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Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 आपने अपने जीवन में जो यश " कीर्ति " अर्जित की है वह आपका गुस्सा एक क्षण में मिट्टी में धुमिल कर देगा !.i. j ©Indra jeet #जीवन दर्शन 🌹 आपने अपने जीवन में जो यश " कीर्ति " अर्जित की है वह आपका गुस्सा एक क्षण में मिट्टी में धुमिल कर देगा !.i. j #sunrays
Durga Banwasi Shiwakoti
जीवीत है इस दिल मे एक धुमिल आश, अधुरी है आँखाें मे अतृप्त सी प्यास । अनगिनत चेहराें की इस भिड मे, लगता, कहीं खाे गया तेरा एहसास ।
आयुष पंचोली
एहसास किसी के दर्द का, होता कहाँ महसूस किसी को हैं, अपने अक्स मे धुमिल हो अक्स किसी और का भी, ऐसा इश्क नसीब, होता किसी किसी को हैं। आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan एहसास किसी के दर्द का, होता कहाँ महसूस किसी को हैं, अपने अक्स मे धुमिल हो अक्स किसी और का भी, ऐसा इश्क नसीब, होता किसी किसी को हैं। आयुष पं
Parul Sharma
सत्य छिपता नहीं बस धुमिल हो जाता है। बस दो पल के लिए ओझल हो जाता है। छटती समय रज जब क्रांति के तूफान से तब हर चेहरा बेनकाब हो जाता है। पारुल शर्मा #NojotoQuote सत्य छिपता नहीं बस धुमिल हो जाता है। बस दो पल के लिए ओझल हो जाता है। छटती समय रज जब क्रांति के तूफान से तब हर चेहरा बेनकाब हो जाता है। पारुल
Parul Sharma
सत्य छिपता नहीं बस धुमिल हो जाता है। बस दो पल के लिए ओझल हो जाता है। छटती समय रज जब क्रांति के तूफान से तब हर चेहरा बेनकाब हो जाता है। पारुल शर्मा सत्य छिपता नहीं बस धुमिल हो जाता है। बस दो पल के लिए ओझल हो जाता है। छटती समय रज जब क्रांति के तूफान से तब हर चेहरा बेनकाब हो जाता है।
आयुष पंचोली
कुछ यूँ लाजमी सा हो गया था........!!!!!!!! मेरा बदलना पाने को खुद ही को जरुरी सा हो गया था। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan कुछ यूँ लाजमी सा हो गया था ..........!!!!!! मेरा बदलना पाने को खुद ही को जरुरी सा हो गया था। कौन अपना हुआ हैं इस मतलब परस्ती की दुनिया मे,
R.S. Meena
इन्द्रियाँ इन्द्रियों को वश में करना अब किसी के बस में नहीं। कर सके जो भीष्म सी प्रतिज्ञा, ऐसा तो जग में नहीं।। आधुनिकता का दोष है इसमें या है कोई पागलपन, बात-बात पर ताप बढ़ जाएँ, हो ज्वर से जलता तन। ज्वार-भाटा की घड़ी आने पर, पकड़ से दूर जाता मन, उतरे जब ज्वर शरीर का, प्रायश्चित करने को जाता वन। चैन की नींद खरीदने की ताकत किसी धन में नहीं। इन्द्रियों को बस में करना अब किसी के बस में नहीं। आविष्कारों की भेंट चढ़ गई प्रकृति की अनुपम छाया, बहुमंजिला इमारतों में वातानुकुलित यंत्रों को अद्भुत माया। प्राकृतिक फलों के रस को छोड़ के, पीते कृत्रिम पदार्थ जहर से जहर बने शरीर में, जो पल में हो जाएँ चरितार्थ। शुद्ध हवा में विष मिलाना, अब किसी के हक में नहीं। इन्द्रियों, को बस में करना अब किसी के बस में नहीं। संस्कृति की राह छोड कर, धुमिल हो रही भूमि पावन, खान-पान का समय ना जाने, दुषित करते अपना दामन। वाणी पर फिर संयम खोते, मद में रहते पीके नशीला पाणी, मर्यादा की कोई बात ना सुने, विनाश की ओर जाता प्राणी। मर्यादा में रह ले, ऐसी भावना किसी के मन में नहीं। इन्द्रियों को बस में करना अब किसी के बस में नहीं। #rsmalwar #yqdidi इन्द्रियाँ इन्द्रियों को वश में करना अब किसी के बस में नहीं। कर सके जो भीष्म सी प्रतिज्ञा, ऐसा तो जग में नहीं।। आधुनिकता
आयुष पंचोली
क्या सच मे होते हैं स्वर्ग या नरक, या यह सिर्फ एक कोरी कल्पना मात्र हैं...!? क्या नरक और स्वर्ग सच मे होते हैं, या यह सिर्फ कोरी कल्पना मात्र हैं..!? यह प्रश्न भी उतनी ही गहन सोच का विषय हैं , जितना की आत्मा। अगर आप म