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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White शिर्क किया न कभी रब्बे जुलजलाल से,इ सलिए पशेमा ना हुई महशर ए अंजाम से//१ मैं यक़ीं मुनाफिको पर कैसे करूं,जो करे वादा खिलाफी और मुकर जाएं खुद के ही कलाम से//२ माजरा बेकसो_बेबसो का हमसे सुनो जो रह गए तिश्ना लब नहर ए फरात से//३ वो मुजाहिद क्यूं डरे भला किसी जल्लाद से, उम्र तमाम हो जिसकी जिहाद ए मकाम से//४ गर हो जाए बंटवारा रिश्तों का जहां,तो फिर नहीं पुकारते हमशीरी मुहब्बत ए कलाम से//५ चश्म में अश्क लिये और तिश्न लब लिए,क्यूं दिल मिलाएं हम,ऐसे*हाकीम ए हुक्काम से//६ माह ओ साल रदीफ और काफिया,लिख रही हूंअपने सुखन मे हालेजार*अय्याम से//७ बंद करे जो दर दरीचे आपकी*इखलास के, होते है कुछ*बाब हासिद ए हिसाब से//८ कभी चलती सांसों का हाल तो पूछा नहीं,अब क्यूं लेते हो पल्ले शमा*क मय्यत के *तआम से//९ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #SAD शिर्क किया न कभी रब्बे जुलजलाल से,इसलिए *पशेमा ना हुई महशर ए अंजाम से//१* लज्जित मैं यक़ीं*मुनाफिको पर कैसे करूं,जो करे वादा खिलाफी और
Lotus Mali
किसी ने आकर दिल पर दस्तक दी या हमने गलती से दरवाजा ही खुला रखा था... जिस डर से आज तक खिड़की भी ना खोली थी कभी पर उस दिल में हमारे कोई अब घर करके बस गया....! https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali किसी ने आकर दिल पर दस्तक दी या हमने गलती से दरवाजा ही खुला रखा था... जिस डर से आज तक खिड़की भी ना खोली थी कभी पर उस दिल में हमारे कोई अब
Parul (kiran)Yadav
संगठन में बहुत power होती है आप सभी एक होकर रहे तो कोई आपको तोड़ नही सकता ,... ©Parul (kiran)Yadav #unity_is_strength #एकता #power एकता में वो ताकत है जो आपको strong बनाती है , आपकी समस्या का समाधान बनती है , आप सभी हर जगह एक होकर रहि
Pro ARUN KUMAR
हजारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब, इसी का नाम है जिंदगी चलते रहिये जनाब। ©Pro ARUN KUMAR ♥️♥️♥️♥️#like #₹15000 5000000 हजारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब, इसी का नाम है जिंदगी चलते रहिये जनाब।
kaviraj Rajasthani
Rohit Lala
एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया. वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी. निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी. इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है. रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया. लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए. वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था. ©Rohit Lala एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे
Ganesh joshi
जिस दरवाजे पर कदर न हो वह दरवाजा बार- बार खटकाना नहीं चाहिये ©Ganesh joshi #lakeview जिस दरवाजे पर कदर न हो वह दरवाजा बार- बार खटकाना नहीं चाहिये #SAD #story #status #Love
Ganesh Joshi
जिस दरवाजे पर कदर न हो वह दरवाजा बार- बार खटकाना नहीं चाहिये ©Ganesh Joshi #aaina जिस दरवाजे पर कदर न हो वह दरवाजा बार- बार खटकाना नहीं चाहिये #SAD #suvichar #story #status
दीपा साहू "प्रकृति"
"रसोई" ये रसोई का दरवाजा , दिल नहीं करता अंदर जाने को। ये बर्तन ,ये दीवारें,पानी से भरे सुराहें। रोज की इनसे लड़ाई ,आँखें छलछलाई। कभी दूध उबलता आंच बुझती। चाय की एक कप न एक चुस्की। आवाज़ इधर से आती है, आवाज़ उधर से आती है। मेरा टॉवल,मेरी चाय,मेरा नास्ता, मेरा टिफिन,दी बना दो मेरा पास्ता। दो हाथ ही होते हैं,उन्हें कहां रोके हैं। तन थक गया मन थक गया पर खुद को कहाँ टोके हैं। एक पल इनसे चुराने को, खुद को खुद से मिलाने को, एक दिन का काम छुड़ाने को, अस्त व्यस्त हो जाती है घर की धरती भी रो जाती है। एक लम्हा जो नज़र न आए, बस पुकार ही पुकार हो जाती है, खुद के लिए कोई वक़्त ही नहीं, रसोई की ही बस हो जाती है। खुद के लिए क्या जी पाती है।। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakriti_ #deepliner #poem #Poetry #story #followers #Nozoto "रसोई" रसोई का दरवाजा , दिल नहीं करता अंदर जाने को। ये बर्तन ,ये दीवारें,पानी
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कुण्डलिया :- होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ । सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।। छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित । हो खुशियां जब संग , तो जीवन हो प्रफुल्लित ।। ले लो हाथ गुलाल , आयी बच्चों की टोली । भर पिचकारी मार , कहो सब हैप्पी होली ।। रंगों में ही ढूढ़़ लो , तुम जीवन के रंग । आ जायेगा आपको , सुन जीने का ढ़ंग ।। सुन जीने का ढंग , हमें त्योहार सिखाते । होली उनमें एक , मिलन की राह बनाते ।। आज न कोई गैर , सीख लो तुम बेढंगो । सबको साथी मान , आज तुम जी भर रंगो ।। फीके सारे रंग हैं , इस होली के ग्वाल । दूर बहुत साजन बसे , कैसे करूँ धमाल ।। कैसे करूँ धमाल , प्रीति बिन फीकी होली । होते साजन पास , करते हंसी ठिठोली ।। सर्दी से बेहाल , मारता लल्ला छीके । बैठी रहूँ उदास , रंग होली के फीके ।। २२/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ । सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।। छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित ।