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Jaya ki kalam (R)
Autumn कुछ तो तक़दीर का इशारा है..! आँख में बंधी है पट्टी.. अंधा ढूँढता ,ऐतबार है..! ©Jaya ki kalam (R) #autumn
Narendra kumar
Autumn पूर्व निर्धारित लक्ष्य का परिणाम पूर्ण होना चाहिए। ©Narendra kumar #autumn
Radhe radhe
Autumn आवाज़ों के बाजारों में खामोशी को पहचाने कौन भीड़ बहुत लगी थी दो चार के चेहरे उतरे थे तब जाकर पहचाने हम दोस्तों की भीड़ में दोस्त कुछ ही होते है @अमितगीता ©Radhe radhe #autumn
Kalpana Tripathi
Autumn स्पष्ट बातचीत , व्यवहार व प्रेम को स्थायित्व तक लेकर जाती है!! ©Kalpana Tripathi #autumn
Sai Kutty
Autumn Happiness is not by chance but by choice....🤝 ©Sai Kutty #autumn
Narendra kumar
Autumn बदलों सोच, बदलों भाग्य लेखा कर्म करों, बदलों भाग्य रेखा। मानव हो, लों मन को जीत। कौन तुम्हें, कर सकता है पराजित। विश्वास रखो निगाहों में, निर्भय रहो राहों में। निर्णय तुम्हारा निर्माण करेगा, निश्चय ही महान कार्य करेगा। बढ़ो आगे बदलों पथ बाधा, , जीत का करके पक्का इरादा। ©Narendra kumar #autumn
Narendra kumar
Autumn झूठ बोलने से अवगुण भले छुप जाए, गुनाह तो दर्ज हो ही जाता है। ©Narendra kumar #autumn
'लेख' R@√|
Autumn मोहब्बत ढूंढती है अक्सर जिसके पास वक्त और दौलत बेशुमार हो वो दरकिनार किया करती है उसे जो इश्क निभाने में वफादार हो ©Writes_Kingdom #autumn
'ਲਾਲੀ ਬਸੀ'
Autumn ਜਿੰਨਾ ਚਿਰ ਜਿਉਂਦੇ ਹੋ ਸਬਰ ਨਾ ਛੱਡੋ ਕਰਨਾ ਮੇਹਨਤ ਦਾ ਸਫਰ ਨਾ ਛੱਡੋ ਕਿਉਂਕਿ ਜਿੰਦਗੀ ਇੱਕ ਮ੍ਰਿਗ ਤ੍ਰਿਸ਼ਨਾ ਹੈ ਕਸਤੂਰੀ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਅੰਦਰ ਹੈ ਲੱਭ ਅਸੀਂ ਬਾਹਰ ਰਹੇ ਹਾਂ ਲਿਖਤੁਮ ਲਾਲੀ ਬਸੀ Whatsap9814852972 ©'ਲਾਲੀ ਬਸੀ' #autumn
Rina
कड़वी सी लगने लगी हूँ अब मैं.... अब रही न वैसी मैं ,जैसा लोगो ने देखा था एक समय था वो, जो शायद मेरा अपना ही था छुई मुई,अधरों पर मिठास लिए,कोमलांगी सी ऐसा मैं नहीं कहती हूँ ,अपनों ने कहा था मुझसे फिर अब ऐसा क्या हुआ, जो चुभने लगी हूँ मैं चटक मिर्च सा तेज़ है मेरे हर एक शब्द में जुबां से निकलकर, कानों मे जब ये पड़ते हैँ तब शब्दों के कम्पन से, ह्रदय डोल सा जाता है ऐसा मैं नहीं कहती हूँ, अपनों ने राग अलापा है मेरी तेज़ जुबां अब शायद, दिल पर जख्म सा करते हैँ पर ये विचार नहीं करते हैँ लोग , क्यों ऐसी हो गई हूँ मैं मेरे इस बदलाव मे, लोगो का बड़ा हाथ हैँ मासूमियत को मेरी, कमजोरी समझा लोगो ने धैर्य और शांतपन का, ख़ूब उपहास उड़ाया है देखा है मैंने वक्त वक्त पर लोगों को बदलते तब जाकर बदला मैंने भी, अपने हर एक शब्द का लहज़ा इसलिए तो मैं ,कड़वी सी लगने लगी हूँ अब.... ©Rina #autumn