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Shadab Yawer
खाली लिफाफा था वो सालो से पड़ा मेरी एक किताब में, पता नहीं उसका खत कहा खो गया मैं था इस ख्याल में। लिफ़ाफ़े पर लिखा था मेरा नाम और खुदका पता उसने, याद आया उस खत की टेढ़ी सी लिखावट लेकिन लफ़्ज़ों को क्या ख़ूब पिरोया था उसने। उस लिफ़ाफ़े से आज भी उसकी मोहब्बत की खुशबू आ रही थी, दिल बैठ रहा था मेरा वो लिफाफा उसकी याद दिला रही थी। हा याद आया उसके आखिरी हरफ़ो में लिखा था की सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी हूँ, हा याद है वो दिन उसने तोड़ कर दिल मेरा कहा तुम्हे मुझसे अछि मिलेगी मैं जा रही हूँ। याद है बड़ी मुश्किल से वो खत फाड़ा था मैंने, क्योंकि दिन रात उन लफ़्ज़ों को जो पढ़ा था मैंने। अब खाली लिफाफा बस कोरी यादें बन कर रह गया, फेंका जब उस लिफ़ाफ़े को कचरे में मेरे दिल से एक बोझ उतर गया। खाली लिफाफा" "Letter of unforgettable love" #nojoto #nojotohindi #nojotourdu #envelope #love #hate
gurumoorthy chandrasekar
If undelivered please return To this address Empty envelope is returned But the love is not returned It's roaming in universe To reach the right person #envelope #love #roaming #gurumoorthychandrasekar #yqbaba
Srilatha Gugunta
let my love ink your heart.. in the deepest senses of love.. and seal it in this envelope.. with an exchange of intimate words.. #envelope #love #lovequote #thoughts #yqbaba #yqquotes #yqbabachallenge #yqbabaquotes
devil(0)
.ujjwal deep Love letter,#loveletter,#letter,#love
Rajendra Verma
ese mosam sath tera jo mila mila sara sansar mujhe jo kabhi nahi mila ©Rajendra Verma #30 LOVE
Alam
मुझसे #ख्वाबों ने #वक़्त #मांगा था मैंने #आंँखें #निकाल कर #रख दी....😭😭😭😭😭 love 30
Alam
*छोड़_ कर_ जाने_ वाला_ क्या_ जाने, *यादों_ का_ बोझ_ कितना_ भारी_ होता_ है.. love 30
Nakhat Praween Zeba
शीर्षक: डाकिया खो गए या डाक इन आधुनिक गलियारों में वो प्राचीन के कमरे बंद हो गए, हाँ कुछ नयापन भी सीखा हमने मगर डाकिया इन गलियारों में ही खो गए। के बेजोड़ मशक्कत से एक ख़त पहुंचाया जाता था, हर हर्फ शिकायत लिखते थे और सुकून भी घोला जाता था। पहले जो शरमाते थे अब ख़ुद में ही कतराते है, वक़्त दिया जाता था ख़त में हर पल जो अब वक़्त से वक़्त चुराते है। हाँ पूरी तरह से ख़त्म नहीं मगर सिलसिले कम हो गए, डाकिया आज भी ताक में है के डाक कहीं से तो आए। जैसे पहले बेटा अब्बा को ख़त लिखता था, आज उनकी झुर्रियां बस वक़्त का तकाज़ा देखती है, अम्मा भी इंतजार में पलकें बिछाए रहतीं थीं ख़त आने से पहले मुहल्ले भर को बताती थीं, रक्षा बंधन एक पर्व जो ख़त से ही शरुआत हुई आज वृद्धा आश्रम में भी नज़रे चुराएं थोड़ा तो इंतजार करती है, के मन ही मन आज भी वो उस डाकिए को तलाश करती हैं। वो डाकिया भी सोचता था इन खतों में अब मेरी बारी आएगी,वो बेहद खुश होता था, ना भी पाता अपनी तो हेरा फेरी कर मंद ही मंद मुस्काता था। अब खतों को गिनना कहाँ पन्नों में सन्नाटा है, हर हाथ मोबाइल पकड़े, कलमों से टूटा थोड़ा नाता है। ©- नकहत प्रवीण ज़ेबा #ChineseAppsBan #post #postman #Envelope #Nojoto #poem