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Dr Aruna KP Tondak
मातृ भाषा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं अपने व्यक्तित्व में सुधार लाने के लिये दोस्तों सबसे ज्यादा जरूरी है मातृ भाषा से प्रेम जय श्री राम ©डॉ. अरुणा कृष्णप्रेम Tondak #अरुणा #अरुणा #Aruna
Santosh pawara
कुर्र...ईन धरतीने पुरया रे आमू मुलनिवासी राजा रे वाघ सिहोपर बठीन आमू धदली गुफोण वाला रे...... कुर्र..एकलव्य से खून मा आमरा बिरसा मुंडा साथ रे उलगुलान पुकारया रे आमू जल, जमिनोन करी रे... कुर्र...इंग्रजोहाते लढ्या रे आमू आयता मोटा साथ रे नदी किनारे वोहती आमरी डुमखा बाजी खाईन रे ... कुर्र ..रातली पागडी बांधी लेद्या आमू दौवी खासडी पेरी लेद्या रे गोवामा डुले गालिने आमू वारो तिवारोम नाच्या रे.. कुर्र....जात-पात नी मान्तला आमू धर्म पंथ नी मान्या रे आमू आखा एक से कोइने हिवी मिवी जिवतला रे... वाघ सिह पोर बोठिने आमू धदली गुफोन वाला रे... - संतोष पावरा ( आदिवासी युवा कवी, गीतकार) ' आमू आखा एक से ' ढोल काव्यसंग्रहातील कवी संतोष पावरा यांच्या कविता
' आमू आखा एक से ' ढोल काव्यसंग्रहातील कवी संतोष पावरा यांच्या कविता
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गोण काठा दिहे आवहोत किडावान दारोन होच निकवी गोया बोठा ! गावं ओय गोयो हूनो होगा, जुडीदार जिवनेह गोया वोहतिम गाव मोटट्यानहोच सानसून कुत्रा ओतरा भुकताह पाकला पाने उदरताह मांदला माणहे रोडताह ' कुणी हाते वातू कोरो कुणी हाते खेलों ? ' डुल पावी काहरी होमवो ? गिते काहरी गावतला नी गोट्टी सूर धोरतली नी मुहवो काणी कोयतलो नी विहरायहोत संस्कृती विहोरहोत इतिहास, ते ' गोण काठा दिहे आवहोत गोण काठा दिहे आवहोत - संतोष पावरा ( आदिवासी युवा साहित्यीक, कवी, गीतकार ) गोण काठा दिहे आवहोत, ढोल काव्यसंग्रहातील कवी संतोष पावरा यांच्या कविता
गोण काठा दिहे आवहोत, ढोल काव्यसंग्रहातील कवी संतोष पावरा यांच्या कविता
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गिर गिरकर उठने की कोशिश बेकार हो गई जब से उनको देखा है,, मोहब्बत के झरोखों से,,,, वो ख्वाबों में दिखने वाली मूर्त साकार हो गई,, क्यों कि गिर गिरकर उठने की कोशिश बेकार हो गई,, अब तो हकीकत में भी वही हैं जो दिखते नही आकाश में भी वही हैं जो झुकते नही गिर गिरकर उठने की कोशिश बेकार हो गई ©Dr Aruna KP Tondak #अरुणा #Aruna
Dr Aruna KP Tondak
बनते बनते बिगड़ गई है क़िसमत हाथ से जो वो छूट गई है,, मिली थी हमें दूर से ही सरकारी नौकरी, स्कूल मिलने से पहले ही टूट गई है,, उम्मीद थी के हम भी उनको पढ़ा देंगें दो शब्द पर मिलने से पहले ही छूट गई है बनते बनते बिगड़ गई है। ©Dr Aruna KP Tondak #अरुणा #Aruna