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Charlie Danu

पहाड़ियों का बिंदु कथा

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M R Mehata(रानिसीगं )

जीत का संकेत बिंदु #प्रेरक

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Ratan Singh Champawat

दृग के द्वार से

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आज कुछ स्पंदन...
❤❤❤❤❤
माना कि एक कतरा भर हूं मैं ....
किंतु मेरा अस्तित्व गहरा है सातों समंदरों से भी यह सारे.नदियां ,तालाब ,झीलें, महासागर ..सब के सब बने हैं मुझ ही से तो 
समाए हैं.यह सब मुझे ही में 
और एक दिन फिर से..
सिमट आएंगे मुझ ही में यह सब... 
एक अनछुई रुहानियत हूँ मैं.. 
अनकही व्यथा कथा की अभिव्यंजना हूँ..मैं स्वानुभूत पीड़ा का साक्षात्कार हूं ..मैं पवित्र..पावन..पुनीत हूं..
तभी तो सूरज भी मुझे छूकर झिलमिला उठता है..इंद्रधनुषी सतरंगी आभा से
चिर मुक्त हूं मैं ..सारे तटों ,कूलों,साहिलों की परिभाषाएं कभी बांध न सकी मुझको किसी सीमा मे.. मैं समाया हूं...बस अपने ही आकार में..निराकार हो कर.. 
सृजना भी मेरी..मैंने ही की है
इसीलिए तो मैं..विस्तृत हूं..समस्त विस्तार से परे तक !
किंतु मेरे दोस्त 
विडंबना यही है कि.
तुम सागर की हदों में ही उलझे रहे...मुग्ध रहे..किनारों की कशमकश तक ही..
जकड़े रहे..तुच्छता के मोहपाश में..
असीम की अनकही अनुभूति का आकर्षण
लय में विलय..लीन में विलीन..
हो जाने का आनंद 
वंचित रहे इन सब से तुम  
मात्र कुछ प्रवंचनाओं के कारण
और मुझे अफसोस है मेरे दोस्त
कि तेरी दृग देहरी पर 
मैं कब तक ठहरता  
लो मैं तो चला 
फिर अपने उसी निरपेक्ष पटाक्षेप की ओर 
मगर जा रहा हूं छोड़कर कुछ स्पन्दन अपने जो देते रहेंगे दस्तक
तुम्हारे दिल की देहरी पर अक्सर..
 दृग के द्वार से

Pushpendra Pankaj

विचार बिंदु

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समाज मे कुछ लोग आपको बुरा  तो कुछ आपको सही भी  कहते हैं, यह सब पर लागू होता है । अतः मात्र स्वयं को  ही दोषी नहीं मान । समाज की  संरचना ही ऐसी है ।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj विचार बिंदु

Pushpendra Pankaj

विचार बिंदु

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विचार बिंदु 
संबंध की डोर बहुत महीन होती है जिसके  दोनों  छोर विश्वास  नामक  पेंचों से कसे  होते हैं ।किसी भी पेच के ढीले होने से डोरी का ढीली होना स्वाभाविक है ।
पुष्पेन्द्र " पंकज "

©Pushpendra Pankaj विचार बिंदु

Parasram Arora

केंद्र बिंदु #कविता

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अरविंद राव

#क्षितिज बिंदु #Poetry

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दो जिस्म
ओर वो बिस्तर
फिर भी हैं फ़ासले
यूँ हमबिस्तर होना
है जोड़ मात्र एक
होता अगर संयोंग
ये जिस्मों का मिलना
तो जुड़ती रूह
ना होते बोझिल
और धुंधले से 
ये सम्बंधो के फ़ासले
बहुत कुछ है अब 
क्षितिज की बिंदुरेखा सा
इक तेरे मेरे दरमियाँ।।

©Arbind #क्षितिज बिंदु

Parasram Arora

जुड़ाव बिंदु #कविता

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शब्दों से  जुडी है कविता जैसे.
नींद से जुड़ा है ख्वाब जैसे
साँसे जुडी है जिंदगी से जैसे
वैसे ही मैं जुड़ा हूँ तुमसे और तुम मुझसे
इस जुड़ाव बिंदु पर कोई तो है
जो जोड़े रखता है हमेँ एक दूसरे से
कदाचित वो प्रेम का सम्पुट हो
या फिर हमारे विश्वासों का उल्लास
या फिर  रात्रि के अभिसार का कोई प्रणय गीत
जो हमारे अस्तित्व क़ो  बरकरार ऱखने के लिए
और  एक दूसरे से जोड़े ऱखने के लिए. तत्पर हो

©Parasram Arora जुड़ाव बिंदु

Rahul Shastri worldcitizens2121

सत्संग का अर्थ

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Safar                                 July 10,2019

सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। 
ओशो सत्संग का अर्थ

RAVI KUMAR

#झुकने का अर्थ# #Motivational

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