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Roshni Soni
बदलते रिश्तो का फसाना सा बन गया है कल तक मेरा साया आज अंजाना सा बन गया है कुछ रिश्ते इतने खास होते थे धड़कन बन दिल के साथ होते थे अब हर रिश्तो को निभाना मुशीबत सा बन गया है कल तक मेरा साया आज अंजाना सा बन गया है कुछ पल इतने खास होते थे यादे बन हर पल पास होते थे अब हर यादो को सँजोना बीमारी सा बन गया है कल तक मेरा साया आज अंजाना सा बन गया है कुछ अपने इतने खास होते थे आँखे बन हर पल साथ होते थे अब हर अपना बोझ सा बन गया है कल तक मेरा साया आज अंजाना सा बन गया है दुनिया में हर लोगो के बदलने का जमाना सा बन गया है बदलते रिश्तो का फसाना सा बन गया है कल तक मेरा साया आज अंजाना सा बन गया है पुरानी सोच में परिवर्तन
ਖੰਨਾ ਵਾਲਾ ਜੱਟ
"आज पता चला के पहले की महिलायें परदे में क्यों रखी जाती थी! आज के जमाने मे मरियादा बहुत महंगी वस्तु है जो आज की महिलायें विलुप्त हो गई है !" यथार्थ :- शादी के बाद पहली रात "सुहागरात" को भी पढ़े लिखे लोग कैमरे में उतारते ! अगर इसको Modernization बोलते है तो तो ऐसे लोगो की सोच पर मूतना उचित रहेगा! ©ਖੰਨਾ ਵਾਲਾ ਜੱਟ सही है, फ़िर मैं modern नही हूँ! समय के साथ सोच में परिवर्तन करना ग़लत नही किन्तु जब बात घर की इज़्ज़त हो तो 100 बार सोचने में संकोच नही! ल
CHOUDHARY HARDIN KUKNA
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat एक अधेरी गुफ़ा सी महफ़िल साजी थी इस कहानी में उस प्यास की परछाई रची थी इस ईर्षा द्वेष की भावना में एहसास की डोरी कच्ची थी क्या कहती बहन अब मा यहां गुज़ारा नहीं एक मेली चादर से इज्ज़त ढकी थी कमाल करती है रिश्तों की रस्सी उस पगडंडी की डोरी कच्ची थी भरोसे शब्द के मायने बेमायने होते सच्ची कहानी को भी झूठ की देहलीज लांघने की पर ते सच्ची थी आंखों में नमी अपने में कमी या रिवायतों की चकाचौंध में मुखोटे लगाते दिखते कुछ दिखाते कुछ यहीं बातों में आंखों में नमी थी इज्ज़त दांव पर लगाकर घर की रौनक बनती घुटती क्षीडं भिन्न-भिन्न स्रोतों में आज़ादी की कमी थी एक रोज़ तुलसी की पूजा कर प्राप्त हुई शक्ति क्षमता रखती खेलती मन के भाव व्यक्त करती आज यही ज़िन्दगी उम्मीद की कमी थी जो कमाई थी इज़्ज़त दावा कर मांगनी पड़े तो घर में क्या जगह होगी , शकसियत इंसान की सोच में परिवर्तन की कमी थी अब सिर्फ़ ख़ुद की तलाश में निकालना जो कमी थी राहत भरी सांसे भर्ती अब ज़िन्दगी की तलाश करनी थी ©️ जज़्बात ए हर्षिता #lifequotes #zindagikasafar #realityoflife #restzone #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat एक अधेरी गुफ़ा सी महफ़िल साजी थी इस
Jagrati Nagle
गर बेटियों को भ्रूण हत्या और दहेज जैसी कुप्रथा से बचाना है तो थोडा सा सोच में परिवर्तन लाना होगा बेटियों को लक्ष्मी की जगह अब सरस्वती बुलाना होगा ऐसा करने से हर बेटी की शिक्षा पर जोर दिया जायेगा और शायद ........ शायद.......उनका जीवन थोड़ा सरल हो जाए ©Jagrati Nagle गर बेटियों को भ्रूण हत्या और दहेज जैसी कुप्रथा से बचाना है तो थोडा सा सोच में परिवर्तन लाना होगा बेटियों को लक्ष्मी की जगह अब सरस्व
Parul Sharma
|| पारुल प्रवचन || सोच ये सोचकर सोच में पड़ जाती है कि हम क्या सोचें क्या न सोचें और हम क्यूँ सोचें और क्यूँ न सोचें हमारे सोचने से किसी को
Sukriya kirodiwal
मानव समाज की बढ़ती संकीर्ण सोच जीवन - चक्र हमारा अब तक ना सुलझा है | सवालों के बवंडर में मन हमारा उलझा है || देश प्रगति कर रहा है | और मेरा समाज वही पुरानी और घटिया सोच में डूब रहा है || लड़कियों पर अत्याचार वही है | गुनाह करने के बाद लड़के होते बेगुनाह , बस सोच यही है || माना थोड़ा बहुत सुधार आया है , लड़कियों को भी पढ़ाया है | पर क्या फायदा उसे पढ़ाने का जब कोई अधिकार ना उसे मिल पाया है || लड़कों से आँखें मिलाना होता गलत बस सिखाया यही है | युग तो बदला पर अत्याचार आज भी वही है || हर बार उसके मासूमियत चेहरे से हंसी पर रोक लगाया है | सजा देने में उसको " शुक्रिया " शामिल पूरा शहर पाया है | क्या लड़की है इसलिए उसे कोई अधिकार ना मिल पाया है || sk पूरे अल्फाज़ ! Read in Caption #therealityoflife अच्छी लगे तो repost kr support kre. #sukriyakirodiwal #sk ........ अगर पूरी पढ़ सकते हैं तो ही शुरूआत
भाग्य श्री बैरागी
मेरी पोटली कहानी का आख़िरी अंश है कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें। सुप्रभात,,🙏🏻🙏🏻 कहानी के बाकि भाग #मेरी_पोटली_कहानी पर पढ़ें। यह कहानी का आख़िरी अंश है, आख़िरी अंश है इसलिए थोड़ा बड़ा है कृपया समय निकालकर
Rashmi Vats
आप किसी भी व्यक्ति की सोच को तबतक परिवर्तित नही कर सकते जबतक वह व्यक्ति स्वयं उसमें परिवर्तन ना लाना चाहे । रश्मि वत्स..। ©Rashmi Vats #सोच#परिवर्तन
Brijmohan sharma
अगर देखा जाए, प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक चीज, मैं कुछ ना कुछ सुधार की आवश्यकता होती है, अगर हम खुद मे, खुद की सोच में, सुधार कर लें। जीवन का सबसे बड़ा पुण्य कार्य होगा।। क्योंकि हमारी सोच, समाज की संरचना का केंद्र बिंदु है , सुप्रभात बृजमोहन लाखनौर केंद्र बिंदु है केंद्र बिंदु है सोच, परिवर्तन, सुधार