Find the Latest Status about मंडन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, मंडन.
Arora PR
जो मेरे गुंणो से वाकिफ है वे मुझसे बेपनाह मुहब्बत करते है पर मेऱा ये दुर्भाग्य तौ देखो कि इसके बावजूद मेरा उन्ही लोगो द्वारा एक तलवार का उपहार देकर मेरा महिमा मंडन किया जा रहा है ©Arora PR महिमा मंडन
Dr Jayanti Pandey
बहुत हुआ,हम कब तलक न झूठ को झूठ कहें जिन्होंने लूटा, कत्लेआम किया नस्लें तबाह की वो मेरी मातृभूमि के दुश्मन थे, कैसे महबूब कहें सफेदी चढ़ाकर इतिहास नहीं बदल पाओगे हमारे पूर्वजों का खून सर चढ़ कर बोल रहा है पाशविक दुश्मनों के महिमा मंडन से अब तो हर हिंदुस्तानी का खून ज
Poet Shivam Singh Sisodiya
जय जय जय हरि रामा, मन वच बुद्धि अगम | वेदविदित जनरक्षक कहते निगमागम ||१|| सुनिहैं गावैं ध्यावैं गुण सज्जन संगम | दरश देहु नारायण काटहु मोरे भ्रम ||२|| रावणारि खरहंता भूमिभार खंडन | लेप विचित्र सुंदर श्रीखंड मुख मंडन ||३|| करो कृपा अवलोकन हे पंकज लोचन | रूप अनूप तिहारो मदन को मद मोचन ||४|| विधि शिव नित ही ध्यावैं गावैं आठहुँ याम | ध्वनि नभ मंडल विचरैे जय जय जय हरि राम ||५|| जय जय जय हरि रामा, मन वच बुद्धि अगम | वेदविदित जनरक्षक कहते निगमागम ||१|| सुनिहैं गावैं ध्यावैं गुण सज्जन संगम | दरश देहु नारायण काटहु मोरे
Divyanshu Pathak
सत सत नमन... हमें शंकराचार्य को पढ़ना चाहिए। देवियों और सज्जनों, आज चर्चा विशेष प्रयोजन के साथ है। आज समाज में धर्म को लेकर एक संकीर्ण दृष्टिकोण देखने को मिल रहा है, कुछ लोग धर्म के मर्
Sanjeev Prajapati
5 वक्त की हनुमान चालीसा बाद में पढ़ लेना । अगर सच्चे सनातनी हो तो हर रोज 5 प्रश्न खुद से जरूर करना । 1. राम चंद्र जी ने भरत को राजा (सत्ता) का धर्म क्या बताया था ? 2. शंकराचार्य का मंडन मिश्र के साथ शास्त्रार्थ किस मूल बिंदु पर हुआ ? 3. बाल गंगाधर तिलक की देश की परिभाषा क्या थी ? 4. भगत सिंह ने कैसे कानून के खिलाफ असेम्बली में बम फेंका था ? और आखिरी 5. अगर धर्म के मूल में अर्थ है तो देश की बैंकिंग और मौद्रिक व्यवस्था कहां से नियंत्रित है ? ©Sanjeev Prajapati 5 वक्त की हनुमान चालीसा बाद में पढ़ लेना । अगर सच्चे सनातनी हो तो हर रोज 5 प्रश्न खुद से जरूर करना । 1. राम चंद्र जी ने भरत को राजा (सत्त
Sanjeev Prajapati
5 वक्त की हनुमान चालीसा बाद में पढ़ लेना । अगर सच्चे सनातनी हो तो हर रोज 5 प्रश्न खुद से जरूर करना । 1. राम चंद्र जी ने भरत को राजा (सत्ता) का धर्म क्या बताया था ? 2. शंकराचार्य का मंडन मिश्र के साथ शास्त्रार्थ किस मूल बिंदु पर हुआ ? 3. बाल गंगाधर तिलक की देश की परिभाषा क्या थी ? 4. भगत सिंह ने कैसे कानून के खिलाफ असेम्बली में बम फेंका था ? और आखिरी 5. अगर धर्म के मूल में अर्थ है तो देश की बैंकिंग और मौद्रिक व्यवस्था कहां से नियंत्रित है ? ©Sanjeev Prajapati 5 वक्त की हनुमान चालीसा बाद में पढ़ लेना । अगर सच्चे सनातनी हो तो हर रोज 5 प्रश्न खुद से जरूर करना । 1. राम चंद्र जी ने भरत को राजा (सत्ता
Ajay Amitabh Suman
....................... ©Ajay Amitabh Suman #विरासत,#इतिहास,#पूर्वज,#आत्मविकास,#कविता,#Cultural_heritage,#Motivational,#Inspirational अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत पर नाज करना किसको अच्
अनिता कुमावत
इतिहास के पन्नों में दफ़न इतिहास को पुनर्जीवित करना है कौन " महान " कौन "आक्रांता " फिर से पहचान करना है ...!!! कुछ दिनों से मनोज मुंतशिर जी का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने अकबर और मुगल शासको को एक आक्रांता कहा है , जिसे कुछ लोग पचा नहीं
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 *शास्त्रार्थ में क्रोध आने का अर्थ है – हार मान लेना* *जैसा कि सभी जानते हैं कि आद्य शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार ऐतिहासिक शास्त्रार्थ चला था.उस शास्त्रार्थ में निर्णायिका थीं – मंडन मिश्र की धर्मपत्नी "देवी भारती".* *हार-जीत का निर्णय होना बाक़ी था, लेकिन शास्त्रार्थ के अंतिम दौर में "देवी भारती" को अचानक किसी आवश्यक काम से जाना पड़ गया.* *जाने से पहले देवी भारती ने दोनों विद्वानों के गले में फूलों की एक एक माला डालते हुए कहा, ये दोनों मालाएं मेरी अनुपस्थिति में आपकी हार और जीत का फैसला करेंगी.लोगों को यह बात विचित्र लगी परन्तु आद्य शंकराचार्य ने मुस्कराते हुए सर झुकाकर उनकी बात को स्वीकार कर लिया.* *देवी भारती वहाँ से चली गईं और शास्त्रार्थ की प्रक्रिया चलती रही.* *जब देवी भारती वापस लौटीं तो शास्त्रार्थ सुन रहे अन्य विद्वान उनको बताने के लिए आगे बढ़े कि उनकी अनुपस्थिति में क्या क्या चर्चा हुई.* *लेकिन देवी भारती ने उन्हें रोक दिया और खुद ही अपनी निर्णायक नजरों से आद्य शंकराचार्य और मंडन मिश्र को बारी-बारी से देखा...और आद्य शंकराचार्य को शास्त्रार्थ में विजयी घोषित कर दिया.* *वैसे वहाँ उपस्थित ज्यादातर दर्शक भी यही मान रहे थे लेकिन उनको भी आश्चर्य था कि बिना शास्त्रार्थ को सुने देवी भारती ने एकदम सही निर्णय कैसे सुना दिया.* *एक विद्वान ने देवी भारती से अत्यंत नम्रतापूर्वक जिज्ञासा की – हे देवी! आप तो शास्त्रार्थ के मध्य ही चली गई थीं, फिर वापस लौटते ही आपने बिना किसी से पूछे ऐसा निर्णय कैसे दे दिया?* *देवी भारती ने मुस्कुराकर जवाब दिया – जब भी कोई विद्वान शास्त्रार्थ में पराजित होने लगता है और उसे अपनी हार की झलक दिखने लगती है तो वह क्रोधित होने लगता है.* *मेरे पति के गले की माला उनके क्रोध की ताप से सूख चुकी है, जबकि शंकराचार्य जी की माला के फूल अभी भी पहले की भाँति ताजे हैं,इससे पता चलता है कि मेरे पति क्रोधित हो गए थे.* *विदुषी देवी भारती की यह बात सुनकर वहाँ मौजूद सभी दर्शक उनकी जय जयकार करने लगे.* *आज पहले की तरह शास्त्रार्थ नहीं होते हैं लेकिन सोशल मीडिया ने दूर दूर रहने वालों को शास्त्रार्थ का माध्यम उपलब्ध करा दिया. सोशल मीडिया पर चल रही चर्चा (शास्त्रार्थ) का परिणाम भी देवी भारती के सिद्धांत से ज्ञात किया जा सकता है.* *अगर किसी बिषय पर कोई चर्चा हो रही हो और कोई व्यक्ति नाराज होकर तर्क और तथ्य देने के बजाय अभद्र भाषा बोलने लगे, तो समझ जाना चाहिए कि वह व्यक्ति अपनी हार स्वीकार कर चुका है.* *अज्ञानता के कारण अहंकार होता है और अहंकार के टूटने से क्रोध आता है जबकि विद्वान् व्यक्ति हमेशा तर्क और तथ्य की बात करता है और विनम्र बना रहता है.* अपनी दुआओं में हमें याद रखें 🙏 बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'शिवाया ' ASTRO सर्व समाधान Numerologist Tarot Card Astrology Vastu Remedies Expert & other modalities ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 *शास्त्रार्थ में क्रोध आने का अर्थ है – हार मान लेना* *जैसा कि
Abhishek Tiwariz
Kill the Ravana inside you because रावण भक्ति पे कविता लिखने वालों को शाश्वत सत्य का तमाचा बहुत ही सुन्दर कविताएं लिखी गई आज, रावण के चरित्र पर, किसी ने सीता मईया कि मर्यादा को तार तार नहीं करने पर, रावण की बढ़ाई की, पर सभी कवियों से ज़रूर पूछूंगा, क्या तुमने सनातन धर्म की ढंग से पढ़ाई की, रावण जाति कुल से ब्राह्मण था, प्रकांड विद्वान, पंडितो में महा पंडित, सर्व ज्ञानी,पर कुकर्मी भी था रावण, क्यों की काम (हवस), क्रोध (गुस्सा) मोह (भ्रम), लोभ (लालच), मद (गौरव), विद्वेष (ईर्ष्या), मानस (मन), बुद्धि (ज्ञान), चित्त (इच्छापत्र), और अहंकार (अहंकार) दुनियां के है महा विकार, इनमें घिरा हुआ मनुष्य स्वयं को, सर्वोपरि, सर्व ज्ञानी, सर्व शक्तिमान समझता है, फ़िर जान बूझ के परम ज्ञानी, बड़ी भूल भी करता है, पतन का मार्ग चुनता है, महापतन कहूं तो सत्य होगा, किसी और कि भार्या का हरण करने वाले का, निश्चित ही धरा से गमन होगा, हुआ यही रावण के साथ, वध होना था प्रभु श्री राम के हाथ, इसलिए बच निकला बाली और सहस्त्र बाहु के साथ हुए युद्ध में भी पराजित होने के बाद वज़ह चाहे जो भी हो, अगर रावण का महिमा मंडन करते हो, तो अगर बिना तुम्हारी मर्ज़ी के कोई, तुम्हारी बहन, बहु - बेटी को उठा ले जाए, और फिर उसका बलात्कार ना करे, तो फिर तुम भी ऐसे पापी का महिमा मंडन करना, फ़िर ऐसे कृत्य के लिए तुम किसी का ना खंडन करना, बल पूर्वक उठा ले जाना भी, ब्लात की श्रेणी में आता है, पर तुमको तो रावण के इस कृत्य पर, असीम आनंद आता है, सद् कर्मों में लिप्त व्यक्ति पर, जो अन्याय करता है, अपनी करनी का प्रायश्चित्त, इसी जन्म में करता है, जैसे रावण ने किया अपनी संपूर्ण लंका खो के, मानो लग गए हों सीता मईया के सभी आह सत्य होके, पुंजिकस्थला, रंभा, माया का, रावण ने किया था बलात्कार पर ब्रह्मा के श्राप के करना कर ना सका सीता माता से दुराचार नारी से बलपूर्वक कुकर्म करने वाला, सदा मिट्टी में मिल जाता है रावण वध हमको संसार में, इसी सत्य से अवगत कराता है, अब भी रावण को महान कहोगे तो, अपने विवेक को तोलो एक छोटा सा कवि अभिषेक तिवारी Abhishekisk 💕 रावण भक्ति पे कविता लिखने वालों को शाश्वत सत्य का तमाचा बहुत ही सुन्दर कविताएं लिखी गई आज, रावण के चरित्र पर, किसी ने सीता मईया कि मर्यादा