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सरफराज
White मेरी आंखो में आँसू खारे बहुत है हम दिल के जख्मों के मारे बहुत है हम दिल लगा बैठे है एक मगरूर चांद से सरफराज उस चांद के पास हम जैसे सितारें बहुत है ©सरफराज #चाँद
Mď Âĺfaž" "Šयरी Ķ. दिवाŇ."
Night quotes 💕["चौधरी का चाँद"]💕 मुर्शद मैं क्या लिखूँ एक उसकी मुस्कान पे एक चाँद रहता है जमीं से दूर आसमान पे ©Mď Âĺfaž" "Šयरी Ķ. दिवाŇ." #चाँद
Shashi Bhushan Mishra
चाँद इतराता गगन में, चाँदनी गुलज़ार मन में, प्रेम की है सुगबुगाहट, सुरसुरी है तन-बदन में, छल गया है एक छलिया, हुई गलती बाँकपन में, फूल पे भँवरे का पहरा, और ख़ुश्बू है चमन में, भूलकर पहचान अपनी, मस्त दुनिया पैरहन में, देख तन्हाई का मंज़र, आ गए हम अंजुमन में, खुशनसीबी यही 'गुंजन', क़ैद है दिल गुलबदन में, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #चाँद इतराता गगन में#
paras Dlonelystar
White नहीं चाँद रहता, आसमान में कहीं ना तन्हाइयों का होता,हमसफ़र कभी ना यादों की लहरें,किनारों पे मिलती ना डूबा करते गम,जहाँ है, तिश्नगी ©paras Dlonelystar #Moon #parasd #midnightthoughts #चाँद #आसमान
Parul (kiran)Yadav
White " अल्फाज चुराने की जरूरत ही नही पड़ी हमे कभी, इस खूबसूरत चाँद को देखते ही लफ्ज अपने आप जुबां पर आ जाते है........ बोलो क्या नाम दु मैं तुम्हे , इश्क कहूँ या महबूब ... आसमान का चाँद कहूं , या चांदनी का चाँद ... बोलो तुम पर मैं क्या लिखूं एक लंबी कविता लिखूं या छोटी सी शायरी लिखूं... बोलो तुम पर दुनिया बसाऊ या तुम्हे जमीं पर ले आऊँ... ©Parul (kiran)Yadav #Moon #चाँद #चांदनी #दिल #इश्क #कविता #शायरी #नोजोतो
Internet Jockey
जो तुम्हारे दिल का चाँद है न वो अपनी माँ की आँख का तारा भी है ©Internet Jockey जो तुम्हारे दिल का चाँद है न वो अपनी माँ की आँख का तारा भी है moon quotes In Hindi
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता