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नामदेव पाटील
🔴अंतःकरण...!! निर्माण व्हावे शुद्ध विचार तर पुर्णत्वास जाईल आचार असावे चांगले अंतःकरण हे तर भाग्याचे लक्षण ©नामदेवपाटील ✍ अंतःकरण
Ek villain
स्वास्थ्य मन को स्वास्थ्य तन और स्वस्थ जीवन का आधार माना जाता है व्यक्ति अपने तन का मैल साफ करने के लिए तो स्नान करता है परंतु मन का मैल साफ करने के लिए विशेष प्रयास नहीं करता इससे मन के अतिरिक्त अशुद्धि समय के साथ और बढ़ जाती है जो व्यक्ति मन में किसी के प्रति भाव रखता है राग द्वेष रखता है वही मन का मेल है उससे मुक्ति प्राप्त किए बिना व्यक्तित्व में ताजगी का संचार संभव नहीं होता बाहरी रूप से सुंदर होना ही काफी नहीं है जब तक मनुष्य भीतर से सुंदर नहीं होता तब तक उसे वास्तविक रूप से सुंदर नहीं कहा जा सकता इस सुंदरता के लिए हमें अपने भीतर अच्छे गुण का प्रवेश कर आंदोलन ईमेल को साफ करना होगा मन की शुद्धि के लिए निरंतर प्रयास करना होता है सदैव मन पर पैनी नजर रखने की जरूरत है ताकि मन की समस्याओं के अंबार को रोका जा सके जिस तरह प्रभु श्रीराम में शमा करने की शक्ति विद्यमान थी वैसे ही शक्ति प्रत्येक व्यक्ति को विकसित करनी चाहिए जो व्यक्ति दूसरों की छोटी-छोटी बातों को मन से लगा कर बैठ जाते हैं और उन्हें क्षमा नहीं करते उस जीवन में कई कठिनाइयों से दो-चार होना पड़ता है वह हमेशा बदले की भावना में जीते हैं और बदला पूरा ना होने पर अवसाद में चले जाते हैं इसलिए मन में सदैव दूसरों की क्षमा करें और आगे बढ़ने की भावना भी होनी चाहिए मन बुद्धि और कर्म यदि नहीं पहले स्वच्छता और मलिलता के हिसाब से चलते हैं क्योंकि जहां मन में स्वच्छता होती है तो बुद्धि उसकी सही निर्णय करती है और जब बुद्धि सही निर्णय करती है तो कर्म सृष्टि सुखदेव और परोपकार होता है मन की सफाई निर्मल है सद्विचार से होता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए बुरे विचारों के स्वयं से दूर रखना और बस में प्रयास करना चाहिए यही एक प्रक्रिया है जो कि हम मन को स्वच्छ और स्वस्थ बना सकते हैं ©Ek villain # मन की शुद्धि #Light
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी आत्म शुद्धि करले, निज में लगाले ध्यान संयम के पथ पर बढ़कर,दस लक्षण को बनाले महान भव भवो में ना भटको,दस धर्म का दस दिन ग्रहण करलो सार भोगो से विरक्ती छूटेगी, बढेगा धर्म का ज्ञान संसार की चंचलता धूमिल होगी,नश्वर लगेगी काया उत्तम क्षमा की वर्गराये फूटेगी,आकिंचन लगेगी माया जब सत्य उदघाटित होगा, रोम रोम पुलकित हो जायेगा दान की महिमा जानोगे,अपरिग्रही बन जाओगे ब्रमचर्य का वर्ण करोगे,ब्रहम में रम जाओगे अंतर मन शोधित होगा क्षमाशील हो जाओगे तीनो लोको के जीवों पर, क्षमा की दृष्टी होगी कर्मो की गति मन्द पड़ जाएगी,मुक्ती रमा का द्वार दिखेगा तप त्याग तपस्या में खोजाओगे,दस लक्षण में जो धर्म की सीढ़ी चढ़ोगे,वो संयम का पथ बन जायेगा प्रवीण जैन पल्लव #seaside आत्म शुद्धि का पथ
Anjali Jain
धर्म वस्तुतः अंतः करण और अंतः आचरण का विषय है किंतु आजकल यह बाह्य करण और बाह्य आचरण में ही अपनाया और देखा जा रहा है।। © Anjali Jain धर्म अंतःकरण का विषय है 07.09.22 #realization