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करिश्मा ताब

आज भी चुप हूँ 
क्योंकि मैं विधवा हूँ
मगर मेरी कोख में
मेरे पति की निशानी है
मैंने अपने  ही लोगों को कहते सुना है
ऐसी  औरत है जिसने अपने
पति को खा लिया... 
मैं नयी नवेली ब्याहता थी
क्या पता था 
विधवा होने का दंश 
जीने से ज्यादा 
रोज रोज  
मरने को मजबूर करेगा #विधवा

pawan kumar suman

विधवा #ShiningInDark

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विधवा
.......….........................................................

विधि का विधान देखो,
जीता जागता प्रमाण देखो।
विलख रही अभागन बन-
हुआ अपना ही वीरान देखो।

पति बिना ये जग सूना,
आज उसे है भान हुआ।
घर-परिवार परिजन भी-
उसे अशुभ बना ही दिया।

सिंदूर,चूड़ी, काजल-बिंदिया,
तेरे जाने के बाद ही त्यागी पिया।
शुभकार्यो में अब मुख मोड़े हैं सब-
ऐसी विरक्ति देख मेरी तड़पे हैं जिया।

व्यथित मन अब ये जान गया,
ढोंगी समाज ने ही ये ढोंग रचा।
पूर्वाग्रह से ग्रसित सब यहाँ -
है किसने इसे ऐसा प्रमाण दिया।

निर्वासित जीवन जीने की आदि वो,
कुछ छिनी कुछ ख़ुद त्यागी आजादी वो।
सारे शुभ कार्यो का करती थी स्वयं संचालन-
कुछ दिन पहले इसी घर की थी शहजादी वो।

💕पवन "सुमन"💕

©pawan kumar suman विधवा

#ShiningInDark

Chandani pathak

ना जाने कब ज़िन्दगी मेरी खो गयी,
ना जाने कब अपराधी मैं हो गयी, 
कसूर क्या था हुई कहाँ थी गुस्ताख़ी, 
जो बन्जर सी मेरी ज़िन्दगी हो गयी ।

ना रंग बचे ना कोई सिंगार ,
लाल जोड़े में थी मैं, 
अगले पल कोरे कागज सी सफेद हो गयी, 
हाँ मैं विधवा हो गयी ।

 थामा था जिसने हाथ,
 उसकी इस दुनियां से रूकस्ती हो गयी, 
फिर क्यों मैं उस बिन इस जहां में रह गयी, 
 क्यों मैं उसके साथ ही नहीं सो गयी ।

    कल तक तो मैं शुभ थी, 
फिर अचानक अपशगुनी कैसे हो गयी, 
 आज क्यों सभी को, 
मेरी परछाई से भी नफरत हो गयी ।

समाज के लिए अब बस मैं, 
कोने में पड़ी रहने वाली वस्तु हो गयी, 
  हाँ मेरी कहानी अब इतनी सी हो गयी, 
मैं विधवा हो गयी ।।

insta id | @chand_ki_kalam
(chandani pathak) #विधवा #SAD

Mahesh Kopa

विधवा #international_womens_day

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विधवा की व्यथा

चाह कर भी मुस्कान न ला पाती चेहरे पे,
मन मे व्यथा छुपाए बैठी हूँ।
किससे कहती कहीं अपने नजर नही आते हैं,
मेरे प्रति लोगों की दृष्टिकोण बदलते नजर आते हैं,
विधवा हूँ ना इसलिए,
मायूस रहती हूँ।

उनके ना लौटने के सोच में,
किस किस से नजर छुपाते फिरूँ,
कोई नेक तो कोई अनेक नजर से ताकता है।
लोग जिश्म पे मेरी नजर गड़ाए बैठे हैं,
मैं जिश्म पे सफेद साड़ी उड़ाए बैठी हूँ,
लोग क्या कहेंगे,
इस सोच में पड़ी हुई हूँ,
विधवा हूँ ना इसलिए,
मायूस रहती हूँ।

माथे पे बिंदी,
हाथों पे मेहंदी,
कलाई में चूडियां,
इनके ना होने का गम ना रहा।
पर उनके ना होने का गम बरक़रार है,
इतना आसान नही उनको भुलाकर,
गैर से ब्या रचाना।
विधवा हूँ ना इसलिए,
मायूस रहती हूँ।

चाय पे भाई भी आये तो,
बाहर ही बैठाती हूँ।
लोगों को सबकुछ खुलकर बताना चाहती हूँ।
मैं वही हूँ जो पहले थी,
आपका नजरिया बदला है,
मैं नही।
विधवा हूँ ना इसलिए,
मायूस रहती हूँ।

©Mahesh Kopa विधवा

#international_womens_day

Ravindra Singh

विधवा #tears #कविता

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Ravindra Singh

विधवा #sorrow #कविता

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Archana pandey

विधवा अशुभ क्यों? #समाज

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कवी - के. गणेश

संयम पाहिजे

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संयम पाहिजे..

इथं सुखाच्या फुलासाठी
संयम पाळला पाहिजे..
अन् अंधारातल्या काट्यांचा
आज अर्थ कळला पाहिजे..

मनाची दोरी ओढत
जगण्यातही त्याग पाहिजे..
उशिराने का होईना
आलेली जाग पाहिजे..

ऊन पडूनच सावली येते
थोडं तरी सोसलं पाहिजे..
रोजच्या मौज मस्तीवर
कधीतरी रुसलं पाहिजे..

आज दुःखाच्या अंधारातही
आपण तगलं पाहिजे..
अन् उद्याच्या सूर्यासाठी
आनंदाने जगलं पाहिजे..

नियम अन् संयमाचं
गणित कळलं पाहिजे.
त्या निष्पाप झाडाशी
जगणं जुळलं पाहिजे..
copyright के. गणेश
      ९०२८११०५०९ संयम पाहिजे

Shital Gajare

पाहिजे होते......!

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Monika Garg

विधवा का करवाचौथ #RIP_KK #समाज

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करवा ले लो ,करवा।बहन करवा ले लो।बाहर से करवे बेचने वाले की आवाज़ सुन कर कनक बाहर की तरफ भागी तो कदम चौखट पर ही ठिठक गए ।उसने देहली के बाहर बढाया  कदम एकदम अन्दर की तरफ खींच लिया।आखों से  अश्रु धार बहने लगी।तभी सात साल का सानु दौड़ता हुआ आया और बोला ,"माँ गली की सारी औरतें करवे ले रही है तुम क्यो नही लेती।देखों  ना बिलकुल घरके आगे खड़ा है करवे वाला।"कनक की जोर से रूलाई फूट पड़ी ।अब वह उस कोमल हॄदय को कैसे समझायें कि वह अब किसके नाम  का व्रत रखे।जिसके नाम का रखती थी वो तो पिछले साल ही देश की सेवा करने में  शहीद हो गया याद है उसे वो मंज़र ।चारों तरफ "भारत माता की जय "।"शहीद  अमन दीप अमर रहे"।चारो तरफ से यही नारे गूंज  रहे थे।अमन को जब चिता पर लिटाया  गया तो वह बेसुध हो कर गिरने वाली थी।तभी गली की औरतों ने उसे सम्भाला और दिलासा देती हुई बोली,"कनक !अमन हम से दूर थोड़े गया है वो तो अमर हो गया है।उसकी शहादत पर आँसु बहा कर तू उसकी शहादत को बेकार कर रही है।तू तो अमर शहीद की पत्नी है।नाज  कर अपने ऊपर।"एक तो सानु छोटा उपर से दुख का पहाड़। अब जाये तो कहा जाये ।बेचारी ने मन पर पत्थर रखकर पति को अन्तिम विदाई दी।रिश्तेदार भी कितने दिन रहते।थोड़े  दिनों बाद कनक को दिलासा दे कर सब अपने-अपने घरों को रवाना हो गये ।अब माँ  बेटा दोनों घर मे अकेले रह गये।दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर जीवन की गाड़ी को खींचने लगे।सानु माँ की आखों में आंसू देखकर विचलित हो गया ।पूछा,"क्यो रो रही हो माँ ?बताओ ना।कनक ने आंसू पोंछते हुए कहा,"कुछ नही मेरे लाल बस आखों मे कुछ गिर गया था ।इस लिए पानी आ गया ।"सानु माँ से चिपकता हुआ बोला,"माँ आप मुझे मूर्ख समझती है।रोना और पानी आना मै अच्छी तरह से समझता हूँ ।बताओ ना क्यू रो रही थी।"कनक ने बेटे की जिद के आगे घुटने टेक दिए ।बोली ,"बेटा मैं आज तुम्हारे पापा को याद करके रो रही थी।उनको कितना चाव था करवा-चौथ का हर बार फौज से छुट्टी लेकर आते थे।अपने हाथों से मेरा श्रृंगार करते थे।करवे वाला आता था तो मुझ से पहले गली मे पहुँच जाते थे ।अब मै किसके लिए व्रत रखू बस यही सोचकर  आँखो मे पानी आ गया।सानु बेचारा हैरान परेशान माँ की ओर देखने लगा ।बच्चा था वह करे भी तो क्या करे।गांव के बाहर उसके पिता की स्मृति में एक पत्थर की प्रतिमा स्थापित की थी गांव वालों ने ।वहाँ जाकर उदास हो कर बैठ गया।यही सोचता रहा माँ को कैसे खुश करूँ ।तभी उसकी नजर पिता की  मूर्ति के नीचे लिखी लाईन पर गयी।"शहीद अमन दीप अमर रहेँ ।"बस उसे रास्ता मिल गया ।वह दौड़ा दौड़ा करवे वाले के पास गया और करवे वाले से करवे खरीदने लगा।रेहडी पर खड़ी औरतों ने पूछा, "है रे!किसके लिए  खरीद रहा है।सानु ने कहा,"माँ के लिए "औरते मुँह पर हाथ रख कर तरह-तरह की बातें करने लगी।कोई कहती"मुझे तो इसके रंग ढंग सही नही लगते थे।पति के जाने के बाद तो आजाद हो गयी है भई।"जितने मुँह उतनी बातें ।सानु किसी की भी परवाह किए बगैर करवे खरीद कर  घर पहुंचा और माँ  से बोला, "माँ आज तुम करवा-चौथ का व्रत रखो गी।"सानु की ये बात सुनकर कनक सन्न रह गयी।बोली"ये तू क्या  कह रहा है बेटा।मैं और करवा-चौथ ।लोग क्या कहेंगे ।"सानु बोला "माँ तुम कुछ मत सोचो  बस व्रत रखों मै सब देख लूँ गा।"कनक ने बहुत मना किया पर सानु ज़िद पर अडा रहा।कनक ने मन न होते हुए भी बेटे की ज़िद के लिए व्रत रखा।आज सानु ने माँ को वो ही साड़ी  अलमारी मे से निकाल कर दी जो उस के पिता को पसंद थी।अपनी माँ को सारा श्रृंगार करने को बोला जो उसके पिता उसकी माँ  का करते थे।पर कहते है ना लोगों को अपने सुख मे सुखी रहना नही आता दूसरा सुखी क्यू है यही बात उन्हे परेशान करती है।ऐसी ही चार पांच औरतें जिन से रहा नही गया पहुँच गयी कनक के घर ।जब देखा कनक तो नयी नवेली दुल्हन की तरह सजी है तो सुनाने लगी,"है री करम जली किसके नाम का करवा-चौथ रख रही है।पति को गुज़रे साल भी नही हुआ और ये महारानी सज-धज कर ना जाने किस के नाम का व्रत रखो रही है।,"मेरे पिता के नाम का "सानु लगभग चीखता हुआ हाथ में पूजा की थाली और छलनी लेकर बाहर आया ।बोला,"काकी मुझे ये बताओ वो आप ही थी ना जब मेरे पिता जी को चिता पर लिटा रहे थे तो माँ को ढाढ़स बंधाते  हुए कहा था कि मेरे पिता कही नही गये वो यही है।और मैंने स्कूल में पढ़ा है अमर का मतलब  जो कभी नहीं मरा हो।इस लिए मेरी माँ एक अमर शहीद  की पत्नी है।वह तो विधवा हो ही नही सकती ।इसलिए मेरी माँ आज से मेरे पिता के नाम  का व्रत करेंगी ।सानु चल पड़ा अपनी माँ को ले कर अपने पिता के स्मारक की ओर ।माँ  को चाँद को अरग देते व छलनी से चाँद और पिता को देखती माँ को देखने के लिए ............

©Monika Garg विधवा का करवाचौथ 

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