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Som Sangeet

दरबार-ए-परवरदिगार #विचार

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Vin's Bansode

#दस्तूर ए आलम

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मिट जाएंगे हमारे हम कुछ

न रहेंगा दस्तूर कुछ

यू अजनबी सी हो गई है दुनिया

प्यार के दायरे में छूट गया है सब कुछ #दस्तूर ए आलम

शमीम मेवाती

हाल-ए आलम

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सोचता हूं कि शीशे का कारोबार करूँ,
मगर फिर याद आता है कि इंसानियत पत्थर की है यहाँ!!
~समीम नज़ीर हाल-ए आलम

Sandhya🦋

#शोर-ए-आलम

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शोर-ए आलम में खुशियों के ख़रीददार
तो बहुत मिले लेकिन ये दर्द ही बद्दनसीब निकला 
इसका कोई मोल भाव तक करने न आया !! #शोर-ए-आलम

Sujit Kumar

आगाज़ ए आलम #Shayari

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तकलीफ इस बात की है अये जिंदगी की अपना अब कोई नही
और सुकून इस बात का 
अब टूटने की भी कोई वजह नही आगाज़ ए आलम

Ramji

आलम ए मदहोशी

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 आलम ए मदहोशी

chahat

नफरत ए आलम मोहब्बत ए जीवन #शायरी

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नफरत को प्यार में कैस बदले

नफरत को प्यार में बदलना आसान नहीं।
पर जो अपनी इंसानियत खो बैठे
वो इंसान नही।।
मुश्किल है,
किसी के दिल में जगह बनाना।
आसान है,
किसी की नजरों से गिर जाना।।
भले रिश्ते बिगड़ जाए आपस में ।
पर शब्द बोलना संभालके।।
एक गुंजाइश जरूर रखना,एक दायरा रखना।
अपनी जिंदगी में,रिश्ते संभालकर रखना।
एक बार रूठ जाए कोई गर ए दोस्त।
उसको मनाने के लिए,
खुद को उठाए रखना।।
दिल में एक तस्वीर,
 मोहब्बत की सदा बसाए रखना।
नफरतों के बीज में,
पानी जरा कम रखना।
प्यार का एक पेड़,
दिल में समाए रखना।।
सोई हुई आंखों में भी 
ख्वाब जगाए रखना।।
अपने होठों पर सदा,
एक मुस्कान बनाए रखना।
दिल के आंगन में,
एक फूल क्षमा भाव का खिलाए रखना।।
ईश्वर भी तुझ पर नाज करेगा,
बस तुम दिल अपना स्वर्णमय बनाए रखना।।

©chahat नफरत ए आलम
मोहब्बत ए जीवन

Ummed singh

#जश्न-ए-हिज़्र #आलम-ए-यायावर

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आज तेरे शहर की सरहद से गुजरा हूं मैं।
आज अपने सब़र की हद से गुजरा हूं मैं।।
— % & #जश्न-ए-हिज़्र
#आलम-ए-यायावर

Md Khan Pathan

शायरी# शाह ए आलम

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दर ए इश्क में आकर क्यू रो रहा है ए दिल
ये वो मकाम है जहा दर्दों गम की कोई जगह नहीं
टूट चुका था मैं बिखर चुका था मैं कोई राह न थी मेरे सामने
फिर तेरे दर का ख्याल आया मेरी मुसीबते तेरे रहम ओ करम से बड़ी नहीं
या शाह ए आलम सरकार तेरे रोजे तेरे दर तेरे दीवारों को आंखो में सजा ए जाता हूं
या खुदा सरे महसर तक मेरी इन आंखो को सलामत रखना 🙏🏾🙏🏾🌹🌹🌹❤️❤️

©Md Khan Pathan शायरी# शाह ए आलम

Sagar Rahgir

आलम ए हिज्र #PoeticAntakshri

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