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Rameshkumar Mehra Mehra
White काश मेरे लफज तेरे दिल पर.......... कुछ ऐसा असर करें.......! तू मेरे करीब आकर कहें.......!! चलो जी दिल भर के इश्क करें....💔 ©Rameshkumar Mehra Mehra # काश मेरे लफज तेरे दिल पर,कुछ ऐसा असर करें,तू मेरे करीब आकर कहें,चलो जी दिल भर इश्क करें....💔
# काश मेरे लफज तेरे दिल पर,कुछ ऐसा असर करें,तू मेरे करीब आकर कहें,चलो जी दिल भर इश्क करें....💔
read moretripathi
Unsplash के मैंने उसे बहुत करीब से जाना है और ये जाना है की वो मेरा नही था ©Rishu singh #camping के मैंने उसे बहुत करीब से जाना है और ये जाना है की वो मेरा नही था
#camping के मैंने उसे बहुत करीब से जाना है और ये जाना है की वो मेरा नही था
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White बेवजह तो नहीं यूँ मेरा तेरे करीब आ जाना बरसों की मेरी इबादत का सिला है तू ©हिमांशु Kulshreshtha तेरा करीब आना
तेरा करीब आना
read moregauranshi chauhan
day - 446 चाहत तो थी तेरे दीदार की, पर तू उस काबिल ही नही था।। जय श्री राम ©gauranshi chauhan चाहत तो थी तेरे दीदार की, पर तु उस काबिल ही नही था।। #Antima #Love #Nojoto #Ram
ranjit Kumar rathour
सर्द मौसम मे भी एक गरमाहट सी है जो बाऱ बार एहसास कराती है कि कोई है जो तुम्हे यादो का लिहाफ ओढ़े याद कर रहा है और फिर लगता कि शायद वो यही कही पास ही है मेरे करीब और करीब हा बिल्कुल करीब ©ranjit Kumar rathour और करीब सर्द मौसम मे
और करीब सर्द मौसम मे
read moreF M POETRY
green-leaves कितने आराम से बैठे हो मेरा दिल लेकर.. मुझको हैरत है क़ी खामोश है दिल भी तुम भी.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #GreenLeaves कितने आराम से बैठे हो...
#GreenLeaves कितने आराम से बैठे हो...
read moreनवनीत ठाकुर
क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था। तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना, वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था। रात में जो था नवनीत कभी अधूरा, वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह
#नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह
read moreMahesh Patel
Unsplash सहेली.... में किसी के बारे में क्यों लिखूं.. जब कि तुम मेरे इतने करीब हो.. इतनी दीवानगी इतनी बेताबी.. भी कहीं देखी नहीं.. जबकि खुदा की रहम दिल्ली.. मेरे इतनी करीब है.. लाला..... ©Mahesh Patel सहेली... करीब... लाला...
सहेली... करीब... लाला...
read moreF M POETRY
Unsplash थामा था एक पल को तेरे हाथ को हमने.. आती है मुसलसल तुम्हारे हाथ कि खुश्बू.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #थामा था एक पल को तेरे हाथ को हमने...
#थामा था एक पल को तेरे हाथ को हमने...
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