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Stories related to मेट्रो बस गेम

ARTIST VIP MISHRA

मेट्रो रेल्वे स्टेशन

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हिमांशु Kulshreshtha

बस यूँ ही.

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White जब पहली बार 
जो देखा तुम को 
धड़कनों में 
अजब हलचल सी 
महसूस की मैंने
तेरी आँखों में 
जो देखी 
एक हसीन दुनियाँ मैंने 
अपनी दुनियाँ को 
भुला दिया मैंने

©हिमांशु Kulshreshtha बस यूँ ही.

Shashi Bhushan Mishra

#बस इतने में#

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बस इतने में  हांफ  रहे हो,
डर से थर-थर कांप रहे हो,

मारे जाओगे एक दिन सब,
आस्तीन  के  सांप  रहे हो,

रंग बदलने में  तुम  माहिर,
गिरगिट के भी बाप रहे हो,

सिर्फ़ सियासत धर्म-कर्म है,
फूंक दिया घर  ताप रहे हो,

पोल खुली तो बिल में दुबके,
तुम कब रस्ता  नाप रहे हो,

पढ़े-लिखे भी बैल बुद्धि ही,
लगते   झोलाछाप   रहे हो,

भूंक रहे  अपनी  गलियों से,
कभी तो लल्लन टाप रहे हो,

'गुंजन' घड़ा फूटना तय था,
अबतक  भरते  पाप रहे हो,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #बस इतने में#

PRIYA SINHA

White 🫂"बस तुम हो" 🫂

जीवन के गीत में ;
हार या जीत में ;
बस तुम हो  ! 

सूनेपन की भीत में ;
प्रहार या प्रीत में ;
बस तुम हो  ! 

समर्पण के रीत में ;
बेकार या कृत में ;
बस तुम हो  ! 

प्रिया सिन्हा  
𝟑𝟎. नवंबर 𝟐𝟎𝟐𝟒. 
(शनिवार).

©PRIYA SINHA #बस #तुम #हो

Sunil Kumar Maurya Bekhud

#बस

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सफर फ़ाहिज्ज् फ़ाहिज्ज्ज्

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #बस

kavi Dinesh kumar Bharti

#ऑनलाइन गेम

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Sarvesh Pandey

# बस यूं ही.........

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हिमांशु Kulshreshtha

बस यूँ ही...

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White तमन्ना है मेरे दिल की
में हूँ और बस वो हो,
चाँदनी रात हो
सितारों की छांव में
एक ख़ामोश गुफ़्तगू हो

©हिमांशु Kulshreshtha बस यूँ ही...

हिमांशु Kulshreshtha

बस यूँ ही...

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White हमने ख्वाबों
और ख्वाहिशों को
टूटते देखा है,
दिल के मचलते अरमानों को
बिखरते देखा है,
मोहब्बत कभी
रोशन किया करती थी जिन्दगी,
हमने तो
अब चिराग़ को
बेसबब बुझते देखा है.

©हिमांशु Kulshreshtha बस यूँ ही...

हिमांशु Kulshreshtha

बस यूँ ही..

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फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं,
फिर भी, मैं मायूस नहीं
छोड़ो, उनको टूटना ही था,
आखिर वो सपने ही तो थे
तुमने ही जब गलत समझा,
तो दिल टूटना ही था
कोई होता गैर, दिल पे न लेता मैं
अफ़सोस, तुम तो मेरे अपने थें

©हिमांशु Kulshreshtha बस यूँ ही..
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