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Stories related to चेष्टा का शब्दार्थ

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Dayal "दीप, Goswami..

#शब्दार्थ का फेर@@

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कुछ शब्दों की समझ का फेर था,जी का जंजाल बन गया
जिंदगी में बहुत कुछ हासिल किया  कैसे कंगाल बन गया
खोजा शकून  गली गली ,ना जाने कैसे बवाल मच गया,
जिंदगी की तलाश में, जिंदगी का ही  ये सवाल बन गया।*******************
अपने ही शब्दों की खातिर हम ने खुद को  रोक लिया
जिंदगी के एक  अध्याय को हमने   यहीं खत्म, किया
अधूरी ख्वाइश,जिंदगी की अधूरी कहानी बनकर रह गई
लफ्ज़ खामोश ,शब्द खामोश, यहीं अब जिंदगी  बन गई।
,,दीप,,
, #शब्दार्थ का फेर@@

Rani Ashish Thakur

शब्दार्थ।।। #विचार

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HP

चेष्टा

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अज्ञानता के दुष्परिणामों से बचने का यह तरीका सबसे अच्छा है कि हम अपनी मानसिक चेष्टाओं को संसार का रहस्य समझने में लगायें। चेष्टा

somnath gawade

भांडणातले 'शब्द' जरी माझे असले;
तरी त्या शब्दांना 'अर्थ' तुला हवे तसे होते. #शब्दार्थ

Aamni

चेष्टा..😊 #Motivational

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Black अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की चेष्टा हमेशा प्रबल होनी चाहिए,
परंतु जो वर्तमान में है उससे संतुष्ट रहना चाहिए...:)

©Aamni चेष्टा..😊

upvinder singh

शांत धारा सा करे गमन,
ज्यों हल्का सा छुए धरातल,
बहती जाए सरल मन पाताल,
चेष्टा अवलोकन का प्रयास।

©upvinder singh #चेष्टा 

#Childhood

Dr Mangesh Kankonkar

मदत कि चेष्टा

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भुकेने व्याकुळ होवुन झाली तिची तळमळ,
तेवढ्यात दिले तिला कोणी आणुनी ते फळ...

फळ ते बघताच तृप्त मन तिचे झाले,
मनोमन तिने मानवाचे आभार मानले...

फळामध्ये होत त्या बारुद नावाच विष,
पाण्यामध्ये उभी तिने बुडवलं निज शीष...

पोटात तिच्या वाढत होता इवलासा तो गर्भ,
माहीत नव्हतं तिला देणारा आहे मानवरुपी सर्प...

उभी होती वाहणाऱ्या नदीत एकांतात ती,
करत होती विचार काय गुन्हा केला मी ?

घेतली तिने तिथेच गर्भासोबत जलसमाधी,
कळून चुकली तिला मानवाची गहाण बुध्दि...

तिच्या मनातील भावना ता कोणास नाही कळल्या,
तिच्या अश्रुधुरा सुद्धा पाण्यासोबत वाहुन गेल्या!!!

- मंगेश काणकोणकर. मदत कि चेष्टा

Thakur Pranjal Singh

मै कविता का वो अर्थ हूं!
जिसके शब्द तुम हो। #शब्दार्थ #कविता #प्यार #nojoto

Asheesh indian

शब्दार्थ, आशीष :-(यानी जैसे को तैसा) #Foggy

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न किसी के लिए शेष, न किसी के लिए विशेष
इस मोह भरी दुनिया में बनकर रहो आशीष

©Asheesh indian शब्दार्थ,
 आशीष :-(यानी जैसे को तैसा)
#Foggy

Nasamajh

शब्दार्थ :- तारिकी - अंधेरा इसरार - आग्रह , हठ सहर - सुबह

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वो सख़ी है तो किसी रोज़ बुला कर ले जाएं और 
मुझे वस्ल के आदाब सिखा कर ले जाएं !!

मेरे अंदर किसी अफ़सोस की तारीकी हैं
इस अँधेरे में कोई आग जला कर लें जाएं !!

यें मेरी रूह में निंद की थकन कैसी हैं
वो समंदर की तरह आए बहा कर ले जाएं !!

हिज्र में जिस्म के इसरार कहाँ खुलते हैं
अब वहींं सहर करें प्यार से आ कर लें जाएं !!

ख़ाक आँखों में है वो ख़्वाब कहाँ मिलता है
जो मुझे क़ैद-ए-मनाज़िर से रिहा कर लें जाए ।। शब्दार्थ :- 
तारिकी - अंधेरा 
इसरार - आग्रह , हठ
सहर - सुबह
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