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#काव्यार्पण
White हम प्रेम को तुम्हारे एक दिन भुला ही देगे आखिर सिसक सिसक कर कब तक भला जियेगे मैं प्रेम की पुजारन या फिर कोई अभागन तस्वीर तेरी छू कर बनती हूं मैं सुहागन मंदिर में मस्जिदों में बस एक तुझको मांगा तेरी सलामती को गुरुद्वारे धागा बांधा याचनाएं विफल सब यूं भाग्य मेरे फूटे ना राम काम आए घनश्याम मेरे छूटे रहकर के भूखी प्यासी चंदा को अर्घ देकर तेरी उमर हो लंबी व्रत को किया करेंगे। तुम बांहों में किसी के रहते थे सोए सोए हमसे भी पूंछ लेते हम कितनी देर रोए आते थे मुस्कुराते मुझको सुकून बताने कैसे थी गम छुपाती ये मेरा दिल ही जाने तेरी नजर को अपनी नजरों से मैं उतारूं तुम हो फकत हमारे कह कर के मन संभालूं तेरे फरेब को भी लाचारी हम कहेंगे तुम हो तो बेवफा ही पर कृष्ण हम कहेंगे। मैं आहुति तुम्हारी तुम संविधा हवन की तुम पाठ भागवत का मैं बेला आचमन की ये राज- काज, संपति, ये जोग, भोग सारे तेरे नयन की चितवन के आगे व्यर्थ सारे हर्षित हुईं छुअन से कलियां जो थी कुम्हलाई अंबर बरस पड़ा तो धरती को लाज आई। इस बार चूक थोड़ी हमसे जो हो गई है है प्रण यही हमारा अगले जनम मिलेंगे। अगले जनम तुम्हारा हम ही वरण करेंगे। ©#काव्यार्पण हम प्रेम को तुम्हारे एक दिन भुला ही देगे: प्रज्ञा शुक्ला #Kavyarpan #काव्यार्पण #hindi #nojoto #bike_wale Hardik Mahajan #शून्य राणा Ravi
बादल सिंह 'कलमगार'
Ravendra
Ravendra
#काव्यार्पण
White मुझे अपने आपको इतना पत्थर बनाना है तू पास से गुजर जाए और मुझे मुंह घुमाना है करूं तुझसे कोई वादा तेरी कसम खा कर फिर अपनी बात से मुझे पलट जाना है। तू करे इश्क किसी से मेरे वाला वो तुझे इश्क करे बिल्कुल तेरे वाला तुझे तड़पता, बिलखता देख कर नींद के लिए एक एक रात तड़पाना है। तुझे अपने हुस्न से पागल बना कर कभी बोसा तो कभी गले लगा कर जब आ जाए तू मेरे आगोश में मुझे उसी वक्त मुकर जाना है। किसी से इश्क निभा करके तुझे छोड़ दूंगी वफादारी की हर रस्म भी मैं अब तोड़ दूंगी आज इससे कल उससे फिर सबसे इश्क को हर जगह बिखराना है । ©#काव्यार्पण मुझे अपने आप को इतना पत्थर बनाना है: प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर #काव्यार्पण #Kavyarpan #Nojoto #Poetry #love_shayari Sircastic Saurabh ꧁༒शिव
#काव्यार्पण
White खता गर कम करूं फिर भी सजा नहीं घटती कि रातें अब तुम्हारी याद बिन नहीं कटती । मेरे महबूब की तस्कीन में सबकुछ तो दिखता है खुदा दिखता है मुझको पर वफा नहीं दिखती । लिपट जाती हैं मुझ पर जब लताएं रायेगानी की हुई बरसात हो फिर भी घटा नहीं दिखती । तगाफुल में महज इतना इज़ाफा कर लिया हमने खफा होकर भी मैं उसको खफा नहीं दिखती । मेरी रूह मुझको देख कर थर्रा के बोली है कि प्रज्ञा आजकल तू जिस्म में नहीं दिखती । वो मेरी आंखों से काजल बहाकर आज बोला है तुम्हारे पांव में पायल भी अब नहीं दिखती । अलग से देखने का शौख मत पालो जहां वालों मैं उसकी रूह हूं उससे जुदा नहीं दिखती। मेरी मां ने भी मुझको एक अर्से बाद देखा है मैं कमरे के भी बाहर आजकल नहीं दिखती । मेरी लेखनी से अब शिकायत है जमाने को मोहब्बत से इतर मैं और कुछ नहीं लिखती । ©#काव्यार्पण वफा नहीं दिखती: प्रज्ञा शुक्ला #Kavyarpan #काव्यार्पण #हिंदी #सीतापुर #Pragyashuklakikavita #emotional_sad_shayari ꧁༒शिवम् सिंह भूमि༒꧂ K
Jai sawaliya seth
Ravendra
Ravendra