Nojoto: Largest Storytelling Platform

New poem मैथिलीशरण गुप्त Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about poem मैथिलीशरण गुप्त from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, poem मैथिलीशरण गुप्त.

Stories related to poem मैथिलीशरण गुप्त

Neeraj Neel

poem

read more
Unsplash खुशियां तकिया के सिरहाने होंगी ,
आशीर्वाद के ईटों से सजी दीवारें होंगी

खिड़कियों में धूप सजती होगी, 
घर में बुजुर्गों की दुआ बस्ती होगी।

अब दूर कहीं नहीं चलना होगा ,
एक सिर पर छत अपना होगा।

हम खुशियां सारी बटोर लाएगे,
हम घर में अपने सपने सजाएंगे।

हम घर में रोज दीप जलाएंगे ,
घर आंगन में चांद तारे उतार लाएगे।

अब चेहरे में एक आराम होगा ,
मेरे घर के दरवाजे में अब अपना नाम होगा।  
हा अपना नाम होगा।

✍️ नीरज नील

©Neeraj Neel poem

aditi the writer

#मैथिली शरण गुप्त Kumar Shaurya Raj Sabri vineetapanchal @it's_ficklymoonlight

read more
Unsplash 
न हो सिद्धि, साधन तो है
बुद्धि नहीं, न सही, पर मैंने पाया अपना मन तो है

यही बहुत जो इसे सँजोऊ
अधिक-हेतु क्यों रोऊँ-धोऊँ
सखा, सूत वा दूत न होऊँ

पर यह जन प्रभु-जन तो है
न हो सिद्धि, साधन तो है!

माना मुक्त नहीं हो पाया,
खींच मुझे यह बंधन लाया
तब भी मेरी ममता-माया

मिला मुझे नर-तन तो है
न हो सिद्धि, साधन तो है!

बाहर भी क्या आज खड़ा मैं
काले कोसों दूर पड़ा मैं
देख रहा हूँ किंतु बड़ा मैं

तेरा खुला भवन तो है
न हो सिद्धि, साधन तो है!

©aditi the writer
  #मैथिली शरण गुप्त Kumar Shaurya  Raj Sabri  vineetapanchal  @it's_ficklymoonlight

aditi the writer

#मैथिली शरण गुप्त Kumar Shaurya Raj Sabri vineetapanchal @it's_ficklymoonlight

read more
Unsplash 
न हो सिद्धि, साधन तो है
बुद्धि नहीं, न सही, पर मैंने पाया अपना मन तो है

यही बहुत जो इसे सँजोऊ
अधिक-हेतु क्यों रोऊँ-धोऊँ
सखा, सूत वा दूत न होऊँ

पर यह जन प्रभु-जन तो है
न हो सिद्धि, साधन तो है!

माना मुक्त नहीं हो पाया,
खींच मुझे यह बंधन लाया
तब भी मेरी ममता-माया

मिला मुझे नर-तन तो है
न हो सिद्धि, साधन तो है!

बाहर भी क्या आज खड़ा मैं
काले कोसों दूर पड़ा मैं
देख रहा हूँ किंतु बड़ा मैं

तेरा खुला भवन तो है
न हो सिद्धि, साधन तो है!

©aditi the writer #मैथिली शरण गुप्त Kumar Shaurya  Raj Sabri  vineetapanchal  @it's_ficklymoonlight

aditi the writer

#मैथिली शरण गुप्त Kumar Shaurya Raj Sabri vineetapanchal @it's_ficklymoonlight

read more
Unsplash 
न हो सिद्धि, साधन तो है
बुद्धि नहीं, न सही, पर मैंने पाया अपना मन तो है

यही बहुत जो इसे सँजोऊ
अधिक-हेतु क्यों रोऊँ-धोऊँ
सखा, सूत वा दूत न होऊँ

पर यह जन प्रभु-जन तो है
न हो सिद्धि, साधन तो है!

माना मुक्त नहीं हो पाया,
खींच मुझे यह बंधन लाया
तब भी मेरी ममता-माया

मिला मुझे नर-तन तो है
न हो सिद्धि, साधन तो है!

बाहर भी क्या आज खड़ा मैं
काले कोसों दूर पड़ा मैं
देख रहा हूँ किंतु बड़ा मैं

तेरा खुला भवन तो है
न हो सिद्धि, साधन तो है!

©aditi the writer
  #मैथिली शरण गुप्त Kumar Shaurya  Raj Sabri  vineetapanchal  @it's_ficklymoonlight

Govind Pannu

#poem

read more

vivekanand

poem

read more

vivekanand

poem

read more

kavi Abhishek Pathak

#poem

read more
रात भर एक चाँद का साया रहा,
दिल में कोई खामोश उजाला रहा।
तारों ने कहानियाँ बुन दी कई,
पर मेरी आँखों में बस वो ही चेहरा रहा।

चुपके से हवाओं ने कुछ कहा,
जैसे कोई राज़ धीरे से बयां किया।
दिल की किताब में एक पन्ना खुला,
और उसमें तेरा नाम ही लिखा रहा।

©kavi Abhishek Pathak #poem

diya the poetter

#poem

read more
White नई सुबह 

एक नई सुबह एक नया एहसाह करा देती है 
जीवन के पथ पर चलने की राह दिखाती है 
सूर्य सिर पे चढ़ता है ।
मानव नित नए आयाम रचता है
महकती फूलों की क्यारियों में तितलियां बैठती है 
भंवरे गीत सुनाते है।
नई सुबह नए गीत गुनगुनाती है।
मां की रसोई महकती है 
दादी के भजन से घर उमंग में डूबा जाता है 
नन्हे नन्हे भाई बहन आंगन में भागे जाते है 
घर उजाले में डूब जाता है नई रोशनी हमे मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती है 
नई सुबह एक नया एहसाह करा देती हैं।
     दिया आर्या (दक्षिता)

©diya the poetter  #poem

swary dhungel

poem

read more
निम्तो

थोरै न्यानो माया धेरै आशीर्वादको खाचो छ मलाई 
मेरो नयाँ जीवनको शोभायात्राको निम्ति 
हजुरहरुको उपस्तितिको चाहना छ मलाई 
हजारौं रंगीन स्वप्ना कोर्न जाँदैछु नयाँ शहर
मनमा उर्लिएका हजारौं रहरलाई
दिनुछ अब एउटा मिठो ठहर 
दुई कथाको एक हुने महाउत्सव हुदैछ 
आउनुहोस् है हजुरहरू मेरो र उनको मिलन हुँदैछ

©swary dhungel poem
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile