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brar saab
White सामाजिक अध्ययन शिक्षण में तत्कालीन मामलों का उद्देश्य है (1) छात्रों के सामान्य ज्ञान की वृद्धि करना (2) आलोचनात्मक चिन्तन का विकास करना (3) पाठ्य-पुस्तकों की विषय-वस्तु को आधुनिकतम एवं पूर्ण बनाना (4) उपरोक्त सभी ©brar saab #Sad_Status #सामाजिक अध्ययन शिक्षण में तत्कालीन #मामलों का उद्देश्य है (1) छात्रों के सामान्य ज्ञान की वृद्धि करना (2) आलोचनात्मक चिन्तन क
#Sad_Status #सामाजिक अध्ययन शिक्षण में तत्कालीन #मामलों का उद्देश्य है (1) छात्रों के सामान्य ज्ञान की वृद्धि करना (2) आलोचनात्मक चिन्तन क
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White सामाजिक अध्ययन शिक्षण में तत्कालीन मामलों का उद्देश्य है (1) छात्रों के सामान्य ज्ञान की वृद्धि करना (2) आलोचनात्मक चिन्तन का विकास करना (3) पाठ्य-पुस्तकों की विषय-वस्तु को आधुनिकतम एवं पूर्ण बनाना (4) उपरोक्त सभी ©brar saab #life_quotes #सामाजिक अध्ययन शिक्षण में #तत्कालीन #मामलों का उद्देश्य है (1) छात्रों के सामान्य ज्ञान की वृद्धि करना (2) आलोचनात्मक चिन्तन
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White सामाजिक अध्ययन शिक्षण में पाठ-योजना का निर्माण करने से क्या लाभ होता है? (1) उपयुक्त वातावरण तैयार हो जाता है (2) आत्मविश्वास के साथ शिक्षण (3) क्रियाओं का निश्चित होना (4) उपरोक्त सभी ©brar saab #Sad_Status #सामाजिक अध्ययन शिक्षण में पाठ-योजना का #निर्माण करने से क्या लाभ होता है? (1) उपयुक्त वातावरण तैयार हो जाता है (2) आत्मविश्वा
#Sad_Status #सामाजिक अध्ययन शिक्षण में पाठ-योजना का #निर्माण करने से क्या लाभ होता है? (1) उपयुक्त वातावरण तैयार हो जाता है (2) आत्मविश्वा
read moreAnjali Singhal
"आँखों ने उनका ख़्वाब सजाना छोड़ दिया है, दिल ने उन्हें धड़कन में धड़काना छोड़ दिया है। कोई सरोकार नहीं उन्हें मेरे एहसास-ए-इश्क़ से तो, ख़्याल में उनके बेख़्याल रहना-रहाना छोड़ दिया है।।" ©Anjali Singhal "आँखों ने उनका ख़्वाब सजाना छोड़ दिया है, दिल ने उन्हें धड़कन में धड़काना छोड़ दिया है। कोई सरोकार नहीं उन्हें मेरे एहसास-ए-इश्क़ से तो, ख़
"आँखों ने उनका ख़्वाब सजाना छोड़ दिया है, दिल ने उन्हें धड़कन में धड़काना छोड़ दिया है। कोई सरोकार नहीं उन्हें मेरे एहसास-ए-इश्क़ से तो, ख़
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
Village Life अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है। चल पड़ा हूँ वापस पगडंडी पर, बस्ती से दूर, एक छोटा सा गांव है। जहाँ सुकून की मिट्टी से गंध उठती है, और सपनों का आकाश साफ़ है। ढूंढ रहा है हर कोई शहर में बसेरा, पर वहाँ भी ज़िंदगी कहाँ आज़ाद है। शोर में खो जाती है पहचान अपनी, बस भीड़ में रह जाता एक फरियाद है। लौट आओ अपनों के बीच, अभी वक्त है, ज़िंदगी छोटी है, किसे सरोकार है। रिश्तों की गरमाहट को महसूस कर लो, फिर न कह सकेगा दिल, ये जो अंगार है। शहर के शोर में सब कुछ खो जाता है, पर दिल सुकून तो अपनों में ही पाता है। थोड़ा ठहरो, जरा संभालो इन पलकों को, क्योंकि यादें ही अंत में हमारा संसार हैंl ©theABHAYSINGH_BIPIN #villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
#villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash दुनिया के रंगों से अब कोई सरोकार नहीं, कभी जो था कभी सस्ता, अब वो महँगा नहीं। गुज़र रहा हूँ बस इस राह से चुपचाप, जो मंज़िलों की तलाश में था, वो अब मेरा पीछा नहीं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दुनिया के रंगों से अब कोई सरोकार नहीं, कभी जो था कभी सस्ता, अब वो महँगा नहीं। गुज़र रहा हूँ बस इस राह से चुपचाप, जो मंज़िलों की
#नवनीतठाकुर दुनिया के रंगों से अब कोई सरोकार नहीं, कभी जो था कभी सस्ता, अब वो महँगा नहीं। गुज़र रहा हूँ बस इस राह से चुपचाप, जो मंज़िलों की
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