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Altifa
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल जिसकी खातिर मैं यहाँ फूलों का लेकर हार बैठा । वो छुपाए हाथ में अब देख लो तलवार बैठा ।।१ प्यार में जिसके लिए मैं जान तक ये वार बैठा । वो हमें ही देखकर अब देख लो फुफकार बैठा ।।२ फर्ज हमने बाप का कुछ इस तरह से है निभाया । कह रही औलाद मेरी वो मेरा सरकार बैठा ।।३ मत हँसों संसार पे रघुनाथ की जयकार बोलो । देखता है वो सभी को जो लगा दरबार बैठा ।।४ जन्म देकर जो हमे संसार के काबिल बनाया । मैं उसे ही इस तरह दहलीज से दुत्कार बैठा ।।५ पूछ लो गुरुदेव से वो ही बतायेंगे तुम्हें सच । माँ पिता की गोद में तो यह सारा संसार बैठा ।।६ कौन सा वो फर्ज है संतान का तूने निभाया । जो प्रखर तू माँगने अब आज है अधिकार बैठा ।।७ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल जिसकी खातिर मैं यहाँ फूलों का लेकर हार बैठा । वो छुपाए हाथ में अब देख लो तलवार बैठा ।।१
Rabindra Kumar Ram
" फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करते तेरे तसव्वुर में, जहां तक जाहिर बात बन परती फिर वही दहलीज तक जाहिर किया जाये. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करत
sukoon
समाज में जब जब कोई लड़का चला अपने मन से जिया अपने उत्थान के लिये खोले उसने अपने पंख आकाश छूने के लिए उसे उन्मुक्त कहा गया महान कहाँ गया बुद्ध कहाँ गया समाज के लिए ये सारे लड़के अच्छे लड़के थे वही जब जब लड़कियों ने लांघी घर की दहलीज नही सही उन्होंने पुरुषों की दासता अपने सपनों को जीने के लिये समाज के लिए कुछ करने के लिये अपनी काबिलियत दिखाने के लिये वो आगे बढ़ी औऱ विडंबना देखो समाज के लिए वो सारी की सारी लड़कियाँ बुरी हो गई और अच्छी रही बस वो लड़कियाँ जिन्होंने स्वीकारी पुरुषों की ग़ुलामी सराही गई वो लड़कियाँ जिन्होंने आंगन के सिवा नही देखा बाहर मोहल्ला औऱ मुझे लगा दोगला है समाज ©sukoon #girl समाज में जब-जब कोई लड़का चला अपने मन से जिया अपने उत्थान के लिए खोल उसने अपने पंख आकाश छूने के लिए उसे उन्मुक्त कहा गया महान कहा ग
Vikrant Rajliwal Show
Ramji Mishra
Ravi Ranjan Kumar Kausik
हमे एक बात कहनी है हर दिल अजीज से । कोई गम कभी न गुजरे तेरे दहलीज से ।। {ravi} ©Ravi Ranjan Kumar Kausik #Holi तेरे दहलीज से Ishika vineetapanchal S Priyadarshini Sherni
THE TWEEN CHORA
HintsOfHeart.
"आप की याद आती रही रात भर'' चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर एक उम्मीद से दिल बहलता रहा, इक तमन्ना सताती रही रात भर"¹ ©HintsOfHeart. #फ़ैज़_अहमद_फ़ैज़ ने यह ग़ज़ल मशहूर शायर मख़्दूम मोहिउद्दीन की याद में लिखी थी। मोहिउद्दीन की ग़ज़ल की पहली लाइन भी यही थी "आप की याद आती रह