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paramjit singh
आज फिर से मेने उसका लिखा खत था खोला भुली बिसरी यादो को टटोला आज फिर से आँख हुई नम आज फिर से मेने आपने जखमो को था खोला ## सेसक #यादे ## कविता ##
Arvind Pratap
जब सुबह से साम कट गई तो रात भी कट ही जाएगी गुजार लूँगा अकेले तन्हा जिंदगी तेरे बग़ैर तू खुस रहे हमेसा अपनी जिंदगी में तुझे अपनी नई मंजिल मिल ही जाएगी ©Arvind Pratap जब सुबह सेसाम कट गई #evening
VᏆᏕꫝחÚ Kบmαwατ
online shopping kare kam kimat me ©VᏆᏕꫝחÚ Kบmαwατ S8सेअत्यंतसेसीरीज़सेस्मार्टसेवॉचसेबॉडीसेसीसभीसेस्मार्टवाचसेसीरीज़से8सेस्मार्टसेनिगरानीसेसाथसेदिलसेमूल्यांकन करेंसेरक्तसेदबावसेऔरसेएसपीओ 2सेजाँ
||स्वयं लेखन||
अतीत के दर्पण में नहीं लौटना है तुम्हें, अतीत के अनुभव से सीखना है तुम्हें। ©||स्वयं लेखन|| अतीत के दर्पण में नहीं लौटना है तुम्हें, अतीत के अनुभव सेसीखना है तुम्हें। #Life #Life_experience #Poetry #thoughts
Sonu Mahajan
सबसे बड़ी बात है कि स्वयं को चुनौती दें। आप स्वयं पर हैरान होंगे कि आप में इतना बल या सामर्थ्य है, तथा आप इतना कुछ कर सकते हैं। - सेसील एम. स्प्रिंगर सबसे बड़ी बात है कि स्वयं को चुनौती दें। आप स्वयं पर हैरान होंगे कि आप में इतना बल या सामर्थ्य है, तथा आप इतना कुछ कर सकते हैं। - सेसील एम.
Lotus•‿•
Poet Kuldeep Singh Ruhela
#ऐसे मानना होली का त्यौहार जहां बरसे पिचकारी से प्यार यही मौसम है प्यार सेसबसे गले मिलने का तो गुलाल लेकर हो जाओ सारे रुहेला परिवार वाले तैयार क्युकी आया है आज होली का त्यौहार आज आया होली का त्यौहार! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #holi2024 #ऐसे मानना होली का त्यौहार जहां बरसे पिचकारी से प्यार यही मौसम है प्यार सेसबसे गले मिलने का तो गुलाल लेकर हो जाओ सारे रुहेला प
लफ्ज़-ए-राज...
सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै। जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं॥ नारद से सुक व्यास रहे, पचिहारे तू पुनि पार न पावैं। ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं॥ शुभ जन्माष्टमी ❤️🙏☺️ @ianilraj01 सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै। जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं॥ नारद से सुक व्यास रहे, पचिहारे तू पुनि पार न प
Divyanshu Pathak
काहू कौ मांखन चाखि गयौ अरु, काहू कौ दूध दही ढरकायौ काहू कौ चीर लै रुख चढ़्यौ अरु, काहू कौ गुंजछरा छहरायौ मानें नहीं बरजै रसखानि, सुजानियै राज़ इन्है घर आयौ आउरी बूझें जसोमति सों, यह छोरा जायौ कि भई उपजायौ !! हाबु तो तुच्छ बहाना है माखन मिश्री मंगाना है कान्हा की चालाकियाँ सारी मैय्या के समझ में आवत है माँ तो माँ होती है, किसी की हो, मना कहाँ कर