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Stories related to our casuarina tree poem summary

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Hedayet Rahi

summary and analysis of the poem..

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The language I speak,
Becomes mine,its distortions,its queernesses
All mine,mine alone.
It is half English,half Indian,funny perhaps,but it is honest,
It is as human as I am human,don't
you see? summary and analysis of the poem..

Ramesh Patil

#tree# Poem

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 #Tree# Poem

TR Sriram

Sri Harsha Reddy

#moral #Summary

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Every Person In Your Life Teaches You a Lesson.
It's Better to Remember the Moral than the Summary. #moral
#Summary

Nav jyoti eyecare optical

tree is our life #Motivational

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tree is our life

©Nav jyoti eyecare optical tree is our life

durga rai

Poem - The Old Tree #nojotovideo

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RaJ

poem on tree 3

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एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।

वर्षा ऋतु आई जब

उसपे पानी बरस गया।

पानी पाकर अंकुरित हुआ,

धीरे धीरे जड़ें बढ़ाई

धीरे धीरे चढ़ी ऊंचाई.

फिर  नन्हा हरा पौधा

बनके धरती पे उभर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


वायुमंडल से हवाएं सोखकर,

मिट्टी से थोड़ी नमी चुराकर।

धीरे धीरे बढ़ता रहा

अपना पोषण करता रहा।

कभी आई तेज हवाएं

उसके उसको बहुत झकझोरा,

उसके आसमान छूने की उम्मीदों को

आंधी पानी ने भी रोका।

मौसम का मार सहता गया,

और  मजबूत बनता गया।

कभी अनचाहे में इंसानों ने भी क्षति किया

कभी मवेशी उसके पत्ते खाते रहें।

सब कुछ झेलकर वो एक दिन 

एक विशाल पेड़ बन गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


आज वह इंसानों को लकड़ियां और फल देता है,

आज वह मवेशियों को छाया और चिड़ियों को घर देता है।

आज वह इस वातावरण का हिस्सा बन गया है,

आज वह सबके लिए अच्छा बन गया है।

कठिनाइयों में डटे रहने से जीवन 

        उसका संवर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


सुनो भाईयो!

सहते रहना,डटे रहना और आगे बढ़ते रहना 

सफलता का मंत्र यही है और ऊंचे चढ़ते रहना।

आज तुम छोटे हो तो नजर नहीं आते हो,

कल जब बड़े हो जाओगे,हर कोई नजर उठा के देखेगा,

जब काम आने लगेगा दूसरों के

तब तुम्हारी पूछ बढ़ेगी ,हर कोई सर आंखों पे रखेगा।
www.aapkisafalta.com









जब  एक अवचेतन बीज अस्तित्व पा सकता है,

तुम्हारे पास तो चेतना है,सोचो तुम क्या कर सकते हो,

अगर तुम्हे इंतजार है  कोई मसीहा आएगा,

जो तुम्हारे अंदर बैठा है,क्यों उसे तुम बाहर ढूंढ़ते हो?

एक एक सेकंड,एक एक मिनट कर के

कितना साल गुजर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया। poem on tree #3

RaJ

poem on tree 3

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एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।

वर्षा ऋतु आई जब

उसपे पानी बरस गया।

पानी पाकर अंकुरित हुआ,

धीरे धीरे जड़ें बढ़ाई

धीरे धीरे चढ़ी ऊंचाई.

फिर  नन्हा हरा पौधा

बनके धरती पे उभर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


वायुमंडल से हवाएं सोखकर,

मिट्टी से थोड़ी नमी चुराकर।

धीरे धीरे बढ़ता रहा

अपना पोषण करता रहा।

कभी आई तेज हवाएं

उसके उसको बहुत झकझोरा,

उसके आसमान छूने की उम्मीदों को

आंधी पानी ने भी रोका।

मौसम का मार सहता गया,

और  मजबूत बनता गया।

कभी अनचाहे में इंसानों ने भी क्षति किया

कभी मवेशी उसके पत्ते खाते रहें।

सब कुछ झेलकर वो एक दिन 

एक विशाल पेड़ बन गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


आज वह इंसानों को लकड़ियां और फल देता है,

आज वह मवेशियों को छाया और चिड़ियों को घर देता है।

आज वह इस वातावरण का हिस्सा बन गया है,

आज वह सबके लिए अच्छा बन गया है।

कठिनाइयों में डटे रहने से जीवन 

        उसका संवर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।

www aapkisafalta.com












सुनो भाईयो!

सहते रहना,डटे रहना और आगे बढ़ते रहना 

सफलता का मंत्र यही है और ऊंचे चढ़ते रहना।

आज तुम छोटे हो तो नजर नहीं आते हो,

कल जब बड़े हो जाओगे,हर कोई नजर उठा के देखेगा,

जब काम आने लगेगा दूसरों के

तब तुम्हारी पूछ बढ़ेगी ,हर कोई सर आंखों पे रखेगा।


जब  एक अवचेतन बीज अस्तित्व पा सकता है,

तुम्हारे पास तो चेतना है,सोचो तुम क्या कर सकते हो,

अगर तुम्हे इंतजार है  कोई मसीहा आएगा,

जो तुम्हारे अंदर बैठा है,क्यों उसे तुम बाहर ढूंढ़ते हो?

एक एक सेकंड,एक एक मिनट कर के

कितना साल गुजर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया। poem on tree #3

RaJ

poem on tree 1

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एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।

वर्षा ऋतु आई जब

उसपे पानी बरस गया।

पानी पाकर अंकुरित हुआ,

धीरे धीरे जड़ें बढ़ाई

धीरे धीरे चढ़ी ऊंचाई.

फिर  नन्हा हरा पौधा

बनके धरती पे उभर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।



















वायुमंडल से हवाएं सोखकर,

मिट्टी से थोड़ी नमी चुराकर।

धीरे धीरे बढ़ता रहा

अपना पोषण करता रहा।

कभी आई तेज हवाएं

उसके उसको बहुत झकझोरा,

उसके आसमान छूने की उम्मीदों को

आंधी पानी ने भी रोका।

मौसम का मार सहता गया,

और  मजबूत बनता गया।

कभी अनचाहे में इंसानों ने भी क्षति किया

कभी मवेशी उसके पत्ते खाते रहें।

सब कुछ झेलकर वो एक दिन 

एक विशाल पेड़ बन गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


आज वह इंसानों को लकड़ियां और फल देता है,

आज वह मवेशियों को छाया और चिड़ियों को घर देता है।

आज वह इस वातावरण का हिस्सा बन गया है,

आज वह सबके लिए अच्छा बन गया है।

कठिनाइयों में डटे रहने से जीवन 

        उसका संवर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


सुनो भाईयो!

सहते रहना,डटे रहना और आगे बढ़ते रहना 

सफलता का मंत्र यही है और ऊंचे चढ़ते रहना।

आज तुम छोटे हो तो नजर नहीं आते हो,

कल जब बड़े हो जाओगे,हर कोई नजर उठा के देखेगा,

जब काम आने लगेगा दूसरों के

तब तुम्हारी पूछ बढ़ेगी ,हर कोई सर आंखों पे रखेगा।


जब  एक अवचेतन बीज अस्तित्व पा सकता है,

तुम्हारे पास तो चेतना है,सोचो तुम क्या कर सकते हो,

अगर तुम्हे इंतजार है  कोई मसीहा आएगा,

जो तुम्हारे अंदर बैठा है,क्यों उसे तुम बाहर ढूंढ़ते हो?

एक एक सेकंड,एक एक मिनट कर के

कितना साल गुजर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया। poem on tree #1

RaJ

poem on tree 5

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एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।

वर्षा ऋतु आई जब

उसपे पानी बरस गया।

पानी पाकर अंकुरित हुआ,

धीरे धीरे जड़ें बढ़ाई

धीरे धीरे चढ़ी ऊंचाई.

फिर  नन्हा हरा पौधा

बनके धरती पे उभर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


वायुमंडल से हवाएं सोखकर,

मिट्टी से थोड़ी नमी चुराकर।

धीरे धीरे बढ़ता रहा

अपना पोषण करता रहा।

कभी आई तेज हवाएं

उसके उसको बहुत झकझोरा,

उसके आसमान छूने की उम्मीदों को

आंधी पानी ने भी रोका।

मौसम का मार सहता गया,

और  मजबूत बनता गया।

कभी अनचाहे में इंसानों ने भी क्षति किया

कभी मवेशी उसके पत्ते खाते रहें।

सब कुछ झेलकर वो एक दिन 

एक विशाल पेड़ बन गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


आज वह इंसानों को लकड़ियां और फल देता है,

आज वह मवेशियों को छाया और चिड़ियों को घर देता है।

आज वह इस वातावरण का हिस्सा बन गया है,

आज वह सबके लिए अच्छा बन गया है।

कठिनाइयों में डटे रहने से जीवन 

        उसका संवर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


सुनो भाईयो!

सहते रहना,डटे रहना और आगे बढ़ते रहना 

सफलता का मंत्र यही है और ऊंचे चढ़ते रहना।

आज तुम छोटे हो तो नजर नहीं आते हो,

कल जब बड़े हो जाओगे,हर कोई नजर उठा के देखेगा,

जब काम आने लगेगा दूसरों के

तब तुम्हारी पूछ बढ़ेगी ,हर कोई सर आंखों पे रखेगा।










जब  एक अवचेतन बीज अस्तित्व पा सकता है,

तुम्हारे पास तो चेतना है,सोचो तुम क्या कर सकते हो,

अगर तुम्हे इंतजार है  कोई मसीहा आएगा,

जो तुम्हारे अंदर बैठा है,क्यों उसे 

तुम बाहर ढूंढ़ते हो?

एक एक सेकंड,एक एक मिनट कर के

कितना साल गुजर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।

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