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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
कलिकाल में देव एक है रामजी का सेवक एक है कहते है,हम उन्हें बालाजी हम सबके स्वामी एक है हर संकट को मिटाते है, संकटमोचन नाम एक है चैत्र पूर्णिमा को जन्मे है करते सबकाम नेक है कलिकाल में देव एक है राम के भक्त कहलाते है, प्रभु का लाडला एक है सीतामाता की खोज लगाई लंका को आग लगाई सबका विघ्नहर्ता एक है सबकी रक्षा करो कोरोना को ख़त्म करो हे महावीर,वीर बजरंगबली तू उम्मीद का सूरज एक है प्रभु सबका कल्याण करो सच्चे लोगो का बेड़ा पार करो हम सबका वो दाता एक है कर रहा है ये,साखी अरदास सबका भला करो हनुमानजी सबका रहमदिल ख़ुदा एक है दिल से विजय हनुमानजी की स्तुति
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
हाथ में है परशु,नाम है उनका परशुराम अधर्म का जिन्होंने किया था काम-तमाम अक्षय-तृतीया को उन्होंने जन्म लिया, पूरे जग को उन्होंने जगमग रोशन किया माता थी रेणुका,पिता थे जन्मदग्नि महान सहस्त्रबाहु की सहस्त्र भुजाएँ काट दी पिता के बदले की अग्नि ऐसे ठंडी की एक बार नही 21 बार अधर्म का नाश किया ऐसे ही नही उन्होंने अपना नाम परशुराम किया अधर्मी राजाओं पर उन्होंने लगा दी थी लगाम ऐसे धीर,वीर बहादुर थे वो गुणों की खान हम सभी ब्राह्मणों के सिरमौर, जैसे श्री कृष्ण के सिर पर मुकुट मोर आज भी वो अधर्म से लड़ने की शिक्षा देते है वो इस जगत में सत्य-धर्म की है एक कोर आओ सब दादा परशुराम को शीश नवाये, वो है श्री हरि के अवतार की सुहानी डोर असत्य से न डरेंगे,अधर्म के आगे न झुकेंगे ले नाम दादा का खत्म करेंगे असत्य का सौर दिल से विजय दादा परशुरामजी की स्तुति
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
हाथ में है परशु,नाम है उनका परशुराम अधर्म का जिन्होंने किया था काम-तमाम अक्षय-तृतीया को उन्होंने जन्म लिया, पूरे जग को उन्होंने जगमग रोशन किया माता थी रेणुका,पिता थे जन्मदग्नि महान सहस्त्रबाहु की सहस्त्र भुजाएँ काट दी पिता के बदले की अग्नि ऐसे ठंडी की एक बार नही 21 बार अधर्म का नाश किया ऐसे ही नही उन्होंने अपना नाम परशुराम किया अधर्मी राजाओं पर उन्होंने लगा दी थी लगाम ऐसे धीर,वीर बहादुर थे वो गुणों की खान हम सभी ब्राह्मणों के सिरमौर, जैसे श्री कृष्ण के सिर पर मुकुट मोर आज भी वो अधर्म से लड़ने की शिक्षा देते है वो इस जगत में सत्य-धर्म की है एक कोर आओ सब दादा परशुराम को शीश नवाये, वो है श्री हरि के अवतार की सुहानी डोर असत्य से न डरेंगे,अधर्म के आगे न झुकेंगे ले नाम दादा का खत्म करेंगे असत्य का सौर दिल से विजय दादा परशुराम जी की स्तुति
S ANSHUL'यायावर'
मां तुम हो ब्रह्मावादिनी, पिनाक धारिनी ,असुर संहारक , भव भय नाशिनी। मां तुम हो काल रात्रि, सर्व फल दायिनी। त्रिलोक धारिणी, भव सागर तारिणी। ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश वंदित, चरा चर पूजित। चन्द्र घंटा स्वरूपिणी। मां तुम हो जग पालिनी, कल्याण रूपा माहेश्वरी। इन्द्र वरुण अग्नि वायु , समस्त देव संपोषित। प्राण दायिनी, कली मल हारिनी। मां तुम शक्ति स्वरूपा, तुम बुद्धि स्वरूपा। तुम ही लक्ष्मी हो, तुम ही कात्यानिनी। सब भूल क्षमा करदो, हो प्रसन्न हे चामुंडे वर दायिनी। #नवरात्रि मां की स्तुति। #navratri2020
शुभम सोनी (बुंदेला)
कैलाश थरथरा उठा अद्भुत ये नृत्यकार है क्षितिज ये सारा सुन रहा भीभत्स ये हुंकार है घटाएं सुन्नसान हैं दिशाएं सारी मौन है द्वि चक्षु तेज पुंज हैं ये शूरवीर कौन है जटाओं में गंगा बसी भुजाओं में भुजंग है नीलकमल कंठ बज्र सा प्रत्येक अंग है भस्म का ये लेप तन पर और मृग्गछाल है ललाट चंद्रमा चढ़ा गले कपाल माल है शिव तांडव की मुद्रा दृश्य ये अभिराम है ऐसे महादेव को बुंदेला का प्रणाम है ऐसे महादेव को बुंदेला का प्रणाम है #बुंदेला की कलम से #महादेव की स्तुति