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Balwant Mehta
डगमगाया हूं पर हारा नहीं, सियासत का खेल है, सारा यही। जीत कर भी मुकाम जो पाया नहीं, एक कदम पीछे, पर दिल घबराया नहीं। कुर्सी की जंग में चली चाल नई, सत्ता के संग दोस्ती भी बेमायनी। नेता जी ने झुककर दिखा दी मिसाल, जनता की खातिर किया हर सवाल। राजनीति में ऊंच-नीच का है खेल, कभी जीत का ताज, कभी हार का मेल। पद पीछे सही, मगर हौसला वही, नेता जी का जज्बा, मिसाल बनी। ©Balwant Mehta #maharashtra #Politics
Ubaida khatoon Siddiqui
politics jab start huyi thi तब भले ही लोगों ने, लोगों की, देश की भलाई के लिए काम किये जाते थे, फिर उसके बाद से politics के नाम पर सिर्फ और सिर्फ politics ही हुई हैं, अपना उल्लू सीधा करने की बस, इन सब में बस मासूमों की जान जाती हैं और कुछ नहीं होता और ना ही कभी होगा , शायद! 😏 5/12/24 08:45 p. m. (U. K.) ✍️ ©Ubaida khatoon Siddiqui #sad_quotes #Ubaidakhatoon #ubaidawrites #Politics
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read moreI.K.Sridhar
White இப்போதெல்லாம் நிறைய தனியார் நிறுவனங்களில் எங்காவது பார்க்கப்போவதை நம்மிடம் இங்கேயே பார்க்கட்டும் என உறவினர்களை பணிக்கு அமர்த்துகிறார்கள். எல்லோரையும் போல அவர்களும் சக பணியாளர்களே...! ஆனால்.. எரிச்சல் அடைய வைக்கிறது.. பணி சார்ந்த நம் சந்தேகங்களுக்கு "சித்தப்பா சொன்னார்.. தம்பியிடம் பேசிக்கொள்கிறேன். அக்காவிடம் கேட்டிருக்கிறேன்... மேலும் மாமா, மாப்பிள்ளை " போன்ற சம்பாஷனைகள். அலுவல் சார்ந்த விஷயங்களில் உறவு முறைகளை உட் கொணர்தல் நாகரீகமான செயல்களன்று. இது எப்போது புரியப்போகிறது இவர்களுக்கு? -ஸ்ரீதர்.ஐ.கே. ©I.K.Sridhar office politics
office politics
read moreAvinash Jha
राजनीति की रोटी, घी से तले, हर नेता कहे, "हम देश संभाले!" वादे हज़ारों, सचाई है खोई, वोटों की खातिर, हर चाल चली जाए। मध्यम वर्ग का सपना अधूरा, कभी EMI, कभी बिजली का फंदा। बजट में जीता, महंगाई से हारा, छोटी-सी खुशी भी बन जाए प्यारा। हर चुनाव में फिर से नया सपना दिखाते, नेता जी आते, बस वादे थमाते। मध्यम वर्ग सोचता, "कब तक ये धोखा?" पर चलती है ज़िंदगी, इसी आशा में खोखा। नेता के बेटे विदेश में पढ़े, मध्यम वर्ग का बच्चा कर्ज में पड़े। घर के सपने, रोज़मर्रा में बिखरे, पर ज़िंदा रहे, उम्मीदें समेटे। देश बदलने का नारा है प्यारा, पर मध्यम वर्ग का संघर्ष है सारा। राजनीति की बिसात पर मोहरे हैं हम, चुपचाप सहें सब, फिर भी न बोलें हम। ©Avinash Jha #protest #Politics
Ashok Mangal
लोकतंत्र की धज्जियां, उड़ रही हर ओर ! चारों खंबे मिले जुले, लूट रहे चारों चोर !! कलम को चारों ओर, दिख रहा अंधकार ! लुट रही जनता सारी, जनहित तार तार !! जीना मुश्किल हो रहा, बजट बैठ ही न रहा ! रोज़गार लापता, पांच किलो बस मिल रहा !! कमाना तो चाहत सारे, पढ़े लिखे फ़िरत मारे मारे ! अपराधियों के आज-कल, चहुँ ओर है वारे न्यारे !! ईमान की कदर नहीं, भ्रष्टाचार का बोलबाला ! काम कोई भी हो तो, नोट और परोसो बाला !! मिट चुका है जड़ मूल से, नैतिकता का नाम निशां ! रोज़ परोस रहे हैं जुआ, हर गली में उपलब्ध नशा !! शादी की सोच घट रही, घट रही संतान की लालसा ! बुजुर्गों का सम्मान नहीं, घटा वृद्धाश्रम का फ़ासला !! बुद्धिजीवियों की बुद्धि भी, डरी सहमी दुबकी है ! जिनमें भी हिम्मत थी उनकी जान तक जा चुकी है !! जुल्मों सितम की पराकाष्ठा जब जब हुई ज़माने में ! उम्मीद की किरणें ओझल हुई जब कभी ज़माने से !! युवाओं ने नए हौंसले से मुकाबले का बीड़ा उठाया है ! युवाओं का जोश और होश ही माहौल बदल पाया है !! - आवेश हिंदुस्तानी 23.10.2024 ©Ashok Mangal #IndiaLoveNojoto #AaveshVaani #JanMannKiBaat #Politics
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