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दूध नाथ वरुण
इस जीवन की लड़ाई में, यूं हार जीत तो होती है। यूं आगे बढ़ मत रुकना तू,क्योंकि आगे जीवन ज्योति है।। ©दूध नाथ वरुण #जीवन#ज्योति
Shiwam Tiwari 'AU'
यह जीवन आपका है,यह जीवन एक नई ज्योति है, इस जीवन-रूपी-ज्योति को सदैव प्रज्ज्वलित रखें! जीवन एक ज्योति
जीवन एक ज्योति
read moreDR. LAVKESH GANDHI
मौत मौत की परवाह किसे है मैं तो जीवन जीने निकला हूँ मैं तो हरपल हर क्षण जीवन जीने का आंनद उठाया करता हूँ #जीवन # #जीवन ज्योति # #life#yqjivan #
जीवन # जीवन ज्योति # lifeyqjivan #
read moreGurudeen Verma
शीर्षक - किसी ज्योति ने मुझको , यूँ जीवन दिया ---------------------------------------------------------------- किसी ज्योति ने मुझको , यूँ जीवन दिया । गुम अंधेरों में था , मुझको रोशन किया ।। किसी ज्योति ने मुझको -----------------------। पैदा उस घर हुआ , थी गरीबी जहाँ । कांटे थे हर कदम , नहीं सुविधा जहाँ ।। जीवन खुशियों से शिक्षा ने ,भर तब दिया । किसी ज्योति ने मुझको ----------------------। जग की रस्मों - रिवाजों से अंजान था । ना कोई शौक था , इतना नादान था ।। कुछ सपनों ने मुझको , जगा तब दिया । किसी ज्योति ने मुझको -------------------। महके गुलशन मेरा, ऐसा हमदम मिले । घर हो आबाद मेरा ,प्यार खुशियां मिले ।। मुकम्मल मेरे सपनों को, उसने कर दिया । किसी ज्योति ने मुझको -----------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान) (नवम्बर 2021 में स्वरचित रचना) ©Gurudeen Verma #किसी ज्योति ने मुझको जीवन दिया
Dev. The Devil.
जो ज़मीन को जोते बोये वही ज़मीन का मालिक होये कृषक मसीहा चौ० चरणसिंह की पुण्यतिथि पर उनको शत शत नमन ,, 29 मई 1987 Dev The Devil #कृषक मसीहा
#कृषक मसीहा
read moreKaushal Kumar
ये फसल जो दिख रही है दूर तक फैली हुई। ये किसी के जिंदगी का एक ही आधार है।। रोज थाली में तुम्हारी आ रहीं जो रोटियाँ। ये फसल उन रोटियों का एक ही आसार है।। नीतियाँ तुम क्या बनाओगे वहाँ पर बैठकर। कौन सी है नीति जो कीमत इन्हें दे पाएगी।। देश मे होता रहा है और फिर होगा वही। अन्नदाता को दया की भीख दे दी जाएगी।। आधुनिकता ने किया बाज़ार भी कुछ इस तरह। अब सभी धनवान ग्राहक मॉल के हैं धूम में।। हो रहा क्रय और विक्रय अब शहर में इस तरह। सब्जियाँ फुटपाथ पर, जूते बिकें शो रूम में।। था सुना हमने कभी, भारत है बसता गाँव में। और गांवों की फ़क़त खेती से ही पहचान है।। हर कोई अब चाहता रोटी मिले बस छाँव में। पर कृषि के उन्नयन पर क्या किसी का ध्यान है? ............... ........कौशल तिवारी . ©Kaushal Kumar #कृषि और कृषक
Juhi Grover
फिर भी सौ सौ बार मर चुके, फिर भी जीने की तमन्ना थी। समय की सांझ के चलते, सुबह की किरण ओजस्वी थी। Diary 2009
Diary 2009
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