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INDIA CORE NEWS
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Bharat Bhushan pathak
अद्भुत है जीवन कथा,जिसमें ही सब सार। जीत रहा जो आज है,कल है उसकी हार।।१ पुतला मानव वह सुनो,जिसमें ईर्ष्या यंत्र। केवल वह आगे बढ़े,जपते कैसे मंत्र।।२ पढ़ता जितना जो यहाँ,क्यों कम उसमें अक्ल। कार्यकाल में बैठकर,थकता क्यों है शक्ल।।३ पुष्प उगे वह बाग में,ना हो जिसमें शूल। सीखे वो कैसे यहाँ, हो ही जब ना भूल।।४ ©Bharat Bhushan pathak #educationday अद्भुत है जीवन कथा,जिसमें ही सब सार। जीत रहा जो आज है,कल है उसकी हार।।१ पुतला मानव वह सुनो,जिसमें ईर्ष्या यंत्र। केवल वह आगे
Ritesh shukla
तुम थे भारतमाता के प्यारे लाल, तुम्हारी बहादुरी के किस्से सुने हैं हमने एक हजार। पाकिस्तान को धूल चटाई, भारत की गाथा फैलाई, बने बहादुर भारत के लाल, जय हों तुम्हारी हजार बार।। 2 अक्टूबर 1904 में जन्मे श्री लालबहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। वह 9 जून1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह म
टाइम है तो मां पिताजी और बेटे का वाक्य सुन लो
Jai Prakash Verma
चप्पलो के भी शौक बड़े निराले है एक मिलती है सोफे के नीचे तो दूसरी दरवाजे के पीछे इतराती है ये खुद पर जब दिन की थकान संग जूते उतारकर शाम के वक्त इसका साथ अपनाते हैं भौहे तो देखो इसकी लगता है कि मै खुद नही चलता मुझको ये चलाते हैं गुमान है इनको कि घिस के खुद को मुझे ये मंजिल तक पहुँचाते है पता नही शायद इनको कि जगह ये घर के बाहर ही पाते है। चुनाव से इसकी प्रासंगकिता को समझने हेतु Caption देखे *चप्पले- आम जनता *जूते- कारपोरेट जगत *दिन की थकान-पॉच साल का कार्यकाल *शाम का वक्त-चुनावी मौसम *घिस के खुद को - वोट व समर्थन देकर *मंजिल-
Hrishabh Trivedi
इंदिरा और आपातकाल (Read in caption) 25 जून 1975 भारत की राजनीति काल का सबसे घिनौना दिन। उस रात को कुछ ऐसा हुआ था जो न तो इसके पहले कभी हुआ था और ना ही इसके बाद आज तक। इसी तारीख
यशवंत कुमार
नेताजी नेताजी कुर्सी के दीवाने, कब विकास से नाता? दिखते बस चुनाव-समर में, जनता के भाग्य-विधाता।। तोड़-जोड़ के काम है आती, नेताजी की सारी ताक़त। चापलूस, पुच्छल्ले नेताजी के, उड़ाते मिलकर शाही दावत।। Read Full poetry in Caption.. #corruptleaders #dirtypolitics #selfishpolitics 🤔नेताजी🤔 नेताजी कुर्सी के दीवाने, कब विकास से नाता? दिखते बस चुनाव-समर में, जनता के भाग्य-व
S. Bhaskar
सींच के लहू अपना जिसने बचाया देश है, इज्ज़त बचाने मां की कसे जिसने कमान, ईश बराबर झलकता ऐसे सुरों का वेश है, शत शत नमन हो तुमको ऐ वीर जवान। खेत में फैलाते ये हरियाली अपने कर्मो से हैं, बढ़ाते है सारे जगत में ये भारत देश की शान, गरीब पैसों से दिखते है पर अमीर धर्मों से है, जो बंजर जमीन में सोना करे ऐसा है किसान। एक हाथ अन्न दूजे सुरक्षा में तलवार को, दोनों एक ही मां के सपूत है ये इन्सान, एक खुद को लूटता दूजा लूटता हमारे प्यार को, बस इनको ही करता नमन जय जवान जय किसान। है दोनों को बेहाल भारत में सब एक सा करे, जवानों को कोई अब सम्मान बचा नहीं है, किसानों के उपकारों की जो सराहना करे, अब यहां कोई इंसान बचा नहीं है, पर खोखली ही सही पर जलते है इनके नाम के मशान, सीने में भाव नहीं पर फिर भी जय जवान जय किसान। 2 अक्टूबर 1904 में जन्मे श्री लालबहादुर शास्त्री 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे।