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Author Munesh sharma 'Nirjhara'
निर्जला एकादशी की अनंत शुभकामनाएं भगवान विष्णु इस चराचर जगत पर अपनी कृपा बनाये रखें ©Neha M sharma 'Nirjhara' #एकादशी
M R Mehata(रानिसीगं )
जय माता दी एकादशी महाव्रत ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ©M R Mehata एकादशी
एकादशी #पौराणिककथा
read moreJitendra Kumar
एकादशी एक महत्त्वपूर्ण तिथि है, जिसका हिन्दू धर्म में बड़ा ही धार्मिक महत्त्व है। प्रत्येक मास में दो 'एकादशी' होती हैं। 'अमावस्या' और 'पूर्णिमा' के दस दिन बाद ग्यारहवीं तिथि 'एकादशी' कहलाती है। एकादशी का व्रत पुण्य संचय करने में सहायक होता है। प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना महत्त्व है। एकादशी व्रत का अर्थ विस्तार यह भी कहा जाता है कि "एक ही दशा में रहते हुए अपने आराध्य का अर्चन-वंदन करने की प्रेरणा देने वाला व्रत ही एकादशी है।" इस व्रत में स्वाध्याय की सहज वृत्ति अपनाकर ईश आराधना में लगना और दिन-रात केवल ईश चितंन की स्थिति में रहने का यत्न एकादशी का व्रत करना माना जाता है। स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्नदान, गौ दान, कन्यादान आदि करने से जो पुण्य प्राप्त होता है एवं ग्रहण के समय स्नान-दान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, कठिन तपस्या, तीर्थयात्रा एवं अश्वमेध आदि यज्ञ करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, इन सबसे अधिक पुण्य एकादशी व्रत रखने से प्राप्त होता है। ©Jitendra Kumar एकादशी
एकादशी #समाज
read moreBhairav
🚩ॐ विष्णवे नमः🚩 shraddhaabhaktee90@gmail.com सभी भक्त आज के दिन भोजन में चावल ग्रहण न करे 18-04-2020 ॐ नमः भगवते वासुदेवाय नमः 📿 मंत्र का 11 बार कम से कम जप करे... shraddhaabhaktee 90@gmail.com 💐🤝🏻💐 राधे-राधे #एकादशी
Suneel Kashyap
देखो यार......... ऐसा नहीं है कि हमें महंगी चीजें पसंद नहीं है या हमको शौक नहीं है दरसल.......... हमने कम उम्र से ही जिम्मेदारियां ले ली है इसलिए झूठी शान से अच्छी हमको अपनों की खुशियां लगती हैं जिम्मेदार लोग मजबूरियों में नहीं अपनों की खुशियों में जीते हैं ©Suneel Kashyap पुरुषोत्तम #vacation
Tarakeshwar Dubey
पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है कलियुग बैठा शीर्ष संतरी, बोलो अब इमान कहां है। आदम नर भक्षी हो गए है, बतलाओ इंसान कहां है। ढोंगी सब बाबा बने हैं, पंडित अब गुणवान कहां हैं। ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। दशहरा पर शीश बेंधने निमित्त, चले आते छद्म एकानन, रंग बिरंगे फूल हार ले, सजाते निज सरीखा दूजा आनन। काठ पुतला रोवे भाग कोस, अब यहां भगवान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। विद्यालय बना शिक्षा व्यापारी, सदगुरु का मान भुलाया, मानव अंग बेंच बेंच कर, चिकित्सक का मन भरमाया। हृदय में हरि निवास कराए, अब भक्त हनुमान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। अब आरुणी सा शिष्य कहां, जो गुरु का बढ़ाये मान, राम सरीखा न्यायी कहां जो, प्रजा हित का रखे ध्यान। भार्या से भी कर मांग करे, हरिशचंद्र सत्यवान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। चरण पादूका निज शीश धरे, भ्रातृ प्रेम पर तजे राज, धरती पर ही शयन करे, छोड़ महल के सुख साज। भरत सरीखा अमर दानी, मन का वह धनवान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। ©Tarakeshwar Dubey पुरुषोत्तम #Dussehra2020
पुरुषोत्तम #Dussehra2020 #कविता
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