Find the Latest Status about कमलिनी कुटीर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कमलिनी कुटीर.
प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
स्वप्न कुटीर के सब खंडित हो गए, हाथ सृजन के प्रतिबंधित हो गए। हम तो पूर्णता पर भी बिलखते रहे, लोग तो अधर में ही पंडित हो गए।। ©प्रेम शंकर स्वप्न कुटीर के खंडित हो गये #MusicLove
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
मेरा देश मेरा दायित्व सेवा कुटीर आओ मिलकर हरें, वृद्धजनों के पीर, ये जिंदगी फिर न मिलेगी, आओ बदले जरूरतमंदो की तसवीर। #कलमसत्यकी ©Satyendra Satya मेरा देश मेरा दायित्व सेवा कुटीर आओ मिलकर हरें, वृद्धजनों के पीर, ये जिंदगी फिर न मिलेगी, आओ बदले जरूरतमंदो की तसवीर। #कलमसत्यकी ✍️©️ #oldag
mast malang
अंहकार भर गया था उनके जहन में, जो अवल हर इम्तिहां में निकले थे,, लौट आए वो चोट खाकर कुटीर में, जो महलों की इल्तिजा में निकले थे,, जान गंवाते गंवाते बचे हैं बेवकूफ , घोंसले से जो बङे ही गुमां में निकले थे,, पंख जले तो जमीन ने सम्भाला उन्हे, जो सूरज को चूमने आसमां में निकले थे,, अंहकार भर गया था उनके जहन में, जो अवल हर इम्तिहां में निकले थे,, लौट आए वो चोट खाकर कुटीर में, जो महलों की इल्तिजा में निकले थे,, जान गंवात
SK pant
नूनं भवन्त: परिवीक्षितनेत्रसौख्या: चन्द्रं यथा कमलिनी नदीपूर्णवेगा: स्निग्धा लता भवतु तत्र नु,, मे प्रियायाम् एकस्थितं सकलनेत्रप्रियं विभाति || निश्चित रूप से आपने नेत्रों को प्रिय लगने वाली हर चीज देखीं हैं जैसे कि चांद, कमलिनी, नदी, और सुन्दर पुष्पों से आच्छादित लता आदि आदि... इन स
Pnkj Dixit
💓 ... मौसम प्रीत आज बरस रही है जैसे रिमझिम सावन में घुमड़ कर बादल बरसे । तेरा मौसम इस तरह सुहावना जैसे बसंत ऋतु में चहूं ओर सुगंध । तुम्हारा अहसास मेरे रोम-रोम में जैसे कण कण में भगवान तुम भी भूले नहीं हमारी मोहब्बत की कहानी जैसे चंदा चकौर कमल कमलिनी पूर्णिमा चांदनी मस्तानी 🌷👰💓💝 १६/०६/२०१८ ...✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' 💓 ... मौसम प्रीत आज बरस रही है जैसे रिमझिम सावन में घुमड़ कर बादल बरसे । तेरा मौसम इस तरह सुहावना
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
"मन चाहता है" मन पंछी बन उड़ना चाहता है दूर ऊँचे आकाश में सतरंगी सपने बुनना चाहता है दूर कहीं एकांत में...! मन सब निराशा और दुःख भूलना चाहता है 'प्रेम-कुटीर' बनाना चाहता है दूर कहीं क्षितिज में...! मन मधुर स्वप्न देखना चाहता है गहन रात में स्वप्नों को जीना चाहता है दूर कहीं एकांत में...! मन खिलखिलाना चाहता है किसी के साथ में हँसते जिंदगी गुज़ारना चाहता है 'उसके' पास में...! मन किसी को अपना 'हमराज' बनाना चाहता है 'सफर-ए-ज़िंदगी' चाहता है उस 'हमसफर' के साथ में..! 🌹 "मन चाहता है" मन पंछी बन उड़ना चाहता है दूर ऊँचे आकाश में सतरंगी सपने बुनना चाहता है दूर कहीं एकांत में...! मन सब निराशा और दुःख भूलना चाह
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 8 माता सीता का मन, श्री राम के चरणों में निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन। परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन ॥8॥ और अपने पैरो में दृष्टि लगा रखी है- मन रामचन्द्रजी के चरणों में लीन हो रहा है-सीताजीकी यह दीन दशा(दुःख) देख कर,हनुमानजीको बड़ा दुःख हुआ॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम अशोक वाटिका में रावण और सीताजी का संवाद-रावण का अशोक वन में आना तरु पल्लव महँ रहा लुकाई। करइ बिचार करौं का भाई॥ तेहि अवसर रावनु तहँ आवा। संग नारि बहु किएँ बनावा॥ हनुमानजी वृक्षों के पत्तो की ओटमें छिपे हुए,मन में विचार करने लगे कि हे भाई अब मै क्या करू?इनका दुःख कैसे दूर करूँ?॥उसी समय बहुत सी स्त्रियोंको संग लिए रावण वहाँ आया। जो स्त्रिया रावणके संग थी,वे बहुत प्रकार के गहनों से बनी ठनी थी॥ रावण सीताजी को भय दिखाता है बहु बिधि खल सीतहि समुझावा। साम दान भय भेद देखावा॥ कह रावनु सुनु सुमुखि सयानी। मंदोदरी आदि सब रानी॥ उस दुष्ट ने सीताजी को अनेक प्रकार से समझाया।साम, दाम, भय और भेद अनेक प्रकार से दिखाया॥रावणने सीता से कहा कि हे सुमुखी!जो तू एक बार भी मेरी तरफ देख ले तो हे सयानी, मंदोदरी आदि सब रानियो को॥ सीताजी तिनके का परदा बना लेती है तव अनुचरीं करउँ पन मोरा। एक बार बिलोकु मम ओरा॥ तृन धरि ओट कहति बैदेही। सुमिरि अवधपति परम सनेही॥ (जो ये मेरी मंदोदरी आदी रानियाँ है, इन सबको)तेरी दासियाँ बना दूं, यह मेरा प्रण जान॥रावण का वचन सुन बीचमें तृण रखकर (तिनके का आड़ – परदा रखकर),परम प्यारे रामचन्द्र जी का स्मरण करके,सीताजी ने रावण से कहा – सीताजी रावण को श्रीराम के बाण की याद दिलाती है सुनु दसमुख खद्योत प्रकासा। कबहुँ कि नलिनी करइ बिकासा॥ अस मन समुझु कहति जानकी। खल सुधि नहिं रघुबीर बान की॥ हे रावण! सुन,खद्योत अर्थात जुगनू के प्रकाश से कमलिनी कदापी प्रफुल्लित नहीं होती।किंतु कमलिनी सूर्यके प्रकाश से ही प्रफुल्लित होती है।अर्थात तू खद्योत के (जुगनूके) समान है, और रामचन्द्रजी सूर्यके सामान है॥सीताजी ने अपने मन में ऐसे समझ कर, रावणसे कहा कि(जानकी जी फिर कहती है, तू अपने लिए भी ऐसा ही मन मे समझ ले)रे दुष्ट! रामचन्द्रजीके बाण को अभी भूल गया क्या? वह रामचन्द्रजी का बाण याद नहीं है॥ सठ सूनें हरि आनेहि मोही। अधम निलज्ज लाज नहिं तोही॥ अरे निर्लज्ज! अरे अधम! रामचन्द्रजी के सूने तू मुझको ले आया। तुझे शर्म नहीं आती॥ Continue... Tuesday..., विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 335 से 346 नाम 335 पुरन्दरः देवशत्रुओं के पूरों (नगर)का ध्वंस करने वाले हैं 336 अशोकः शोकादि छः उर्मियों से रहित हैं 337 तारणः संसार सागर से तारने वाले हैं 338 तारः भय से तारने वाले हैं 339 शूरः पुरुषार्थ करने वाले हैं 340 शौरिः वासुदेव की संतान 341 जनेश्वरः जन अर्थात जीवों के इश्वर 342 अनुकूलः सबके आत्मारूप हैं 343 शतावर्तः जिनके धर्म रक्षा के लिए सैंकड़ों अवतार हुए हैं 344 पद्मी जिनके हाथ में पद्म है 345 पद्मनिभेक्षणः जिनके नेत्र पद्म समान हैं 346 पद्मनाभः हृदयरूप पद्म की नाभि के बीच में स्थित हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 8 माता सीता का मन, श्री राम के चरणों में निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन। परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन ॥8॥ और अपन
Kunwar arun ¥
सपने की एक रात.. ✍-कुँवर अरुण कविता लंबी है अगर आप लिखते हो और मन की तूलिका से प्राण पृष्ठ पर किसी स्त्री का चित्र बनाया हो तो जरूर पढ़े अन्यथा आपका वक्त जाया हो सकता है 👇👇👇👇👇👇 ©Kunwar arun ¥ चांदनी रात मे तारों के साथ मे यादों की बारात मे मैंने देखा तुमको सपनें की एक रात में एक नदी किनारे पर्णकुटी मे बैठी थी तुम श्वेत साड़ी पहने
atrisheartfeelings
निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन। परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन॥8॥ तरु पल्लव महँ रहा लुकाई। करइ बिचार करौं का भाई॥ तेहि अवसर रावनु तहँ आवा। संग नारि बहु किएँ बनावा॥ बहु बिधि खल सीतहि समुझावा। साम दान भय भेद देखावा॥ कह रावनु सुनु सुमुखि सयानी। मंदोदरी आदि सब रानी।। तव अनुचरीं करउँ पन मोरा। एक बार बिलोकु मम ओरा॥ तृन धरि ओट कहति बैदेही। सुमिरि अवधपति परम सनेही॥ सुनु दसमुख खद्योत प्रकासा। कबहुँ कि नलिनी करइ बिकासा॥ अस मन समुझु कहति जानकी। खल सुधि नहिं रघुबीर बान की॥ सठ सूनें हरि आनेहि मोही। अधम निलज्ज लाज नहिं तोही॥ #atrisheartfeelings #ananttripathi #sundarkand #sunderkand #yqbaba #yqdidi दोहा निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन। परम दुखी भा पवनसुत देख