नींद से मेरा तअल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख़्वाब आ आ के मिरी छत पे टहलते क्यूँ हैं
_राहत इंदौरी
rahatindori Music gazal poem
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supriya mishra
रेख़्ता के मंच पर पढ़ी एक ग़ज़ल कल सुनाऊंगी, अपने लाइव कार्यक्रम "हाए, ये मोहब्बत" में।
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