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RV Chittrangad Mishra
Unsplash ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ©RV Chittrangad Mishra #camping ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन
#camping ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन
read moreJitendra Giri Hindu
"1. **यथा वा वदति सदा तद्वदन्तु तत्त्वदर्शिनः।** - "जैसा कोई कहता है, वैसा ही सदैव सच को कहो।" 2. **कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।** - "आपका अधिकार केवल कार्य पर है, फलों पर नहीं।" 3. **सर्वधर्मान्परतित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।** - "सभी धर्मों का त्याग करके केवल मेरी शरण में आओ।" 4. **वक्तव्यं न हि नष्टं न चान्यस्य समृद्धि।** - "किसी के अपमान के लिए शब्दों का अनर्थ नहीं होना चाहिए।" 5. **आगमोऽपि सदा शान्ति यस्तु संकल्पयेत् सदा।** - "जो संकल्प करता है, वह सदा शांति प्राप्त करता है।" 6. **विद्या ददाति विनयं विनयाद्यति पात्रताम्।** - "ज्ञान विनय को देता है, विनय से पात्रता प्राप्त होती है।" 7. **सत्यं वद धर्मं चर।** - "सत्य बोलो और धर्म का पालन करो।" 8. **दृष्ट्वा वा ज्ञात्वा वा परार्थं त्यजेत् स्वार्थम्।** - "दृष्टि से या ज्ञान से, स्वार्थ का त्याग कर देना चाहिए।" ©Jitendra Giri Hindu "संस्कृत उद्धरण: ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत" संस्कृत, उद्धरण, ज्ञान, प्रेरणा, जीवन, धर्म, सत्य, विनय, कर्म, संस्कृति, शांति, राजा, उत्कर्ष, स
"संस्कृत उद्धरण: ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत" संस्कृत, उद्धरण, ज्ञान, प्रेरणा, जीवन, धर्म, सत्य, विनय, कर्म, संस्कृति, शांति, राजा, उत्कर्ष, स
read moreVinod Mishra
"स्वार्थ साधना जिसके लिए साध्य हो ; जिसके लिए साधक अपनी नित नई निष्ठा बदलता रहता हो ऐसा साधक जीवन में कुछ भी पा सकता है परन्तु प्रतिष्ठा कभी
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