायेगा मछली की आंख रूपी लक्ष्य या सो जायेगा 2 जीबी डाटा निपटाकर ....। ©पूर्वार्थ #आज का अर्जुन #इंटरनेट
RV Chittrangad Mishra
प्रेम विवाह का कारण #NojotoPhoto