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नवनीत ठाकुर
न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत काफी है, आराम नहीं, बस राहत काफी है। सुकून की तलाश में भटक रहा हूँ, खाली पेट को बस बरकत काफी है। न शानो-शौकत, न चाहत बड़ी, बस इंसान की भूख मिट जाए। जिंदगी की असली हकीकत यही, कि पेट भरे, तो सुकून आ जाए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का
#नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का
read moreSumitGaurav2005
यहीं हमारे देश की, हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है... कुछ महिलाएं अब अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने लगी है, जो यातनाएं पहले उन्हें मिलती थी अब वह पुरुष को देने लगी है! 💔💔💔✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'💔💔💔💔 ©SumitGaurav2005 यहीं हमारे देश की, हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है... कुछ महिलाएं अब अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने लगी है, जो यातनाएं पहले उन्हें मिलती थी
यहीं हमारे देश की, हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है... कुछ महिलाएं अब अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने लगी है, जो यातनाएं पहले उन्हें मिलती थी
read moreazad satyam
खलने लगी है मौजूदगी तेरी, ऐ पंछी दिवाने से, बैठा करता है तू जहां, वो शाखें काटी जाने लगी...✍🏻 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa ©azad satyam खलने लगी है मौजूदगी तेरी, ऐ पंछी दिवाने से, बैठा करता है तू जहां, वो शाखें काटी जाने लगी...✍🏻 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa hear
खलने लगी है मौजूदगी तेरी, ऐ पंछी दिवाने से, बैठा करता है तू जहां, वो शाखें काटी जाने लगी...✍🏻 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa hear
read moreShivkumar barman
!! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लगी है दिन छोटे हो जाते हैं , पर दिल बड़े होते हैं इस महीने में जनवरी की शुरूआत में ख़ुद से किए गए वादों का अब हिसाब किताब होता है .. .. जो पूरे हुए उन पर गुमान होता है , और जो नहीं हो पाये उनको कुछ बदलाव के साथ अगले साल फिर डायरी में लिख लिया जाता है !! पूरे साल की रील मानो सामने घूमती है और कभी थोड़ी सी मुस्कुराहट और कभी थोड़ी उदासी ले आती है चेहरे पर। अच्छा बुरा जैसा भी समय निकला पर उस की रेत बजरी समेट कर उम्मीद के सीमेंट में मिला कर फिर एक नया मकान बनाना है .. अगले साल का यूँ तो जनवरी और दिसंबर में एक दिन की ही दूरी है पर फ़ासला एक साल का। ऐसा लगता है जैसे जनवरी धरती है और दिसंबर है अंबर, और क्षितिज पर ये दूर से एक रात के लिए मिलते दिखते हैं। 31 तारीख़ को ….तुम छोड़ जाओगे दिसंबर की तरह और हम बदल जायेगें जनवरी की तरह...। ©Shivkumar barman !! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के #तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लग
!! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लग
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White तेरे ओतर् मे ©बेजुबान शायर shivkumar प्यार में तेरे बनने लगी हु गिरने लगी हु संभलने लगी हु तुझे पाना क्या खुद को खोना है चाहत में तेरी मैं दुनिया भुलाने लगीं हूं ऐ जाना बता
प्यार में तेरे बनने लगी हु गिरने लगी हु संभलने लगी हु तुझे पाना क्या खुद को खोना है चाहत में तेरी मैं दुनिया भुलाने लगीं हूं ऐ जाना बता
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी दिन के भी उजाले, कम है तरक्की के लिये नींद और चैन अपने गवाते गवाते रातो को भी बाजार रोशन होने लगे है जरूरतों जो कभी कम ना हुयी जीवन रोज खपाते खपाते दौड़ और होड़ की लगी है बाजी मौत के आगोश में जाते जाते प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #good_night दौड़ और होड़ की लगी है बाजी
#good_night दौड़ और होड़ की लगी है बाजी
read moreAnjali Singhal
"तुम्हारी अनकही बातों से बेचैन हैं साँसे हमारी, दिल को नहीं भाती है ज़रा भी ख़ामोशी तुम्हारी। देख लो अगर ध्यान से हमें तो जानोगे कितनी चाहत
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White मेहंदी लगी है हाथों पर, माथे पर सजाया है पिया के नाम का सिंदूर हाथों में पहनी हैं प्यार की चूड़ियां लाल जोड़े ने भी निखारा है नूर सात जन्मों तक रहेंगे साथ यही वादा निभाएंगे हमेशा एक साथ हर साल मनाएंगे करवा चौथ का त्योहार खास ©बेजुबान शायर shivkumar #karwachouth #Karwachauth #मेहंदी लगी है हाथों पर, माथे पर सजाया है #पिया के नाम का #सिंदूर हाथों में पहनी हैं प्यार की #चूड़ियां ला
#karwachouth #Karwachauth #मेहंदी लगी है हाथों पर, माथे पर सजाया है #पिया के नाम का #सिंदूर हाथों में पहनी हैं प्यार की #चूड़ियां ला
read moreबेजुबान शायर shivkumar
सब रंग उतर गए है ज़िंदगी से पहले जैसी अब कोई बात नहीं लगती। ज़िंदगी है तो साथ मेरे मगर अब ज़िंदगी साथ नहीं लगती। ना जाने किसकी बद्दुआ लगी है की कुछ भी अच्छा नहीं लगता। किसी भी शख़्स को मान लूँ अपना मगर वो शख़्स अपना नहीं लगता। क्या ही रौनक़ क्या ही मीठा सब कुछ तो फीका फीका है। ज़िंदगी ने तुमसे भी सींचा है ये सब या बस मेरा ही भाग्य अनूठा है। ©बेजुबान शायर shivkumar सब रंग उतर गए है #ज़िंदगी से पहले जैसी अब कोई बात नहीं लगती। ज़िंदगी है तो साथ मेरे मगर अब ज़िंदगी साथ नहीं लगती। ना जाने किसकी बद्दुआ ल
सब रंग उतर गए है ज़िंदगी से पहले जैसी अब कोई बात नहीं लगती। ज़िंदगी है तो साथ मेरे मगर अब ज़िंदगी साथ नहीं लगती। ना जाने किसकी बद्दुआ ल
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