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New उहि खोलिमा पानि Quotes, Status, Photo, Video

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Vikki Oo7

पानि😂😂 #कॉमेडी

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Dr. Rahul Karmakar

#काश_कोई_होता (राहुल) Video काश कोई मनाने वाला होता , तोह रुठने का मज़ा कुछ और होता; कुछ और देर रूठ जाते हम्, #Nojotovoice #nojotovideo

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Rk Chhetri

#LOVEGUITAR मे अलग टाइपका इन्सान हु सभिके सात मिल नै सक्ता पानि के तर हर रङ्ग मे घुल नै सक्ता... .....

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💔 © शायर वफ़ादार 💔

दिन ऐसे गुजरता है जैसे किसि तुफ़ान मे कोइ पेड़ खड़ा हो प्यास लगि हो लेकिन पानि मे जहर मिला हो कुछ मुसाफ़िर ऐसे मिलते है जैसे रास्ते में

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आंधी दिन ऐसे गुजरता है 
जैसे किसि आंधि-तुफ़ान मे कोइ पेड़ खड़ा हो 
प्यास लगि हो लेकिन 
पानि मे जहर मिला हो 
कुछ मुसाफ़िर ऐसे मिलते है 
जैसे रास्ते में चलते-चलते कोइ शहर मिला हो 
दिन ऐसे गुजरता है 
 #NojotoQuote दिन ऐसे गुजरता है 
जैसे किसि तुफ़ान मे कोइ पेड़ खड़ा हो 
प्यास लगि हो लेकिन 
पानि मे जहर मिला हो 
कुछ मुसाफ़िर ऐसे मिलते है 
जैसे रास्ते में

💔 © शायर वफ़ादार 💔

कलाकार कभि झूठा ना होता वफ़ादार कभि रुठा ना होता बंजर जमीन पर भि फ़सल उगाइ जा सकती है मेहनत और विश्वास हो गर खुदा पर तो समंदर के पानि से भि #Quotes #Life #microtale

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ज़िंदगी और जंग कलाकार कभि झूठा ना होता 
वफ़ादार कभि रुठा ना होता 
बंजर जमीन पर भि फ़सल उगाइ जा सकती है
मेहनत और विश्वास हो गर खुदा पर तो
समंदर के पानि से भि प्यास बुझाइ जा सकती है ,,
सम्भलकर कदम रखना जरुरि है 
पर गिरकर सम्भलने से एक नई पहचान बनाइ जा सकती है ,,
 #NojotoQuote कलाकार कभि झूठा ना होता 
वफ़ादार कभि रुठा ना होता 
बंजर जमीन पर भि फ़सल उगाइ जा सकती है
मेहनत और विश्वास हो गर खुदा पर तो
समंदर के पानि से भि

Poetry with Avdhesh Kanojia

#जन्माष्टमी #श्रीकृष्ण #कृष्णमेरे #Krishna #poem poetry #lovequote दोहा- श्यामल छबि तन पीत पट, मोर मुकुट प्रभु माथ। युगल चरन

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दोहा- श्यामल छबि तन पीत पट, मोर मुकुट प्रभु माथ।
         युगल चरन में शत नमन, करूँ जगत के नाथ।।

चौपाई- जय गिरिधर जय -जय व्रजनंदन। 
           जोरि पानि हम करते   वंदन।।

तव पद पंकज नावहुँ शीशा 
आरति हरहु मोर जगदीशा।।

परम शक्ति तव राधे रानी। 
वंदहि  देवर्षि: अरु ध्यानी।।

देवराज कर मान नसाई।
अरु बिरंचि अभिमान हटाई।।

पंच शत्रु मोहि घेरे ठाढ़े। 
अवगुन दोष सकल हैं बाढ़े।।

त्राहिमाम प्रभु!शरण तिहारी।
हौं प्रसन्न अब पातकहारी।।

दोहा- जय माधव रणबाँकुरे!, नमन प्रेम अवतार।
     कण कण में छवि आपकी, महिमा अमित अपार।। #जन्माष्टमी #श्रीकृष्ण #कृष्णमेरे #krishna    #poem  #poetry #lovequote 

दोहा- श्यामल छबि तन पीत पट, मोर मुकुट प्रभु माथ।
         युगल चरन

💔 © शायर वफ़ादार 💔

दिन ऐसे गुजरता है जैसे किसि तुफ़ान मे कोइ पेड़ खड़ा हो प्यास लगि हो लेकिन पानि मे जहर मिला हो कुछ मुसाफ़िर ऐसे मिलते है जैसे रास्ते में #Poetry #Quotes #India #Love #shayri #Hindi #SAD #Like #Dil #pyaar #lovequotes #writer #ishq #Shayari #follow #hindiquotes #hindipoetry #hindishayari #urdu #loveshayari #urdupoetry #urdushayari #sadShayari #shayaris #shayarilover

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कलम 👇📰 आज पढ़े 📰 👇

दिन ऐसे गुजरता है 

👇 #NojotoQuote दिन ऐसे गुजरता है 
जैसे किसि तुफ़ान मे कोइ पेड़ खड़ा हो 
प्यास लगि हो लेकिन 
पानि मे जहर मिला हो 
कुछ मुसाफ़िर ऐसे मिलते है 
जैसे रास्ते में

atrisheartfeelings

#Sundarkand #Sunderkand #ananttripathi #atrisheartfeelings #Devotional #GoodMorning मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥ नाम लंक

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मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंकिनी एक निसिचरी। सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥
जानेहि नहीं मरमु सठ मोरा। मोर अहार जहाँ लगि चोरा॥
मुठिका एक महा कपि हनी। रुधिर बमत धरनीं ढनमनी॥
पुनि संभारि उठी सो लंका। जोरि पानि कर बिनय ससंका॥
जब रावनहि ब्रह्म बर दीन्हा। चलत बिरंच कहा मोहि चीन्हा॥
बिकल होसि तैं कपि कें मारे। तब जानेसु निसिचर संघारे॥
तात मोर अति पुन्य बहूता। देखेउँ नयन राम कर दूता॥

तात स्वर्ग अपबर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग।
तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग॥ #sundarkand #sunderkand #ananttripathi #atrisheartfeelings #devotional #goodmorning 

मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंक

शब्दिता

यह धरती बलिदानियों की है विद्वानों की विद्वता का वर्चस्व सदैव से इस देश में रहा है। यहां की मिट्टी चंदन के समान सुगंधित यहां मनुष्य के भ

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*धरती है बलिदानों की विद्वानों का वर्चस्व यहां।।*
अनुशीर्षक पढ़ें.......!!!
 


यह धरती बलिदानियों की है 
विद्वानों की विद्वता का वर्चस्व सदैव से इस देश में रहा है।
यहां की मिट्टी चंदन के समान सुगंधित यहां मनुष्य के भ

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 3 हनुमानजी छोटा सा रूप धरकर लंका में प्रवेश करने का सोचते है पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार। अति लघु रूप धरों नि #समाज

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🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 3
हनुमानजी छोटा सा रूप धरकर लंका में प्रवेश करने का सोचते है
पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरों निसि नगर करौं पइसार ॥3॥
हनुमानजी ने बहुत से रखवालो को देखकर मन में विचार किया की मै छोटा रूप धारण करके नगर में प्रवेश करूँ ॥3॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

लंकिनी का प्रसंग और ब्रह्माजी का वरदान
हनुमानजी राम नामका स्मरण करते हुए लंका में प्रवेश करते है
मसक समान रूप कपि धरी।
लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंकिनी एक निसिचरी।
सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥1
हनुमानजी मच्छर के समान छोटा-सा रूप धारण कर,प्रभु श्री रामचन्द्रजी के नाम का सुमिरन करते हुए लंका में प्रवेश करते है॥लंकिनी, हनुमानजी का रास्ता रोकती हैलंका के द्वार पर लंकिनी नाम की एक राक्षसी रहती थी।हनुमानजी की भेंट, उस लंकिनी राक्षसी से होती है।वह पूछती है कि,
मेरा निरादर करके (बिना मुझसे पूछे) कहा जा रहे हो?

हनुमानजी लंकिनी को घूँसा मारते है
जानेहि नहीं मरमु सठ मोरा।
मोर अहार जहाँ लगि चोरा॥
मुठिका एक महा कपि हनी।
रुधिर बमत धरनीं ढनमनी॥2॥
तूने मेरा भेद नहीं जाना?
जहाँ तक चोर हैं, वे सब मेरे आहार हैं॥
महाकपि हनुमानजी उसे एक घूँसा मारते है,जिससे वह पृथ्वी पर लुढक पड़ती है।

लंकिनी हनुमानजी को प्रणाम करती है
पुनि संभारि उठी सो लंका।
जोरि पानि कर बिनय ससंका॥
जब रावनहि ब्रह्म बर दीन्हा।
चलत बिरंच कहा मोहि चीन्हा॥3॥
वह राक्षसी लंकिनी, अपने को सँभाल कर फिर उठती है और डर के मारे हाथ जोड़ कर हनुमानजी से कहती है॥

लंकिनी, हनुमानजी को, ब्रह्माजी के वरदान के बारे में बताती है
जब ब्रह्मा ने रावण को वर दिया था,
तब चलते समय उन्होंने राक्षसों के विनाश की यह पहचान मुझे बता दी थी कि॥

ब्रह्माजी के वरदान में राक्षसों के संहार का संकेत
बिकल होसि तैं कपि कें मारे।
तब जानेसु निसिचर संघारे॥
तात मोर अति पुन्य बहूता।
देखेउँ नयन राम कर दूता॥4॥
जब तू बंदर के मारने से व्याकुल हो जाए,तब तू राक्षसों का संहार हुआ जान लेना।

हनुमानजी के दर्शन होने के कारण, लंकिनी खुदको भाग्यशाली समझती है
हे तात! मेरे बड़े पुण्य हैं,
जो मैं श्री रामजी के दूत को अपनी आँखों से देख पाई।

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 133 से 143 नाम 
133 लोकाध्यक्षः समस्त लोकों का निरीक्षण करने वाले
134 सुराध्यक्षः सुरों (देवताओं) के अध्यक्ष
135 धर्माध्यक्षः धर्म और अधर्म को साक्षात देखने वाले
136 कृताकृतः कार्य रूप से कृत और कारणरूप से अकृत
137 चतुरात्मा चार पृथक विभूतियों वाले
138 चतुर्व्यूहः चार व्यूहों वाले
139 चतुर्दंष्ट्रः चार दाढ़ों या सींगों वाले
140 चतुर्भुजः चार भुजाओं वाले
141 भ्राजिष्णुः एकरस प्रकाशस्वरूप
142 भोजनम् प्रकृति रूप भोज्य माया
143 भोक्ता पुरुष रूप से प्रकृति को भोगने वाले

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 3
हनुमानजी छोटा सा रूप धरकर लंका में प्रवेश करने का सोचते है
पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरों नि
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