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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White फकत जिनके लिए मनचला है इश्क,इस मानिंद इक *जलजला है इश्क//१ जो कहते है,सुकून ए मजा है इश्क, हमसे पूछिए*हिज्र में *कजा है इश्क//२ दिल्लगी वालों से बहुत जला है इश्क, सबने कहा बुरा नही भला है इश्क//३ किसी ने इजहारे इश्क़ में बढ़ाके दस्त,थमा दी बेक़रारी दम निकलने तक"शमा"के लिए*वलवला है इश्क//४ #shamawritesBebaak #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #nightthoughts फकत जिनके लिए मनचला है इश्क,इस मानिंद इक *जलजला है इश्क//१ *विनाश जो कहते है,सुकून ए मजा है इश्क,हमसे पूछिए*हिज्र में *कजा ह
Shaarang Deepak
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा । देवो के वो देवा बैठी सोचूँ द्वारे । प्राणों को मैं हारे ।। ३ राधा-राधा बोलूँ । मस्ती में मैं डोलूँ ।। माई देखो झोली । मीठी दे दो बोली ।। ०३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २ जीवन की बस इतनी चाह । पिता दिखाए हमको राह ।। पाकर गुरुवर से मैं ज्ञान । बन जाऊँ मैं भी इंसान ।। ३ जीवन साथी है अनमोल । मीठे प्यारे उसके बोल ।। घर उसके ले गया बरात । पूर्ण किया फिर फेरे सात ।। ४ मानूँ उसकी सारी बात । कभी न मिलता मुझको घात ।। कहती दुनिया मुझे गुलाम । लेकिन जग में होता नाम ।। ०३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
जालिम हमें हरगिज तन्हा ना समझना,हमारी हिफाजत करने वाला वो रहमान है अभी//१ आज भी उस यकता की इबादत में खड़े जिन्नो ,बशर,हूरों,मलाईक के वो कयाम है अभी//२ मां ने बचपन में मुझे जो कराई थी हिफ्ज, मुकद्दस कुरानी आयते वो मुकम्मल याद है अभी//३ मैं मां की पेशानी के बोसे की लज़्ज़त उसे क्या बताऊँ,जो इस उम्दा नेमत से अनजान है अभी//४ फिजूल है तेरा खालिक के बाबत सोचना,के खालिके कायनात का ज़ालिम पर जलाल है अभी//५ अब मोहब्बत की तरफ़ लौट आओ,के तुम्हारी नफरत को मिटाने वाला वो मेहरबान है अभी//६ "शमा" पर कहरे तशदूद की सोचना भी मत,तेरी हुकूमत को पलट देने वाला वो सुलतान है अभी//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #aaina जालिम हमें हरगिज तन्हा ना समझना,हमारी हिफाजत करने वाला वो रहमान है अभी//१ आज भी उस यकता की इबादत में खड़े जिन्नो,बशर, हूरों,मलाईक के
Vijay Sonwane
रात भर इक चांद साया रहा, उसका खुमार ज़हन मे छाया रहा। किसी बला से लिपटे थे हम रात भर, सुबह होते हि उसे तवायफ़ बताया गया। ©Vijay Sonwane १ रात का चांद
Shaarang Deepak
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. ग़ज़ल :- हर तरफ़ है बहार होली में । दिल को आया करार होली में ।।१ देखकर जो बदलते थे रस्ता । वो भी आयें हैं द्वार होली में ।।२ इस तरह अब वफ़ा करो हमसे । हो जाऊँ मैं बीमार होली में ।।३ आप ऐसे अगर हमें चाहें । जान भी दूँगा वार होली में ।४ दुश्मनी भूल अब सभी जाए । रब से करता पुकार होली में ।।५ पी लिया भंग आज भी जिसने । बरसा उनपे ही प्यार होली में ।।६ हाथ में हाथ तुम प्रखर देना । तो करूँ इंतजार होली में ।।७ २५/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- हर तरफ़ है बहार होली में । दिल को आया करार होली में ।।१ देखकर जो बदलते थे रस्ता ।
Krishna G
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Meri Mati Mera Desh बाद मुद्दत के आ गए एक किस्से में, ना मिला कुछ भी जिन्हे बाप के विरसे में//१ छा गया सन्नाटा बंटवारे के किस्से में, जब कहा मां ने मैं आई किसके हिस्से में//२ मैं इस भरम में था केनेक है वालिद,माजिद, सन्न तो तब हुआ जब मैने अदल ना देखा//३ मारके हक भाई का जिस भाई ने विरसा रखा, उसके जैसा न"शमा" ने कमीना देखा//४ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #MeriMatiMeraDesh बाद मुद्दत के आ गए एक किस्से में, ना मिला कुछ भी जिन्हे बाप के*विरसे में//१ *विरसत छा गया सन्नाटा बंटवारे के किस्से में,जब