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New की दुपहरी में Quotes, Status, Photo, Video

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Vandana

दिन की दुपहरी में,आधी नींद के झोंकों,में लिख दिया कुछ भी,, कलम कागज और चश्मे को देखकर जो भी विचार आए बस बना दी कुछ पंक्तियां,,, #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #collabwithme #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATblankbg230

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एक उम्र के बाद जाने क्यों उसका ख्याल 
आया,कैसी होगी वो,हाल उसका याद, 
आया,क्या फुर्सत के पलों में याद उसको 
आती होगी,या उसके जेहन में कभी जिक्र 
मेरा होता होगा,काली जुल्फे सुनहरी हो गई 
होंगी,चेहरा मासूमियत से गंभीर हो गया 
होगा,वक्त की लकीरें झलक रही होंगी
चेहरे की सिलवटों से,जाने कितने रिश्तों के 
बंधन में बंधी होगी वो,क्या वो वैसी होगी 
जैसा मैंने सोचा था,,,

 दिन की दुपहरी में,आधी नींद के झोंकों,में लिख दिया कुछ भी,,
कलम कागज और चश्मे को देखकर जो भी विचार आए
बस बना दी कुछ पंक्तियां,,,

ashish gupta

लव पर सजा कर जरा सी हंसी तेरे नाम कर दी हमने सारी खुशी तू माने न माने मगर है सच यही जिंदगी तेरे लिए, हमने किया ही क्या है जेठ की दुपहरी में #Poetry

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mute video

Anita Saini

वो बरगद जमती थी यारों की महफ़िल! जेठ की दुपहरी में, सुलझा लेते थे वो झगड़े जो दायर होते थे अपनी कचहरी में। वो ताश के पत्ते #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #ख़ुशियोंकीतलाश #KKC544

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आज भी याद है "वो बरगद"
जमती थी यारों की
महफ़िल!
जेठ की दुपहरी में,
सुलझा लेते थे वो झगड़े
जो दायर होते थे
अपनी कचहरी में।
वो ताश के पत्ते
वो उर्दू,
मजलिस पर
आपकी फ़रमाइश
पर बजते फिल्मी गीत!
भुलाए नहीं भूलते
बरगद पर चढ़ना नँगें पाँव !
Ac को मात देती,
उसकी शीतल छाँव।
साथ में तालाब किनारा
एक और पसंदीदा हमारा।
गुम हो गई हैं जो
अतीत के गर्त में
तलाश है उन खुशियों की! वो बरगद 
जमती थी यारों की
महफ़िल!
जेठ की दुपहरी में,
सुलझा लेते थे वो झगड़े
जो दायर होते थे
अपनी कचहरी में।
वो ताश के पत्ते

sonu kishor

अब कठिन हो गया है लड़कियों को, सुनसान रास्ते के, बीच से गुजरना जेठ की दुपहरी में यात्रा लौटते किसी पेड़ के नीचे खड़े हो सुस्ताना जाड़े #Hindi #girls #sister #kavita #कविता #savelife #Stoprape #savegirl

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अब कठिन हो गया है
लड़कियों को!

सुनसान रास्तों के

बीच से गुजरना।

(अनुशीर्षक में पढ़े)

©Sonu yadav अब कठिन हो गया है 
लड़कियों को,
सुनसान रास्ते के,
 बीच से गुजरना
 जेठ की दुपहरी में यात्रा लौटते
 किसी पेड़ के नीचे खड़े हो सुस्ताना
 जाड़े

Abhijeet

आइये घुमा रहा हूँ आपको शहर और गाँव में। फर्क है सिर्फ इतना, जैसे दोपहर और छावं में। है छटा बिखरी हुई गाँव का, सब अनमोल है। शहर का तो कुछ #Poetry

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आइये घुमा रहा हूँ आपको  शहर और गाँव में।
फर्क है सिर्फ इतना, जैसे दोपहर और छावं में।

है छटा बिखरी हुई  गाँव का,  सब अनमोल है।
शहर का तो कुछ

Mahfuz nisar

मज़दूर दिवस चौड़े पंजों वाला, मजबूत पिंडलियों वाला, बग़ैर जूतों का पाँव, मजबूत कंधे पर गमछी, जो वक़्त बेवक़्त, बारिश और धूप में छाता, #poem

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मज़दूर दिवस

चौड़े पंजों वाला,
मजबूत पिंडलियों वाला,
बग़ैर जूतों का पाँव, 
मजबूत कंधे पर गमछी,
जो वक़्त बेवक़्त, 
बारिश और धूप में छाता, 
काम के समय पसीने पोछने में, 
थक कर
बैठ कर भोजन करने में,
जेठ की दुपहरी में इस पर लेट कर आराम करने में,
तरह तरह से काम आती है, 
चेहरे पर छितरायी  संघर्ष की पीड़ा को अन्वरत मुस्कान से छुपाये, 
काम की तलाश में हर दिन किसी चौराहे पर खड़ा कर देती है ज़िंदगी, 
दूसरों के काम पूरी लगन से करना,
कुछ मीठी शाबाशी तो कुछ तीखे बोल सुनना,
कभी किसी घर से पेट भर भोजन मिलना,
कभी सत्तू तो कभी कपड़े में लपेटे कुछ रोटियों को  चुपचाप खा कर काम में दुबारा लग जाना,
शाम ढलने पर अपने मेहनताने का जोड़-तोड़ करते हुए साइकिल पर गाने गुनगुनाते हुए चलते चले जाना,
कुछ  एक-आध किलो भर चावल, शेर भर आटा, कुछ दाल,सौ ग्राम तेल, और आध किलो आलू,परिवार के पेट भरने का सामान जुटाते समय उसके आँखों के तेज़ ऐसे होते हैं,
जैसे तेज़ हमारे देश के नेताओं की आँखों में शपथ ग्रहण करते समय होती है।
लेकिन दोनों तेज़ के भीतर एक गहरी खाई जितनी दूरी है।
बहुत प्रेम है इनके मेहनतकश हृदय में,
नहीं है इनके घर पर मजबूत छत और प्रयाप्त बिस्तर,
फिर भी इनकी नींद बहुत ईमानदार है,
ठीक इनके कर्म की भाँति,
ससमय आ जाती है।
और फिर अगली सुबह अगले काम की तलाश में ये घर से निकल पड़ते हैं।
ये मज़दूर हैं,
जो संघर्ष के बावजूद मजबूर नहीं, 
मजबूत बने रहते हैं। 

अपील:
इनके हाथों से चल रहा दुनिया का काम,
मनुष्य बनो करो इनका सम्मान,
कितनी योजना और लाओगे,
जो है उससे ही कर दो इनका कल्याण। 

मज़दूर दिवस,,,,,। 

✍महफूज़ मज़दूर दिवस

चौड़े पंजों वाला,
मजबूत पिंडलियों वाला,
बग़ैर जूतों का पाँव, 
मजबूत कंधे पर गमछी,
जो वक़्त बेवक़्त, 
बारिश और धूप में छाता,

Vandana

गुरु जी ने 8 मार्च को अपना ब्लड डोनेशन का महान कार्य शुरू किया था,,, 35 साल तक उन्होंने अपना कीमती समय और तन में बह रहा कीमती लहू का एक-एक #testimonial #Kulbhushan

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गुरु जी ने 8 मार्च को अपना ब्लड डोनेशन का
महान कार्य शुरू किया था,,, गुरु जी ने 8 मार्च को अपना ब्लड डोनेशन का
महान कार्य शुरू किया था,,,
35 साल तक उन्होंने अपना कीमती समय और 
तन में बह रहा कीमती लहू का एक-एक

AB

प्रिय दिव्यमन ( दिव्या रानी पांडेय 'दिव्य' ) जेठ की दुपहरी में किसी का सुकूँ हो तुम अपने माता - पिता की दुआओं का आगा

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©alps प्रिय दिव्यमन  ( दिव्या रानी पांडेय 'दिव्य' )

               जेठ की दुपहरी में किसी का सुकूँ हो तुम
       अपने माता - पिता की दुआओं का आगा
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