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Kunwar Himmat Singh Rathore
Ankit Shiva
ये कह रहा है वोटों की गिनती करवानी है या सरकार बनाने की घोषणा कर दूँ 😆
ittu Sa
इत्तु सा_-` किस्मत मेरी बिगड़ी पड़ी,समय की टूटी पड़ी सुई । हाथों की लकीरें काली पड़ी,ज़िंदगी मेरी उलझी पड़ी। बस ..बहुत हुआ...अब सब कुछ बदलना हैं, जिंदगी को एक नये सिरे से शुरू करना हैं। ठोकर खिलाने वालों को ठोकर मारनी हैं, बस अब ख़ुद को ख़ुद से पहचान करवानी हैं। ©@j_$yle #NojotoQuote इत्तु सा पैग़ाम जिंदगी की उलझन-सुलझन के नाम। #nojoto #thought #line #motivation #life #hindi किस्मत मेरी बिगड़ी पड़ी,समय की टूटी पड़ी सुई । हा
lalitha sai
हे राधे..🌺 मैं तो तुझ में ही हूँ.. तुम्हारी राग के भाव बनकर.. तुम्हारे हर पल के सुकून के पल बनकर, हे राधे..🌺 मैं तो तुझ में ही हूँ.. तुम्हारी गीत के ताल बनकर.. तुम्हारे हर वक्त के तुम्हारे साथ बनकर..!! मेरे कान्हा...🌺 तेरे होने का एहसास हर पल मुझे होता हैं,जिससे पल-पल मेरा प्रेम तेरे प्रति बढ़ता जाता हैं, पर इस मन की एक लालसा हैं की कब हों
VAniya writer *
जिंदगी पार करनी है! अमृत पीके तो ,देवगन गए हैं चिरायु नहीं ,हम तो मानव लोग के वासी हैं बदलना पल-पल समाज के ,साथ यही तो दुनियादारी है सुख और दुखों से हटकर, कोशिश जीने की करनी है कभी लगे कारावास, कभी लगे आजादी है मन के बंदी है हम ,मनुष्य स्वार्थी प्राणी हैं कष्टों और संघर्षों से भरी, यहीं जिंदगानी है किसी के खुशी में ,खुश रहना यही कहानी है हर किसी को लक्ष्मी माता ,घर पर बिठानी है बिना मेहनत के, यश की प्राप्ति कैसे करनी है जीवन चक्र की परिक्रमा, यही तो करवानी है जन्म से मृत्यु तक सबको, जिंदगी पार करनी है ©VAniya writer * अमृत पीके तो ,देवगन गए हैं चिरायु नहीं ,हम तो मानव लोग के वासी हैं बदलना पल-पल समाज के ,साथ यही तो दुनियादारी है सुख और दुखों से हटकर,
INDIA CORE NEWS
अपनी कलम से
बापू ने एक सपना था बुना, बिटिया की ब्याह कुछ इस कदर करवानी है, देखते रह जाएं लोग सारे, ऐसी हीं ब्याह रचानी है। मुंशी जी तैयार थे इंतजार में, कि कब वो आएगा, जमीन पर नजर जो टिकी थी उनकी, आखिर कैसे वो हमें लिख जाएगा। कोई रास्ता न था बापू के पास, आखिर मुंशी के पास जाना हीं पड़ा, धीरज बांधे, सहमे हुए बापू को, आखिर में जमीन लिखकर आना हीं पड़ा। चल बेटा, अब तुझे परेशान होने की कोई जरूरत नहीं, ब्याह का सारा खर्च मैं उठाऊंगा, आखिर परी बिटिया मेरी भी तो बिटिया हीं है, उसकी बिदाई अच्छे से कराऊंगा। मुंशी के बोलते हीं, रोम -रोम सिहर उठा था बापू का, सोचा कैसा निर्लज्ज है, अब परी को अपनी बिटिया भी कहने लगा, बापू कुछ बोल नहीं पाया, सिर हिलाकर घर को चला आया। अब मानों सुरु होने लगीं थीं तैयारी ब्याह की, मुंशी की जो मेहरबानी थी, न्योता भेजवाने लगें थे बापू अब, सारे कामों को अच्छे से निभानी थी। गांव के पंच को बुलाया गया, सामानों की सूची जो तैयार करवानी थी, सजावट में न रखनी थी कोई कमी, बारातियों का स्वागत भी अच्छे से करानी थी। सारे सूची हो गए थे तैयार, मुंशी जी कमर कस हो गए थे तैयार। शहनाई वालों को बुलवाया, तंबू वालों को बुलवाया, किराया क्या था इनलोगों का, कहीं से था पता करवाया। घर के सजावट को लेकर, था पड़ोस से कुछ सजानेवाले आदमी को बुलवाया, था क्या? आखिर में सबको भाड़े पर ब्याह के खातिर था बुलवाया। समान की खरीददारी भी सुरु सी हो गई, अब लग रहा था मानों ब्याह की तैयारी भी शुरू सी हो गई। मेहमानों का आना भी शुरू हो चला, मानों घर में रौनक सा अब छानें लगा। ब्याह के गीत भी घर में थें गूंजने लगें, बुजुर्गो का आना -जाना भी अब लगने लगा। सबकी जान जो बसती थी परी बिटिया में, ब्याह के बहाने हीं सही, फिर से घर परी बिटिया का मुस्कुराने लगा। मेहमानों के भी क्या दिन हुआ करतें थे, न कोई खबर, न हीं कोई फिकर, जिस समारोह में जाया करते थें, उसी में रहते थे बेखबर। बुजुर्गों से मिलना -जुलना, सबकी हाल -खबर लेते रहना, खेत -खलिहान घूमना, साथ हीं हर काम में हाथ बटाना, इनका यहीं सारा काम होता था, पहर -दो -पहर। फिर क्या..... ©dashing raaz भाग -१४ बापू ने एक सपना था बुना, बिटिया की ब्याह कुछ इस कदर करवानी है, देखते रह जाएं लोग सारे, ऐसी हीं ब्याह रचानी है। मुंशी जी तैयार थे इं
Vedantika
बिगुल जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ @क़लम-ए-हयात पहला चरण- (बिगुल) शर्मा जी जैसे ही अपनी कुर्सी पर धमक कर बैठे, वैसे ही उनकी नज़र अपने सामने वाले