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Jitendra Singh
आत्महत्या कभी नहीं होती आत्महत्या। वो है एक सामाजिक दवाब। नैतिक आदर्शों के पतन की पराकाष्ठा। एक छद्म सामाजिक षड्यंत्र, जो रचा जाता है, अपनों के ही द्वारा, हर पल,हर स्थिति में, जो धकेलता है उसे एक क्रूर मानसिकता की ओर। इसे कह सकता हूँ मैं, एक सामूहिक हत्या, जिसमें गुनाहगार है अदृश्य।उसका चेहरा नहीं है एक, उसमें शामिल हैं,बहुत से गड्ड-मड्ड चेहरे। हर एक अपने का व्यवहार,वार्ता,व्यंग्य,हँसीऔर दिखावटी सहारा भी, काम करते हैं,एक धारदार हथियार का। मजबूर करते हैं उसे,वे सामाजिक आदर्श, जो बता दिए गए हैं उसे महत्वपूर्ण,उसके जीवन से भी ज्यादा। अपनों की अपेक्षाएँ,अपनी क्षमताएँ, रुचियों का दमन,सामाजिक शोषण सब, कारगर हथियार हैं,इस सामूहिक निकृष्टता के। बड़ी आसानी से इसेख़ुदकुशी कहकरबच निकलता है हत्यारों का समूह। क्योंकि मरने वालानहीं दे सकता अपने निर्दोष होने की सफाई। नहीं रख सकता कोई सबूत। वो देख लेता है सबको,अपनी नज़रों से गिरता हुआ। वो नहीं पाता स्वयं को इन परिस्थितियों के लायक। अति संवेदनशील होता है वो।जो दुखी होता है हर निकृष्टता से। बार-बार विदीर्ण होता है उसका हृदय। वो नहीं समझता,इस दुनियां को,इंसानों के रहने लायक। और हो जाता है शिकार,एक सुनियोजित षड्यंत्र का। अपराधी वहीं खुलेआम घूमते रहते हैं,संवेदना जताते हुए। और स्वयं के क्रूर कर्मों के परिणाम को आत्महत्या बताते हुए।। 😭परेशान😭 ©Jitendra Singh #suiside#atmhatya#khudkushi
Ashok Mangal
महाराष्ट्र के बीड़ ज़िले में 120 दिनों में 86 किसानों ने आत्महत्या की ! मामूली कर्ज़ की कडक वसूली और फ़सल असफल होने से ये दुर्दैवी घटनायें घटी !! सरकारें सभी पक्षों की रही पर किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं ! कौन कहता है देश कृषि प्रधान है जब कृषि का कोई प्रधान नहीं !! #kisan #agriculture #atmhatya #aaveshvaani #janmannkibaat
sujit kumar
जान देने के लिए, जान तो नहीं दी होंगी, भगवान ने || #yqbaba #skmskm #life #atmhatya #motivationalquotes #fightback #win
Bindass writer
हां मैं बिहारी हूँ चाणक्य, चंद्रगुप्त, महावीर जैसे वीरों की जन्म भूमि हूं राजेंद्र, जयप्रकाश जैसे नेताओं की पावन धरती हूं हां मैं बिहारी हूं जो अपनी मेहनत से काबिलियत की लकीर खींच देती हूं हाथों में कलम मिल जाए तो दिनकर जैसी कवि बन जाती हूं पैसा का नहीं इज्जत की प्यारी हूं हां मैं बिहारी हूं विषम परिस्थिति में भी ढल जाती हूं सर्दी, गर्मी, बरसात, के मार को हर साल झेलती हूं इसलिए तो किसी भी राज्य में एडजस्ट हो जाती हूं हां मैं बिहारी हूं पिज़्ज़ा, बर्गर,नहीं लिट्टी चोखा, आचार, दही, चुरा, यही मे खाती हूँ हमारे यहाँ पुरुषो के कंधे पे गमछा ये कोई अपमान नहीं ये हमारी संस्कृति है जो गमछा वाले बिहारी पर हस्ते है यही गमछा वाले विशिष्ट नारायण, आनंद, जैसे गणितज्ञ बनकर अपनी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया से मनवाते है प्यार मे टूट जाये तो देवदास नहीं सीधा यूपीएससी क्लियर कर जाते है ये सब कोई और नहीं बिहारी ही होते है इसलिए हम गर्व से कहती हूँ हाँ मे बिहारी हूँ ©Bindass writer #bihar divas