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kumaarkikalamse
कट रही है जिंदगी कभी गिनने में, कभी गिनाने में, मैं कहता हूँ ख़ुद से अक्सर क्या रक्खा है सब जताने में! रिश्ता बनाओ तो फिर निभाओ वरना नहीं ज़रूरत दिखावे की, मैं रिश्ता जीता हूँ, जब बनाता क्या रक्खा है बस आज़माने में! दोस्ती, दोस्त जिंदगी और साथ चतुर्भुज की जैसे भुजाएं चार, हर कोण का मान समान हो 'कुमार' क्या रक्खा है बीच में विकर्ण बनाने में! मेरी जिन्दगी में रिश्ते बनाने से ज्यादा उन्हें जीना जरूरी है पर आज लोग इसका मोल नहीं देते..! बहुत दुःख होता है इसका पर क्या करें..! चतुर्भु
Paramjeet kaur Mehra
Akash Das
#Who_Is_Kaal अध्याय 11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन् ! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान क
Sameer Das
#Who_Is_Kaal अध्याय 11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन् ! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान क
Paramjeet kaur Mehra
अध्याय 11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन् ! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान कर रहे हैं। हे
Vibhor VashishthaVs
अर्थात-: आप चार-सशस्त्र हैं, सबसे सुंदर और आभूषणों के साथ अलंकृत हैं। आपके हाथों की स्थिति ऐसी लगती है जैसे आप इसकी अशुद्धियों की दुनिया को शुद्ध कर रहे हैं। आपकी हथेलियाँ, जो कमल की तरह लाल हैं, कोमल और सौन्दर्य के सागर के रूप में आपके गुणों को जीतती हैं और आपके गुणों को गहरा और अटूट बनाती हैं। आप वास्तव में आनंद का खजाना घर हैं। 🏵🏵🙏जय जय श्री हरि🙏🏵🏵 🏵🏵🙏जय जय नारायण🙏🏵🏵 __Vibhor Vashishtha Vs Meri Diary #Vs❤❤ रूप चतुर्भुज भूषित भूषण। वरद हस्त, मोचन भव दूषण।। कंजारूण सम करतल सुन्दर। सुख समूह गुण मधुर समुन्दर।। अर्थात-: आप चार-सशस्
अज्ञात
एक धार्मिक परिसर में चार दोस्त बैठे थे अचानक मैं भी वहीं पहुंच गया, दोस्तों में धर्म कर्म की बातें चल रही थीं, तभी मेरे मुँह से निकल गया- " दोस्तों, मान लो अगर इसी समय अचानक से तुम्हारे सामने चतुर्भुज रूप लिये भगवान प्रगट हो जायें और तुमसे कहें- ' मांगो वत्स तुम्हें क्या चाहिए..' तो आप लोग भगवान से क्या मांगेंगे..! पहला- मैं तो कहूंगा मुझे सर्वशक्तिमान बना दो..! दूसरा- अपन तो कहेंगे भैया हमें तो कुबेर का खजाना दे दो बस.. अपन उतने में ही खुश..! तीसरा- मैं तो कहूंगा भगवन मुझे अमर कर दो.. बाकी फिर मैं सबसे निपट लूंगा..! मेरा वो चौथा मित्र कोई और नहीं आप हैं.. क्या बताएंगे, आप क्या मांगते..? ©S. Kumar एक धार्मिक परिसर में चार दोस्त बैठे थे अचानक मैं भी वहीं पहुंच गया, दोस्तों में धर्म कर्म की बातें चल रही थीं, तभी मेरे मुँह से निकल गया- "