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N S Yadav GoldMine
Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी न किसी चीज का, या किसी वजह का अहंकार हमें रिस्तो से दूर बहुत दूर कर देता है, अपने जीवन में किसी भूल, या किसी भी प्रकार के अहंकार को जगह मत दो।। जय श्री राधेकृष्ण जी!! N S Yadav GoldMine. ©N S Yadav GoldMine #snow {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी न किसी चीज का, या किसी वजह का अहंकार हमें रिस्तो से दूर बहुत दूर कर देता है, अपने जीवन में किसी भूल, या
#snow {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी न किसी चीज का, या किसी वजह का अहंकार हमें रिस्तो से दूर बहुत दूर कर देता है, अपने जीवन में किसी भूल, या
read moreAnamika Raj
Zindagi ने मुझे एक चीज सिखा दी... अपने आप में khush रहना और किसी से कोई उम्मीद ना रखना...!! 💯 ©Anamika Raj किसी से कोई उम्मीद ना रखना..
किसी से कोई उम्मीद ना रखना..
read moreनवनीत ठाकुर
चमक ने छुपा दी दिल की हर ख्वाहिशें, शोहरत की दौलत ने दी सिर्फ आज़माइशें। दौलत की बारिश से दिल प्यासा रहा, सुकून के दरिया का किनारा रहा। जो चाहा था दिल, वो हासिल न हुआ, जो मिला, उसमें सुकून काबिल न हुआ। सुकून ढूंढा, पर ठिकाना न मिला, शोहरत के बदले कोई अपना न मिला। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर चमक ने छुपा दी दिल की हर ख्वाहिशें, शोहरत की दौलत ने दी सिर्फ आज़माइशें। दौलत की बारिश से दिल प्यासा रहा, सुकून के दरिया का किन
#नवनीतठाकुर चमक ने छुपा दी दिल की हर ख्वाहिशें, शोहरत की दौलत ने दी सिर्फ आज़माइशें। दौलत की बारिश से दिल प्यासा रहा, सुकून के दरिया का किन
read moreनवनीत ठाकुर
White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही
#नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही
read moreनवनीत ठाकुर
White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा? जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से, वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा? जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू, वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा? जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी, वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा? जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर, वो औरों को ख्वाब क्या देगा? ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों
#नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों
read moreबेजुबान शायर shivkumar
"मिलने लगे थे ख्याल किसी से, फिर होगया था प्यार किसी से , हमें उलझनों ने छोड़ा था , होने लगा था भरोसा किसी पे , हमने आखिरकार कर ही दिया इजहार , और आगया इनकार किसी से , हमने तो बस दोस्ती मांगी थी , और वो निभा गए मोहब्बत किसी से, उससे कहना मोहब्बत भी होगई है, ऐसे नहीं ना करते बात किसी से"| ✍️ ©बेजुबान शायर shivkumar "मिलने लगे थे ख्याल किसी से, फिर होगया था प्यार किसी से , हमें उलझनों ने छोड़ा था , होने लगा था भरोसा किसी पे , हमने आखिरकार कर ही दिया इजह
"मिलने लगे थे ख्याल किसी से, फिर होगया था प्यार किसी से , हमें उलझनों ने छोड़ा था , होने लगा था भरोसा किसी पे , हमने आखिरकार कर ही दिया इजह
read moreनवनीत ठाकुर
White जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख में तब्दील हो गए, पर इस राख में अब भी किसी और से सुलगने की तलब है। दर्द में डूब कर भी हमने खुद को तलाशा था, अब उस तलाश में किसी और से मिलने की तलब है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख म
#नवनीतठाकुर जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख म
read mores गोल्डी
वो पुरुष कैसे संभाले खुद को , जो न तो नशा करता है और न ही गालियां देता है।। ©s गोल्डी वो पुरुष कैसे संभाले खुद को , जो न तो नशा करता है और न ही गालियां देता है।।
वो पुरुष कैसे संभाले खुद को , जो न तो नशा करता है और न ही गालियां देता है।।
read moreनवनीत ठाकुर
जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था। ©नवनीत ठाकुर जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।
जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।
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